जानें शेयर मार्केट में गिरावट के पांच प्रमुख कारण

 

सेंसेक्स-निफ्टी में बड़ी गिरावट, इन 5 कारणों से क्रैश हुआ शेयर बाजार 

एबीएन बिजनेस डेस्क। भारतीय शेयर बाजारों में सोमवार, 8 दिसंबर को जोरदार बिकवाली देखने को मिली। सेंसेक्स ट्रेडिंग के दौरान 800 अंकों से ज्यादा लुढ़क गया, जबकि निफ्टी करीब 270 अंकों की गिरावट के साथ 25,900 के नीचे फिसल गया। विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, मिडकैपझ्रस्मॉलकैप में भारी प्रॉफिट बुकिंग और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले सतर्क माहौल ने मार्केट पर दबाव बढ़ाया। 

कारोबार के अंत में सेंसेक्स 609.68 अंक गिरकर 85,102.69 पर था, जबकि निफ्टी 225.90 अंक टूटकर 25,960.55 पर बंद हुआ। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स 2% तक टूट गये, जिससे मार्केट में भारी गिरावट आयी। निफ्टी पर इंडिगो, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और इटरनल 7% तक लुढ़के और टॉप लूजर्स में रहे। 

शेयर बाजार में आज की गिरावट के 5 बड़े कारण 

यूएस फेड मीटिंग से पहले सतर्कता 

निवेशक 9 दिसंबर से शुरू होने वाली फेडरल रिजर्व की दो दिवसीय बैठक से पहले सतर्क नजर आये। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के देवर्ष वकिल के अनुसार, निवेशक महंगाई के ताजा आंकड़ों और साल अंत पोर्टफोलियो बदलाव से पहले पोजिशन कम कर रहे हैं। इस हफ्ते आॅस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा और स्विट्जरलैंड के सेंट्रल बैंक की भी बैठकें हैं लेकिन नीति बदलाव की संभावना सिर्फ फेड में देखी जा रही है। 

स्मॉलकैप-मिडकैप में भारी मुनाफा वसूली 

स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में जोरदार गिरावट दर्ज हुई। निफ्टी स्मॉलकैप 100 2% से ज्यादा टूटा, निफ्टी मिडकैप 100 लगभग 2% गिरा। स्मॉलकैप इंडेक्स लगातार 5वें दिन लाल निशान में, 5 दिन में 4% से ज्यादा की गिरावट आयी।  

एफआईआई की लगातार बिकवाली 

विदेशी संस्थागत निवेशक सातवें दिन भी बिकवाली करते रहे। शुक्रवार को एफआईआई ने 438.90 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। दिसंबर में अब तक 10,403 करोड़ रुपये की बिकवाली रही। इससे मार्केट सेंटीमेंट और कमजोर हुआ है। 

भारतीय रुपये में कमजोरी 

रुपया डॉलर के मुकाबले 16 पैसे गिरकर 90.11 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। इसकी वजह तेल की बढ़ती कीमतें और विदेशी फंड की लगातार निकासी को माना जा रहा है। फॉरेक्स डीलर्स के मुताबिक, रुपये शुरू में 90.07 पर खुला था लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी, कॉरपोरेट और इम्पोर्टर्स की डॉलर डिमांड और एफआईआई की बिकवाली के चलते इस पर दबाव बढ़ गया। 

क्रूड आयल में उछाल 

अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड 0.13% बढ़कर $63.83 प्रति बैरल हो गया। भारत के लिए तेल की कीमतें बढ़ना हमेशा चिंता का विषय होता है क्योंकि इंपोर्ट बिल बढ़ता है, महंगाई का जोखिम बढ़ता है और यह दोनों ही कारण शेयर बाजार पर दबाव डालते हैं।

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