सितंबर में बारिश से राहत नहीं : आइएमडी

 

  • सितंबर में भी नहीं थमेगा मानसून : आइएमडी ने दी भारी बारिश की चेतावनी, खरीफ फसलों को नुकसान की आशंका 
  • आइएमडी ने बताया कि अगले दो हफ्तों में मॉनसून के पीछे हटने के कोई संकेत नहीं हैं। उल्टा, इस दौरान और ज्यादा लो प्रेशर एरिया बनने की संभावना है 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारत में इस साल मॉनसून ने जमकर तबाही मचायी है। अगस्त में देश के कई हिस्सों में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई। अब सितंबर में भी बारिश का जोर कम होने के आसार नहीं हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) ने आज अपनी ताजा भविष्यवाणी में कहा कि सितंबर में पूरे देश में सामान्य से ज्यादा बारिश होगी। यह बारिश लंबी अवधि के औसत से 109 फीसदी ज्यादा हो सकती है। सितंबर का एलपीए 167.9 मिलीमीटर है। यह मॉनसून का आखिरी महीना है। 

आइएमडी ने बताया कि अगले दो हफ्तों में मॉनसून के पीछे हटने के कोई संकेत नहीं हैं। उल्टा, इस दौरान और ज्यादा लो प्रेशर एरिया (एलपीए) बनने की संभावना है। देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से ज्यादा बारिश होगी। हालांकि, पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के कुछ इलाकों, दक्षिणी प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। 

आइएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने एक आनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में चेतावनी दी कि सितंबर में उत्तराखंड में भारी बारिश से भूस्खलन और अचानक बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से कई नदियां निकलती हैं। भारी बारिश से ये नदियां उफान पर आ सकती हैं।

इससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा है। इसका असर दिल्ली, दक्षिण हरियाणा और उत्तरी राजस्थान में भी पड़ सकता है। यहां सामान्य जनजीवन प्रभावित हो सकता है। महापात्रा ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में महानदी के ऊपरी इलाकों में भी भारी बारिश की आशंका है। इससे नदी में बाढ़ की स्थिति बन सकती है। उन्होंने लोगों से सतर्क रहने की अपील की। 

अगस्त में मानसून ने मचायी भारी तबाही 

अगस्त में देश के कई हिस्सों में मानसून ने भारी तबाही मचाई। उत्तर-पश्चिम भारत में इस बार अगस्त में 260.5 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 34.4 फीसदी ज्यादा है। यह 2001 के बाद सबसे ज्यादा और 1901 के बाद 13वीं सबसे ज्यादा बारिश है। इस क्षेत्र में जून से अगस्त तक कुल 614.2 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य 484.9 मिलीमीटर से 27 फीसदी ज्यादा है। जून में 111 मिलीमीटर (42 फीसदी ज्यादा) और जुलाई में 237.4 मिलीमीटर (13 फीसदी ज्यादा) बारिश हुई। 

दक्षिण भारत में भी अगस्त में 250.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गयी, जो सामान्य से 31 फीसदी ज्यादा है। यह 2001 के बाद तीसरी सबसे ज्यादा और 1901 के बाद आठवीं सबसे ज्यादा बारिश है। जून से अगस्त तक इस क्षेत्र में 607.7 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य 556.2 मिलीमीटर से 9.3 फीसदी ज्यादा है। पूरे देश में अगस्त में 268.1 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 5 फीसदी ज्यादा है। जून से अगस्त तक कुल 743.1 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 6 फीसदी ज्यादा है। 

इस भारी बारिश का असर खेती पर भी पड़ सकता है। 22 अगस्त तक देश में 107.39 मिलियन हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी थी। यह पिछले साल की तुलना में 3.54 मिलियन हेक्टेयर ज्यादा है। धान और मक्का की बुआई में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। लेकिन सितंबर में ज्यादा बारिश से फसलों को नुकसान हो सकता है। खेतों में पानी भरने और फसलों के गिरने का खतरा है। 

उत्तर-पश्चिम भारत में बारिश का कहर सबसे ज्यादा दिखा। पंजाब में दशकों बाद सबसे भयानक बाढ़ आयी। नदियों और नहरों के उफान से हजारों हेक्टेयर खेत डूब गये। लाखों लोग बेघर हो गये। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने और अचानक बाढ़ से सड़कें और पुल बह गये। जम्मू-कश्मीर में बार-बार बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं हुईं। आइएमडी का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ और सक्रिय मानसून की वजह से बारिश बढ़ी है।

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