एबीएन एडिटोरियल डेस्क। भारतीय सिनेमा के इस सदी के महान अभिनय कलाकार अमिताभ बच्चन से पूछा गया कि आपकी सबसे बड़ी ताकत क्या है? उन्होंने जवाब दिया कि मुझे तीन स्रोतों से शक्ति प्राप्त होती है। पहला माता-पिता के द्वारा प्राप्त संस्कार से भावनाएं एवं संवेदनाएं उनकी व्यक्तिगत शक्ति है। दूसरी ताकत का स्रोत उनका परिवार है और तीसरा स्रोत उनका अपना समाज है।
शक्ति प्राप्त करने के अन्य स्रोत और भी हो सकते हैं। परंतु उन शक्तियों का उपयोग ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। शक्ति से ही परिश्रम किया जा सकता है और परिश्रम ही वह माध्यम है जिसके बल पर निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है। छत्रपति शिवाजी महाराज को भावनात्मक एवं संवेदनात्मक शक्ति (विचार शक्ति) अपने गुरुदेव समर्थ रामदास से प्राप्त होती थी।
उनका परिवार उनका संबल था तो तत्कालीन समाज का नैतिक समर्थन उनकी सबसे बड़ी शक्ति थी; और इन्हीं शक्तियों के आधार पर उन्होंने स्वराज की स्थापना की। हमारा व्यक्तिगत विचार शक्ति, परिवार की शक्ति और समाज की शक्ति कितना सबल एवं महत्वपूर्ण है इस बात को हमें समझनी चाहिए। सामने यदि कोई बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया गया हो तो समाज के समर्थन, सहयोग एवं समर्पण के बिना नहीं प्राप्त किया जा सकता है। अपने-अपने कर्तव्यों का भार उठाना ही पड़ेगा क्योंकि इसके सिवा कोई अतिरिक्त मार्ग होता ही नहीं है।
आज के समय में संयुक्त परिवार की अवधारणा/ कॉन्सेप्ट थोड़ा कम व्यावहारिक रह गया है। परंतु परिवार के प्रति भावनात्मक जुड़ाव में कमी चिंता का विषय है। हम जहां भी रहे हमारा अपना परिवार का दायरा जो कुछ भी हो परंतु भावनात्मक स्वरूप में संयुक्त परिवार से जुड़े रहने में उतनी कठिनाई भी नहीं है। (लेखक वरिष्ठ स्तंभकार और लेखक हैं।)
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