टीम एबीएन, रांची। कुड़मी समाज ने एसटी का दर्जा देने की मांग की है। 20 सितंबर को रेल टेका डहर छेका आंदोलन के जवाब में आदिवासी संगठनों ने उनकी मांग के खिलाफ आंदोलन करना शुरू कर दिया है। 17 अक्टूबर को आदिवासी बचाओ मोर्चा के बैनर तले रांची के प्रभात तारा मैदान में आदिवासी हुंकार महारैली का आयोजन किया गया।
इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए। रांची की सड़क पर आदिवासी संगठनों ने पैदल मार्च भी निकाला। इसमें महिलाओं ने बढ़कर भागीदारी की। रांची के अरगोड़ा चौक के बाद आदिवासी संगठनों में पैदल मार्च का नजारा देखते बन रहा था। कुड़मी समाज की मांग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आदिवासी समाज के लोग प्रभात तारा मैदान की ओर कूच कर रहे थे।
इस रैली में आदिवासी समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए। आंदोलनकारियों ने हाथों में जय सरना और कुड़मी मांग के विरोध वाली तख्तियां ले रखी थी। काफी देर तक चले पैदल मार्च की वजह से अरगोड़ा बाईपास रोड पर ट्रैफिक जाम लगा रहा। जिसमें स्कूली बसें भी फंसी रहीं।
हालांकि ट्रैफिक पुलिस जाम खत्म कराने को लेकर तत्पर दिखी। इससे पहले दर्जनों आटो और बसों में सवार होकर आदिवासी समाज के लोग प्रभात तारा मैदान की ओर जाते दिखे। अलग-अलग आदिवासी संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कुड़मी द्वारा एसटी का दर्जा देने की मांग के खिलाफ 12 अक्टूबर को आदिवासी अस्तित्व बचाओ मोर्चा के बैनर तले मोरहाबादी में आदिवासी समाज का जुटान हुआ था।
इसमें अच्छी खासी संख्या में लोगों ने भागीदारी निभायी थी। इस दौरान कुड़मी मांग का पुरजोर विरोध किया गया था। फिलहाल, आदिवासी संगठनों की ओर से आंदोलन होने पर सोशल मीडिया खींचतान का अखाड़ा बना हुआ है।
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