टीम एबीएन, रांची। एयूसीएल के संस्थापक अक्षत खेतान ने रांची स्थित रेडिसन ब्लू होटल में मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भारत के विकसित हो रहे कानूनी इकोसिस्टम की उस महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला, जो संकटग्रस्त व्यवसायों के समर्थन, कॉरपोरेट गवर्नेंस की मजबूती और बदलते आर्थिक वातावरण में निवेशकों के विश्वास को पुनर्स्थापित करने में निर्णायक बनता जा रहा है।
इंटरएक्टिव सत्र के दौरान, श्री खेतान ने जोर देकर कहा कि पिछले दशक में भारत के दिवालियापन, कॉरपोरेट गवर्नेस और नियामक ढांचे में उल्लेखनीय परिपक्वता आयी है, जिसने व्यापार पुनरुद्धार के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि समय पर कानूनी हस्तक्षेप, बोर्ड-स्तरीय जवाबदेही, पारदर्शी प्रक्रियाएं और नैतिक निर्णय प्रक्रिया अब पूरे कॉरपोरेट क्षेत्र में विश्वास बहाल करने के लिए अनिवार्य हो गयी हैं।
एमएसएमई क्षेत्र पर ध्यान आकर्षित करते हुए, श्री खेतान ने बताया कि यद्यपि एमएसएमई भारत के औद्योगिक और रोजगार ढांचे की रीढ़ हैं, फिर भी वे सीमित ऋण उपलब्धता, भुगतान में देरी, कमजोर पुनर्गठन व्यवस्था और कम कानूनी जागरूकता जैसी लगातार चुनौतियों से जूझ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि कई एमएसएमई का संचालन विफलता के कारण नहीं, बल्कि समय पर कानूनी मार्गदर्शन न मिलने और वित्तीय संकट से निपटने के लिए संस्थागत समर्थन की कमी के कारण बंद हो जाता है। उन्होंने कहा कि एयूसीएल कानूनी इकोसिस्टम को मजबूत करना व्यवसायिक निरंतरता सुनिश्चित करने और आर्थिक प्रगति को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
वित्तीय संस्थानों के दृष्टिकोण पर बोलते हुए, श्री खेतान ने बैंकों में रिकवरी-ड्रिवन मॉडल से बाहर निकलकर रिवाइवल-ओरिएंटेड सोच अपनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आक्रामक रिकवरी कदम, विशेषकर समय से पहले कानूनी प्रवर्तन, अक्सर ऐसे उद्यमों को बंद होने की ओर धकेल देते हैं जिनमें दीर्घकालिक क्षमता होती है। इससे रोजगार का नुकसान होता है और आर्थिक मूल्य नष्ट हो जाता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि पुनर्गठन, एकमुश्त निपटान, मध्यस्थता-आधारित वार्ताएं और चरणबद्ध पुनर्भुगतान मॉडल जैसे समाधान हजारों व्यवसायों को बचा सकते हैं, साथ ही ऋणदाताओं के हितों की भी रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि रिकवरी नहीं, रिवाइवल विशेषकर टरटए२ के लिए नया सिद्धांत होना चाहिए।
श्री खेतान ने एयूसीएल द्वारा विकसित कई अभिनव पुनरुद्धार और पुनर्गठन समाधानों के बारे में जानकारी साझा की। इनमें शामिल हैं: सेक्टर-विशिष्ट रिवाइवल रणनीतियां, एमएसएमई-केंद्रित कानूनी टूलकिट, कस्टमाइज्ड एडजस्टेड डेब्ट-रिजॉल्यूशन मॉडल, अक-संचालित वित्तीय जोखिम विश्लेषण, गवर्नेस एन्हांसमेंट फ्रेमवर्क इन समाधानों को एयूसीएल की मजबूत लिटिगेशन और एडवाइजरी क्षमताओं के साथ एकीकृत किया गया है।
ताकि न केवल संकटग्रस्त व्यवसायों को स्थिर किया जा सके, बल्कि निवेशकों के विश्वास को भी बढ़ाया जा सके और दीर्घकालिक आर्थिक मूल्य निर्मित हो सके। इस दौरान श्री खेतान ने कहा कि कॉरपोरेट रिवाइवल केवल वित्तीय सुधार नहीं है; यह पारदर्शिता, जवाबदेही और रणनीतिक कानूनी अंतर्दृष्टि के माध्यम से विश्वास को पुनर्निर्मित करने की प्रक्रिया है।
एक मजबूत कानूनी ढांचा सुनिश्चित करता है कि व्यवसाय संकटों पर काबू पा सकें, निवेश आकर्षित कर सकें और देश की सतत आर्थिक वृद्धि में योगदान दे सकें। सत्र मीडिया के साथ बातचीत और रात्रिभोज के साथ संपन्न हुआ, जिसमें एयूसीएल ने विशेषकर एमएसएमई को कानूनी उपकरण, जागरूकता और सलाह प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया, ताकि वे जटिल चुनौतियों के बीच अपने संचालन को पुनर्जीवित कर सकें और भारत के आर्थिक विकास में सार्थक योगदान दे सकें।
मुंबई के प्रतिष्ठित नरीमन पॉइंट में स्थित अवउछ कॉरपोरेट और कानूनी सलाहकारी क्षेत्र में एक विश्वसनीय नाम है। फर्म की सेवाओं में शामिल हैं कॉरपोरेट रणनीति, मर्जर एवं अधिग्रहण, वित्तीय सलाह, डेब्ट सिंडिकेशन, इनसॉल्वेंसी मैनेजमेंट और लिटिगेशन।
एयूसीएल कॉरपोरेट फ्रॉड, व्हाइट-कॉलर क्राइम, बैंकिंग विवाद, कराधान, संकटग्रस्त ऋण और विवाद समाधान जैसे जटिल मामलों पर भी सलाह देती है। फर्म की विशेष सेवाओं में डिजिटल फॉरेंसिक्स, साइबर सुरक्षा, फॉरेंसिक आॅडिट, एंटरप्राइज रिस्क मैनेजमेंट और बिजनेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग शामिल हैं।
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