एबीएन हेल्थ डेस्क। वर्तमान समय में देखने में आ रहा है कि युवाओं के कई शौक उनके लिए गंभीर घातक होते जा रहे हैं। जिसके कारण हमारी युवा पीढ़ी आंतरिक रूप से कमजोर और कई रोगों का शिकार हो रही है। उन्हीं में से एक रोग है पैंक्रियाटाइटिस। योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि मानव शरीर में अग्न्याशय एक महत्वपूर्ण ग्रंथि है, जो भोजन पचाने के लिए एंजाइम तथा ब्लड शुगर नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन जैसे हार्मोन बनाता है।
लेकिन जब इस ग्रंथि में सूजन आ जाती है, तो यह स्थिति पैंक्रियाटाइटिस कहलाती है। आधुनिक जीवनशैली, शराब सेवन, तंबाकू सिगरेट का सेवन अनियमित खान-पान और बढ़ता तनाव इस रोग को तेजी से बढ़ाने वाले प्रमुख कारण बनते जा रहे हैं। पैंक्रियाटाइटिस रोग मै अग्न्याशय में सूजन हो जाना ही पैंक्रियाटाइटिस है।
यह दो प्रकार के होता है, एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस इसमें दर्द अचानक शुरू होता है, तीव्र दर्द और उल्टी-बुखार जैसे लक्षण होते हैं। क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस इसमें अग्नाशय में लंबे समय तक सूजन बनी रहती है जिससे ग्रंथि धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होती जाती।
पैंक्रियाटाइटिस रोग होने के पीछे कई कारण है जिसमें अव्यवस्थित दिनचर्या, हमारा खानपान, अत्यधिक शराब सेवन, अधिक तनाव और दिनचर्या में आये परिवर्तन के कारण पैंक्रियाटाइटिस में गॉलब्लैडर से निकली पथरी पैंक्रियाटिक डक्ट को ब्लॉक कर देती है। जिससे एंजाइम बाहर निकल नहीं पाते और ग्रंथि को ही पचाने लगते हैं।
लंबे समय तक शराब पीने से अग्न्याशय की कोशिकाएं सूजकर नष्ट होती जाती हैं। खून में वसा या कैल्शियम बढ़ने पर अग्न्याशय के एंजाइम सक्रिय होकर सूजन पैदा करते हैं। कुछ वायरल संक्रमण अग्न्याशय में सूजन कर सकते हैं। कुछ एंटीबायोटिक्स, हाई बीपी व डायबिटीज की दवाइयां भी कारण बन सकती हैं। पैंक्रियाटाइटिस से हमारे स्वास्थ्य पर कई नुकसान हो सकते हैं यदि समय पर ध्यान न दिया जाये, तो यह गंभीर रूप ले सकता है।
पाचन क्षमता का नष्ट होना अग्न्याशय एंजाइम सही मात्रा में नहीं बनते, जिससे खाना पचता नहीं दस्त वजन तेजी से कम होना डायबिटीज का खतरा इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट होती हैं। अग्न्याशय में सिस्ट या छाले जो फटकर अंदरूनी संक्रमण बढ़ा सकते हैं। मल्टी-आर्गन फेलियर गंभीर अवस्था में किडनी, फेफड़ों और हृदय पर प्रभाव पड़ता है।
लगातार पेट दर्द क्रॉनिक रूप में दर्द वर्षों तक रह सकता है। पैंक्रियाटाइटिस रोग को ठीक करने में में योग की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आधुनिक शोधों के अनुसार, योग अग्न्याशय की क्रियाशीलता को सुधारने में लाभकारी है क्योंकि यह, पाचन तंत्र को सक्रिय करता है, ब्लड शुगर नियंत्रित करता है, सूजन कम करता है, तनाव व कोर्टिसोल लेवल घटाता है, जिससे एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभाव मिलता है। पेट में रक्त संचार बढ़ाता है, जो हिलिंग में मदद करता है।
पैंक्रियाटाइटिस रोगी को योग, योग विशेषज्ञ योगाचार्य के मार्ग दर्शन मै ही करना चाहिए, इस रोग से उभरने ओर बचाव के लिए जीवनशैली में सुधार अति आवश्यक है जिसमें शराब बिल्कुल बंद कर दे, तला-भुना, तैलीय भोजन न लें, छोटी-छोटी मात्रा में हल्का भोजन ले, पानी पर्याप्त ले, तनाव से बचे संतुलित व सात्विक भोजन गृहण करे व्यवस्थित दिनचर्या के पालन करे योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
पैंक्रियाटाइटिस एक गंभीर लेकिन नियंत्रित किया जा सकने वाला रोग है। एक ओर आधुनिक चिकित्सा सही निदान और उपचार प्रदान करती है। वहीं योग, संतुलित आहार और तनाव-नियंत्रण इसके प्रबंधन में अत्यंत सहायक सिद्ध होते हैं। योगासन पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं, प्राणायाम सूजन कम करते हैं, और ध्यान मानसिक शांति प्रदान कर शरीर के हीलिंग तंत्र को गति देते हैं। इसलिए पैंक्रियाटाइटिस के रोगियों को विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह के साथ मापदंडित योगाभ्यास अपनाना चाहिए।
टीम एबीएन, रांची। रांची के कांके रोड स्थित सीसीएल के केंद्रीय अस्पताल, गांधीनगर में 6 दिसंबर को सुबह 9 बजे से होने वाला नि:शुल्क हृदय रोग जांच शिविर अब अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया है।
यह निर्णय कुछ जरूरी कारणों से लिया गया है। इस शिविर में दिल्ली के मैक्स अस्पताल के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ राजीव राठी मरीजों की जांच और सलाह देने वाले थे।
सीसीएल समय-समय पर देश के नामी डॉक्टरों को बुलाकर विभिन्न बीमारियों से संबंधित स्वास्थ्य शिविर आयोजित करता है, ताकि लोगों को बड़े शहर जाए बिना ही अपने पास उन्नत इलाज मिल सके और ज्यादा से ज्यादा मरीजों को फायदा हो सके।
एबीएन हेल्थ डेस्क। सर्दियों के मौसम की शुरुआत हो गयी है। कुछ दिनों में मार्केट में आपको अंगूर भी दिखने लगेंगे। हरे, लाल और काले रंग अंगूर खाने में बेहद स्वादिष्ट लगते हैं। तीनों ही अंगूर मीठे, रसीले और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। लेकिन सेहत को फायदा पहुंचाने के मामले में कौन सा ज्यादा बेहतर होता है। ये जानना भी जरूरी है। आज हम इस आर्टिकल में हरे औल लाल रंग के अंगूर के बारे में विस्तार से जानेंगे, कि किसमें ज्यादा एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं और आपको कौन से अंगूर खाने चाहिए। ताकि आपको भरपूर न्यूट्रिशन मिल सके और फायदे भी।
हरे और लाल दोनों ही अंगूर में एंटीआॅक्सीडेंट की अच्छी मात्रा पाई जाती है। ये वो तत्व है, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करता है। साथ ही इम्यूनिटी बूस्ट कर एजिंग प्रोसेस को भी स्लो करने में हेल्पफुल है। हालांकि, दोनों में एंटीआॅक्सीडेंट की वैल्यू में अंतर होता है, जो हम आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं।
हरे और लाल दोनों ही अंगूर पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें विटामिन, मिनिरल्स और एंटीआॅक्सीडेंट का मात्रा काफी ज्यादा होती है। लेकिन कुछ मामलों में दोनों में अंतर देखने को मिलता है। जैसे हरे अंगूर कम कैलोरी वाले और ज्यादा मीठे होते हैं। जबकि लाल अंगूर हल्के खट्टे होते हैं। साथ ही इसमें नेचुरल पिगमेंट एन्थोलाइनिन पाया जाता है, जो इन्हें एक गहरा रंग देता है। लाल अंगूर में रेस्वेराट्रोल जैसे कम्पाउंड ज्यादा पाये जाते हैं, जो हार्ट हेल्थ, इंफ्लामेशन और सेल्स को डैमेज होने से बचाने में मदद करते हैं। वहीं, हरे अंगूर में विटामिन सी, के और हाइड्रेशन ज्यादा होता है, जो पाचन को दुरुस्त रखते हैं। चलिये चार्ट के जरिए जानते हैं दोनों के न्यूट्रिश वैल्यू।
हरे और लाल अंगूर में से कौन से ज्यादा बेहतर है ये आपकी जरूरत पर निर्भर करता है। क्योंकि ये दोनों ही अंगूर पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और लगभग समान ही न्यूट्रिशन वैल्यू भी रखते हैं। लेकिन अगर सिर्फ एंटीआक्सीडेंट की बात की जाए है लाल अंगूर में ये ज्यादा पाये जाते हैं। लाल अंगूर में लाल अंगूर में रेस्वेराट्रोल जैसे कंपाउंड पाया जाता है, जो अंगूर को गहरा रंग देने के साथ ही ज्यादा एंटीआक्सीडेंट प्रोवाइड करवाता है। बाकी आप अपनी जरूरत के हिसाब से इनमें से किसी को भी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
लाल और हरे अंगूर दोनों ही सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। लेकिन दोनों के फायदे की बात करें तो, लाल अंगूर में एन्थोसाइनिन जैसे शक्तिशाली एंटीआक्सीडेंट पाये जाते हैं, जो हार्ट हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। ये इंफ्लामेशन को कम करते हैं और सेल्स को डैमेज होने से बचाते हैं। वहीं, हरे अंगूर में विटामिन सी और के पाया जाता है। साथ ही ये फाइबर को भी अच्छा सोर्स है। ऐसे में इसका सेवन करने से पाचन बेहतर रहता है और इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। आप अपनी जरूरत के हिसाब से किसी को भी चुन सकते हैं।
एबीएन हेल्थ डेस्क। हर वर्ष 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि यह दिवस इस बार मधुमेह और कल्याण थीम पर आधारित है, प्रथम बार मधुमेह दिवस अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मनाना शुरू किया था। 14 नवंबर 2025 को 35 विश्व मधुरा दिवस मनाया जा रहा है, यह दिन लोगों में मधुमेह के बढ़ते खतरे के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है।
संयोग से यही दिन बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसे में यह अवसर दोहरा संदेश देता है विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ के अनुसार, मधुमेह आज विश्वभर में एक गंभीर जीवनशैली जनित रोग बन चुका है। भारत में तो इसे डायबिटीज की राजधानी तक कहा जाने लगा है, क्योंकि यहां हर वर्ष करोड़ों लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं।
आज के समय में मधुमेह केवल वृद्धों की बीमारी नहीं रह गयी, बल्कि युवाओं और बच्चों तक पहुंच रही है। आधुनिक जीवनशैली, फास्ट फूड, तनाव, मोबाइल पर अत्यधिक समय बिताना और शारीरिक गतिविधि का अभाव यह सब मधुमेह के बढ़ते मामलों के पीछे प्रमुख कारण हैं। 14 नवंबर केवल विश्व मधुमेह दिवस नहीं, बल्कि बाल दिवस भी है।
इस दिन हमें बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि स्वास्थ्य की नींव संयम और अनुशासन से बनती है। जंक फूड की जगह घर का सादा भोजन, फल-सब्जियां अपनाएं। रोजाना कम से कम 30 मिनट योग और खेलकूद के लिए निकालें। मोबाइल और टीवी से दूरी, और प्रकृति से निकटता बढ़ाएं। बच्चे ही राष्ट्र का भविष्य हैं। यदि वे आज से योग, प्राणायाम और संतुलित आहार की आदत डालेंगे तो आने वाली पीढ़ी को मधुमेह जैसी बीमारियों से बचाया जा सकेगा।
मधुमेह एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर इंसुलिन हार्मोन का पर्याप्त निर्माण नहीं कर पाता या उसका सही उपयोग नहीं करता। इसके परिणामस्वरूप रक्त में शुगर (ग्लूकोज) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर के विभिन्न अंग — जैसे आंखें, गुर्दे, हृदय और नसें —प्रभावित होती हैं।
1. टाइप-1 डायबिटीज : इसमें शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। 2. टाइप-2 डायबिटीज : इसमें शरीर इंसुलिन का उपयोग ठीक से नहीं कर पाता। असंतुलित आहार, तनाव, शारीरिक निष्क्रियता, नींद की कमी और मानसिक दबाव जैसी आदतें मधुमेह के प्रमुख कारण हैं। इसलिए इसे लाइफस्टाइल डिसआर्डर भी कहा जाता है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा का संतुलन है। योगाभ्यास से तनाव कम होता है, अग्न्याशय की क्रियाशीलता बढ़ती है, और इंसुलिन स्राव में सुधार होता है।
अनुलोम-विलोम, कपालभाति और भ्रामरी प्राणायाम मानसिक तनाव घटाकर हार्मोनल संतुलन बनाए रखते हैं। ध्यान मन को शांत कर कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर को घटाता है, जिससे ब्लड शुगर स्थिर रहता है। योग के साथ आहार अनुशासन पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए जिसमें साबुत अनाज, हरी सब्जियां, फल और फाइबरयुक्त भोजन का सेवन करें। चीनी और जंक फूड से बचें। समय पर भोजन और पर्याप्त नींद का पालन करें।
मधुमेह से बचाव और नियंत्रण के लिए योग एक सुरक्षित, सस्ता और स्थायी उपाय है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मविश्वास भी बढ़ाता है। इस विश्व मधुमेह दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम योग और संतुलित जीवनशैली को अपनाकर इस बढ़ते रोग से न केवल स्वयं को बल्कि समाज को भी स्वस्थ बना सकते हैं।
एबीएन हेल्थ डेस्क। योग से युवा जागरुक और स्वस्थ युवा अभियान के तहत देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार उत्तराखंड में योग सेमीनार आयोजित किया गया जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों के 200 से भी अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया, यह सेमिनार विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पंड्या के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ।
जिसमें मुख्य वक्ता (रिसोर्स पर्सन) की भूमिका के लिए गुना के योगाचार्य महेश पाल को चुना गया विश्वविद्यालय के योग विभाग की एचओडी डॉ अल्का मिश्रा और प्रोफेसर संतोषी साहू द्वारा योगाचार्य महेश पाल का स्वागत किया गया। उसके पश्चात गायत्री महामंत्र वा योग मंत्रों द्वारा योग सेमिनार प्रारंभ हुआ।
जिसमें योगाचार्य महेश पाल द्वारा योग थेरेपी फॉर लाइफस्टाइल डिसऑर्डर विषय पर महत्वपूर्ण उद्बोधन देते हुए कहा कि आज के आधुनिक युग में मनुष्य की जीवनशैली जितनी सुविधाजनक हुई है, उतनी ही असंतुलित भी। अत्यधिक मानसिक तनाव, असंतुलित आहार, नींद की कमी और शारीरिक निष्क्रियता ने मिलकर कई लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स (Lifestyle Disorders) को जन्म दिया है।
जैसे हाइपरटेंशन, डायबिटीज़, मोटापा, थायरॉइड, डिप्रेशन और हृदय रोग आदि। इन रोगों के उपचार में जहाँ दवाएँ केवल लक्षणों को नियंत्रित करती हैं, वहीं योग थेरेपी जड़ से संतुलन स्थापित करने की दिशा में कार्य करती है। योग थेरेपी (Yoga Therapy) का आशय केवल आसन या प्राणायाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक समग्र उपचार पद्धति है जिसमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तर पर संतुलन लाने का प्रयास किया जाता है।
योग थेरेपी का उद्देश्य शरीर की प्राकृतिक चिकित्सा क्षमता को जाग्रत करना है।योग थेरेपी केवल रोग निवारण का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। यह हमें सिखाती है कि कैसे मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित किया जाए। जब मन शांत होता है और शरीर स्वस्थ, तभी सच्चा स्वास्थ्य संभव होता है।
उन्होंने विद्यार्थियों को आगे बताया कि लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स के कई कारण है जिसमें असंतुलित दिनचर्या, फास्ट फूड और जंक फूड का अधिक सेवन, देर रात तक जागना, नींद की कमी, तनावपूर्ण कार्य वातावरण, मोबाइल और स्क्रीन का अत्यधिक प्रयोग शारीरिक गतिविधि का अभाव, योग थेरेपी से कई लाभ प्राप्त होते हैं।
जिसमें आसनों का अभ्यास पैंक्रियास की क्रियाशीलता में सुधार कर ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। नाड़ीशोधन प्राणायाम और ध्यान से रक्तचाप सामान्य रहता है।सर्वांगासन, मत्स्यासन, और उष्ट्रासन थायरॉइड ग्रंथि को संतुलित करते हैं। सूर्य नमस्कार और कपालभाति से चर्बी घटती है।
डिप्रेशन और तनाव से बचाव मै ध्यान काफी उपयोगी है और भ्रामरी प्राणायाम से मानसिक संतुलन बनता है। बही एचओडी डॉ अल्का मिश्रा ने कहा कि योग थेरेपी के साथ आहार चिकित्सा भी आवश्यक है जिसमें सात्विक आहार पर बल दिया जाता है जिसमें फल, सब्जियाँ, अंकुरित अनाज, दूध, दही, और स्वच्छ जल का सेवन प्रमुख है।
वहीं प्रोफेसर संतोषी साहू ने बताया कि आज जब लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स विश्वभर में तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में योग थेरेपी एक आशा की किरण बनकर उभरी है। यह न केवल रोगों को मिटाती है, बल्कि व्यक्ति को संपूर्ण स्वास्थ्य, संतुलन और सुख की दिशा में ले जाती है।
आवश्यक है कि हम योग को केवल अभ्यास न मानें, बल्कि अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाएं, क्योंकि योग ही जीवन है, और स्वस्थ जीवन ही सच्चा योग है। इस अवसर पर मुकेश कुमार, प्रवीण कुमार सहित विभागीय सदस्य मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
एबीएन हेल्थ डेस्क। वर्तमान समय में चल रहे मौसम में बदलाव के कारण स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हमारे सामने आ रही हैं योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि जब आसमान बादलों से घिरा हो, ठंडी हवाएं चल रही हों या कभी भी बरसात और धूल भरी आंधी की संभावना बनी हो, तब मनुष्य का शरीर और मन दोनों प्रकृति के इस बदलाव से गहराई से प्रभावित होते हैं।
ऐसे खराब मौसम में अकसर लोग थकावट, आलस्य, बेचैनी, सर्दी-जुकाम, जोड़ों में दर्द, तनाव या मानसिक उदासी महसूस करते हैं। ठीक इसी परिस्थिति में योग का अभ्यास शरीर और मन दोनों को संतुलन में रखने का सर्वोत्तम उपाय है। खराब मौसम में वायु और जल तत्वों का असंतुलन बढ़ जाता है, जिससे शरीर में ठंडक, जकड़न और रक्तसंचार की कमी होती है।
ऐसे समय में सूर्यनमस्कार, त्रिकोणासन, भुजंगासन, ताड़ासन जैसे योगासन शरीर में ऊर्जा प्रवाह को बढ़ाते हैं इनसे रक्तसंचार सुधरता है, जोड़ों में लचीलापन आता है, और प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे सर्दी-जुकाम या वायरल संक्रमण से बचाव होता है। बरसात या ठंड के मौसम में हवा में नमी और धूल के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
ऐसे में भस्त्रिका, सूर्यभेदी, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, और कपालभाति प्राणायाम अत्यंत लाभकारी होते हैं। ये न केवल श्वास नलिकाओं को साफ करते हैं, बल्कि फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं, जिससे आक्सीजन की मात्रा शरीर में संतुलित रहती है। खराब मौसम के दौरान अक्सर उदासी, नकारात्मकता और सुस्ती मन में घर कर लेती है। इस स्थिति में ध्यान व्यक्ति को आत्मसंयम और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।
कुछ मिनटों का ध्यान मन को हल्का करता है, विचारों को स्थिर करता है और अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है। खराब मौसम में सबसे अधिक जरूरत होती है प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की। योगिक क्रियाएं जैसे जलनेति, कुंजल क्रिया, और त्राटक शरीर को आंतरिक रूप से शुद्ध करती हैं और रोगों से बचाव की क्षमता विकसित करती हैं। नियमित अभ्यास से शरीर वातावरण के परिवर्तन के प्रति अधिक सहनशील बनता है।
खराब मौसम में बाहर व्यायाम या वॉक संभव नहीं होता, लेकिन योग घर के भीतर आराम से किया जा सकता है। इसके लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। सिर्फ एक शांत जगह, योगा मैट और मन की तैयारी चाहिए। सुबह या शाम के समय हल्का संगीत या मंत्र उच्चारण के साथ योग करने से मन को नई ऊर्जा मिलती है। योग केवल शरीर का व्यायाम नहीं, बल्कि यह प्रकृति और आत्मा के बीच संतुलन का मार्ग है।
खराब मौसम में जब प्रकृति असंतुलित प्रतीत होती है, तब योग हमें सिखाता है कि अंदर की स्थिरता बनाए रखें। योगिक दर्शन कहता है योग: चित्तवृत्ति निरोध: अर्थात् योग मन की वृत्तियों को शांत करने का माध्यम है। इस दृष्टि से देखा जाए तो खराब मौसम बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक तपस्या का अवसर बन सकता है।
इस प्रकार के मौसम में सर्दी जुकाम कफ खांसी से बचाव के लिए कुछ आयुर्वेदिक औषधियां का भी प्रयोग किया सकता है जिसमें गिलोय का काढ़ा, गुनगुने पानी का उपयोग, सुबह से लेकर शाम के बीच में एक समय अजवाइन लहसुन अदरक गुड काली मिर्च लौंग का काढ़ा काफी उपयोगी होता है साथ में ही रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म पानी में हल्दी और काला नमक को उबालकर उस पानी से गरारे जरूर करें जिससे गले के इन्फेक्शन कफ खांसी में काफी आराम मिलता है।
7 में यह ज्ञान विशेष रूप से रखें इस प्रकार के खराब मौसम में ठंडी वस्तुएं खट्टी वस्तुएं अचार का सेवन बिल्कुल न करें इस प्रकार के खाद्य पदार्थों में सावधानी बरते और योग का अभ्यास करते रहें, खराब मौसम शरीर और मन दोनों की परीक्षा लेता है, परंतु योग उस परीक्षा को अवसर में बदल देता है।योग न केवल स्वास्थ्य की रक्षा करता है, बल्कि धैर्य, सकारात्मकता और आत्मबल भी बढ़ाता है।इसलिए, चाहे आंधी हो, बरसात हो या ठंड का मौसम योग हर परिस्थिति में मानव का सबसे विश्वसनीय साथी है।
एबीएन हेल्थ डेस्क। आंध्रप्रदेश की राजधानी अमरावती में चल रहे सेकंड आल इंडिया योगासन पुलिस गेम में योगासन भारत के जॉइंट सेक्रेटरी एवं योगासना पुलिस गेम के कंपटीशन डायरेक्टर वेद प्रकाश शर्मा ने योगासन जजेस को योग सत्र में योग का अभ्यास कराया।
उन्होंने क्रिया योग के बारे में जानकारी दी। नेशनल योगासना जज योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि वेदप्रकाश शर्मा मध्य प्रदेश योगासन स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। साथ ही वे पिछले कई समय से मध्य प्रदेश व देश में योगासन खेल को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
योग सत्र में वेद प्रकाश शर्मा ने क्रिया योग के बारे में बताया कि आज की भागदौड़ और तनावपूर्ण जीवनशैली में क्रिया योग मानव जीवन में संतुलन और शांति लाने का एक प्रभावी माध्यम बन गया है। यह केवल एक योग विधि नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक जागृति का विज्ञान है।
क्रिया योग का अर्थ है क्रिया (कर्म) के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार। श्री शर्मा ने आगे बताया कि इसमें श्वास-प्रश्वास, ध्यान और प्राणायाम का संयोजन होता है, जो शरीर, मन और आत्मा तीनों को संतुलित करता है।
क्रिया योग महर्षि पतंजलि द्वारा रचित योग सूत्र में वर्णन है जिसके अंतर्गत तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्राणिधान को रखा गया है इसके नियमित अभ्यास से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह सुधरता है, जिससे पाचन, रक्त संचार और श्वसन तंत्र मजबूत होते हैं। मानसिक स्तर पर यह योग मन को शांत, स्थिर और एकाग्र बनाता है। तनाव, चिंता और असंतुलन धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं।
भावनात्मक रूप से व्यक्ति अधिक करुणामय और संतुलित हो जाता है। आध्यात्मिक दृष्टि से क्रिया योग आत्मा की अनुभूति का मार्ग है। यह व्यक्ति को बाहरी आसक्तियों से मुक्त कर उसकी अंतर्निहित चेतना से जोड़ता है। वर्तमान समय में जब मनुष्य भौतिक उपलब्धियों के बावजूद आंतरिक शांति से दूर है, तब क्रिया योग ही वह साधना है जो जीवन को शांति, स्थिरता और आत्मिक आनंद प्रदान कर सकती है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। बिना किसी ट्रेडमार्क, मैन्युफैक्चरिंग डिटेल्स और एक्सपायरी डेट का पानी बेचना लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ है। यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ताओं के प्रति घोर लापरवाही व सेवाओं में कमी है। इसके लिए विक्रेता जवाबदेह है। उपभोक्ता आयोग में शिकायत करने पर पीड़ित को राहत मिल सकती है।
एक दुकानदार एक्सपायरी डेट की पानी की बोतल बेच रहा था। स्थानीय लोगों की शिकायत पर खाद सुरक्षा अधिकारी ने छापेमारी की, तो उसकी दुकान में 766 बोतलें एक्सपायर डेट की पायी गयी। खाद्य विभाग के अधिकारियों ने उनमें से 16 बोतलें तो जांच के लिए सील कर दी जबकि 750 पानी की बोतलें मौके पर ही नष्ट करवा दी, ताकि भविष्य में उनका कोई उपयोग न कर सके। यह घटना जिला श्रावस्ती के हरदत्त नगर गिरंट थाना क्षेत्र की है।
एक उपभोक्ता ने जब दुकान से पानी की बोतल को खरीदा तो उसने देखा कि पानी की पैकिंग के समय जो एक्सपायरी डेट अंकित है वह बीत चुकी है। इस पर उसने इसकी सूचना एसडीएम को दी। एसडीएम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए खाद सुरक्षा अधिकारी को मामले में कार्रवाई के लिए निर्देशित किया।
जिसके बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने पुलिस टीम के साथ संबंधित दुकान में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान उक्त एक्सपायरी डेट की पानी की बोतलें पकड़ी गयी। खाद्य सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि एक्सपायरी डेट के पानी के नमूने की रिपोर्ट आने के बाद दुकानदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी।
इसी प्रकार ग्वालियर में बिना किसी ट्रेडमार्क, मैन्युफैक्चरिंग डिटेल्स और एक्सपायरी डेट का पानी बाजार में बेचकर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जिला मजिस्ट्रेट ने की है। उन्होंने तहसील दिवस पर जनसुनवाई के दौरान एक्सपायरी डेट का बोतल बंद पानी बेचने वालों के खिलाफ एडीएम को कार्रवाई करने के निर्देश दिये।
जनसुनवाई के दौरान लोगों ने क्षेत्र की दुकानों पर बिना मैन्युफैक्चरिंग डिटेल्स व बिना एक्सपायरी डेट अंकित किए पानी के पाउच बिकने की शिकायत की थी। उपभोक्ता अपने साथ खाली पाउच लेकर आये थे। इन पाउच में ट्रेडमार्क, मैन्युफैक्चरिंग व एक्सपायरी डेट छपी हुई नहीं थी। जिसे जिला मजिस्ट्रेट ने गंभीरता से लिया और दोषी दुकानदारों के विरुद्ध कार्यवाही की गयी।
दरअसल, पानी जिसे जल ही जीवन कहा गया है, हमारे स्वास्थ्य में एक अहम योगदान करता है। तभी तो चिकित्सक भी पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की सलाह देते हैं। पानी का सेवन न सिर्फ हमारे शरीर को अंदर से हाइड्रेट रखता है बल्कि इसका असर हमारी त्वचा और सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
वहीं शरीर में पानी की कमी होने पर डिहाइड्रेशन से लेकर थकान, सिरदर्द, चक्कर आना और कब्ज जैसी समस्या हो सकती है। लेकिन शायद ही हम कभी यह सोचते हो कि बोतल बंद पानी की भी एक्सपायरी डेट होती है। वास्तव में हम कितने दिनों तक का रखा हुआ या फिर बोतल बंद पानी पी सकते हैं?
खराब पानी बेचना सेवाओं में कमी
कानून की दृष्टि से भी एक्सपायरी डेट का पानी बेचना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत उपभोक्ताओं के प्रति घोर लापरवाही व सेवाओं में कमी की परिधि में आता है। जिसके लिए विके्रता को जवाबदेह ठहराया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित उपभोक्ता को मुआवजा या अन्य राहत उपभोक्ता आयोग में शिकायत करने पर मिल सकती है।
राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की के वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे संजय जैन का कहना है कि अगर पानी पूरी तरह से शु्द्ध है तो वह खराब नहीं होता है। क्योंकि शुद्ध पानी में किसी भी तरह के बैक्टीरिया, मिनरल्स और अशुद्धियां नहीं पाई जाती हैं। जब तक पानी में किसी तरह की अशुद्धि नहीं होती है तब तक वह खराब भी नहीं होता है। यदि पानी किसी गंदे कंटेनर या किसी खराब चीज के संपर्क में नहीं आता है वह तब तक खराब नहीं होता। लेकिन स्टोर किये गये पानी की क्वालिटी इस बात पर निर्भर करती है कि उसको कैसे और किस जगह पर स्टोर किया गया है।
वहीं बोतल बंद पानी को ठंडी, सूखी और अंधेरी जगह पर रखा जाता है तो ऐसी बोतल में रखा पानी एक्सपायरी डेट के बाद भी काफी समय तक सेफ रख सकता हैं। लेकिन तब भी इसका टेस्ट बदल सकता है। इसलिए ऐसे पानी को पीना कतई सही नहीं है। वही अगर पानी की बोतल खुल गई है तो इस पानी को 2-3 दिन के अंदर तक ही पी सकते हैं। क्योंकि बोतल खुलने के बाद इसमें बैक्टीरिया और फंगस होने की संभावना बढ़ जाती है।
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