टीम एबीएन, रांची। श्री जैन श्वेतांबर संघ के पर्युषण पर्व के आज चौथे दिन जैन मंदिर डोरंडा एवं दिगम्बर जैन भवन में प्रवचन, धर्म-आराधना गतिमान हैं। श्री जैन मंदिर डोरंडा मे सुबह प्रक्षाल पूजा हुई एवं स्नात्र पूजा हुई। साथ ही कल्पसूत्र जो कि आगम ग्रंथ का एक अंश है उसकी पांच पूजा मति ज्ञान, श्रुत ज्ञान, अवधिज्ञान, मन: पर्यव ज्ञान एवं ज्ञानों में ज्ञान केवल्य ज्ञान की पूजा की गयी, लाभार्थियों ने धूमधाम से पूजा की।
तत्पश्चात स्वाध्यायी हर्षिल सुरेश साह एवं जिनांग धीरेन साह के द्वारा भगवान महावीर वाणी कल्पसूत्र का वाचन हुआ। बताया कि कल्पसूत्र ग्रंथ में आचार बताये गये हैं, कहा गया है कि अगर आपका आचार अच्छा होगा तो आपका विचार अच्छा होगा, अगर विचार अच्छे होंगे तो क्रिया अच्छी होंगी तथा क्रिया से जीवन अच्छा होगा। अगर व्यक्ति अपने जीवन में अनुसरण करें तो मोक्ष के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
जैसे तीर्थों में शत्रुँजय, मंत्रो में नवकार, फूल में कमल, पुरुषों में राम वैसे ही ग्रंथों में कल्पसूत्र की महिमा बताई गयी हैं। सभी श्रावकों को अपने आचरण में उतारने के लिए 18 सूत्र बताये गये। आज मंदिर मे सम्पत लाल रामपुरिया, पूनम चंद भंसाली, प्रमोद बोथरा, प्रकाश पारख, नवीन रामपुरिया, अनिल कोठरी, राकेश कोठरी, शांतिबाई भंसाली, पुष्पा सेठिया, आदि मौजूद थे। श्री दिगंबर जैन भवन मे उपासिका संतोष श्रीमाल एवं सीमा डूंगरवाल का प्रवचन सुबह 8:30 बजे से हुआ।
पर्युषण पर्व का तीसरा दिन वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया। वाणी संयम दिवस अर्थात मौन साधना के लिए समर्पित दिन के रूप में मनाया गया। उपासिका संतोष श्रीमाल एवं सीमा डुंगरवाल ने वाणी पर व्याख्यान दिया और बताया कि आप अपने विचारों को दूसरों के सामने किस तरह रखते है , इससे बहुत फर्क पड़ता है।
वाणी मनुष्य को दी गई वह शक्ति है जिसके द्वारा वह अपने विचारों,भावनाओं और मनोभावों को व्यक्त कर सकता है। व्यक्ति को प्रभावी ढंग से बोलना सीखना चाहिए। धर्म सभा को संबोधित करते हुए डुंगरवाल जी ने बताया कि मनुष्य को मधुर व मीठी वाणी बोलनी चाहिए। वाणी के कारण दूसरे को अपना व पराया बनाया जा सकता है।
व्यक्ति को कला पूर्ण व कम बोलने का प्रयास करना चाहिए। अधिक से अधिक मौन रहने का प्रयास करना चाहिए। एक शब्द से बहुत कुछ बताया जा सकता है। भगवान महावीर ने भाषा के चार प्रकार बताए है सत्य, असत्य, मिश्र ओर व्यवहार। हमेशा सत्य बोलने का प्रयास करना चाहिए। जिन लोगों में सहनशीलता की शक्ति होती है वे मौन धारण कर सकते हैं।
मौन झगड़ों को नियंत्रित करता है और लोगों के बीच समन्वय को बढ़ाता है। जो व्यक्ति बदले की भावना को सौहार्दपूर्ण संबंधों में बदलने की क्षमता रखता है, वह मौन धारण कर सकता है। कोई व्यक्ति मौन रह सकता है। प्रवचन मेें घेवर चंद नाहटा, संजय सिंघी, विनोद बेगानी, रंजन भटेरा, भास्कर पींचा, माणिक चंद बोथरा, उत्तम चौरडिया के अलावा भारी संख्या में श्रावक एवं श्राविकाएं मौजूद थे।
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