टीम एबीएन, रांची। प्रकृति की गोद में बाबा दिशोम गुरुजी के चले जाने के बाद रामदास दा का इस तरह से चले जाने की पीड़ा मेरे लिए अत्यंत असहनीय है। यह जो शून्यता बनी है, इसकी भरपाई शायद ही कभी हो पायेगी। स्मृति शेष बाबा दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के नेतृत्व में लंबे समय तक चले झारखण्ड अलग राज्य आंदोलन में स्व रामदास दा का अहम योगदान था।
उनका व्यवहार काफी सरल और सहज था। एक क्रांतिकारी-आंदोलनकारी के साथ-साथ उनका सामाजिक सरोकार काफी व्यापक था। वे अपने सार्वजनिक जीवन में लोगों के दु:ख-दर्द और समस्याएं को दूर करने के लिए हमेशा खड़े रहते थे।
राज्य में शिक्षा व्यवस्था को उत्कृष्ट बनाने को लेकर भी वे सजग रहते थे। शिक्षा को और कैसे बेहतर बनाया जाये, राज्य के हमारे नौनिहालों को कैसे उत्कृष्ट शिक्षा मिले, इसे लेकर हमारी कई बार चर्चा भी हुई थी।
स्व रामदास दा सशरीर हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन उनका व्यक्तित्व और कार्य सदैव सभी को उर्जा प्रदान करता रहेगा। मरांग बुरु दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिजनों को दु:ख की घड़ी सहन करने की शक्ति दे। इस दु:ख की घड़ी में पूरा झामुमो परिवार, शोकाकुल परिवार के साथ खड़ा है। महान आंदोलनकारी स्व रामदास दा अमर रहें! अमर रहें! अमर रहें!
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