डॉ अंकित कुमार को मानद फेलोशिप की घोषणा से गौरवान्वित हुआ झारखंड

 

विजय केसरी  

एबीएन एडिटोरियल डेस्क। हजारीबाग जिले के जाने-माने युवा शल्य चिकित्सा डॉ अंकित कुमार जयपुरियार का चयन वर्ष 2025 के लिए अमेरिकन कॉलेज आफ  सर्जंस की मानद  फैलोशिप के लिए किया गया है। विश्व भर में चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए अमेरिकन कॉलेज आॅफ सर्जंस की ओर से दिया जाने वाला यह सबसे बड़ा सम्मान है। वे झारखंड के पहले चिकित्सक हैं, जिनका इस मानद फेलोशिप के लिए चयन हुआ है। निश्चित तौर पर यह संपूर्ण झारखंड के लिए एक गौरव की बात है। 

डॉ अंकित कुमार एक युवा चिकित्सा होने के साथ नरम दिल, सहज और सरल हैं। वे अपने पेशे  के प्रति पूरी तरह और निष्ठावान और समर्पित है। कोई भी रोगी एक बार जब उनसे मिल लेता है, उनके कुशल व्यवहार और चेहरे पर मुस्कान देखकर ही उसकी  बीमारी आधी दूर हो जाती है। डॉ अंकित अपने हर एक रोगियों से बहुत ही सत्कार के साथ मिलते हैं। वे रोगियों की जांच बहुत ही धैर्य और ध्यान के साथ करते हैं। वे कुछ ही मिनटों में रोगी से बातचीत कर उनकी बीमारी से संबंधित कई बातें पूछ कर रोग का पता लगा लेते हैं। 

इसके बाद ही वे उचित जांच, परामर्श और दवा लिखते हैं। डॉ अंकित कुमार का परामर्श और दवा किसी भी रोगी के लिए वरदान साबित हो जाता है। रोगी जल्द ही ठीक हो जाता है। डॉ अंकित कुमार विश्व चिकित्सा क्षेत्र में क्या-क्या नये अनुसंधान हो रहे हैं? इस निमित्त समय निकालकर चिकित्सा अनुसंधान से संबंधित पुस्तकें पढ़ते रहते हैं। वे नियमित रूप से नई चिकित्सा से संबंधित पुस्तकें मंगा कर अपने ज्ञान का विस्तार करते रहते हैं। 

उनका इस बात पर जोर होता है कि कम से कम खर्चे में नये से नये आधुनिक चिकित्सा उपकरण से रोगियों की शल्य चिकित्सा की जाये। खासकर गरीब मरीजों को और बेहतर चिकित्सा के लिए अन्य प्रदेशों में जाना न पड़े। वे गरीब मरीजों के लिए एक वरदान साबित हो रहे हैं। आज भागमभाग भरी जिंदगी में पैसे कमाने की होड़ में दुनिया बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ती चली जा रही है। जहां मानवीयता के लिए बहुत कम जगह बच पा रही है। दूसरी शब्दों में कहें तो मानवीयता तार तार होकर रह जा रही है।

ऐसे विषम परिस्थिति में डॉ अंकित कुमार जयपुरियार जैसे नरम दिल  चिकित्सक का होना चिकित्सा जगत के लिए एक बड़ी उपलब्धि के समान है। डॉक्टर अंकित कुमार पैसे कमाने की इस हौड़ से अपने को बहुत दूर रखा है। उनके लिए चिकित्सा एक सेवा के समान है। वे हर पल इस प्रयास में जुटे रहते हैं कि जैसे भी हो, रोगी के चेहरे पर फिर से मुस्कान आ जाए। यह लिखते हुए बेहद दु:ख होता है कि चिकित्सा सेवा एक व्यवसाय के रूप में परिवर्तित चुका है। जहां सिर्फ और सिर्फ पैसे का ही बोल बाला होता है। 

यह रूपांतरण चिकित्सा जगत के लिए उचित नहीं है। दुनिया चिकित्सकों को दूसरे भगवान के रूप में दर्जा देते हैं। समाज में चिकित्सकों का बहुत ही मान और प्रतिष्ठा है। इस बात को अधिकांश  चिकित्सक भूल चुके हैं। आज भी बहुत सारे लोग पुराने चिकित्सकों का नाम बहुत ही गर्व के साथ इसलिए लेते हैं कि उस जमाने के चिकित्सक पैसे के पीछे नहीं भागते थे बल्कि रोगी कैसे ठीक हो, इस पर जोर दिया करते थे। डॉ अंकित कुमार जयपुरियार ने चिकित्सा सेवा की उस परंपरा को फिर से जीवंत करने का प्रयास किया है। डॉ अंकित का यह कदम अन्य चिकित्सकों के लिए अनुकरणीय और प्रेरणादाई सिद्ध होगा।

डॉ अंकित कुमार का परिवार विगत तीन पीढियां से चिकित्सा सेवा जुड़े रहे हैं। यह  किसी भी परिवार के लिए गर्व करने वाली बात होती है। डॉ अंकित कुमार के पिता डॉ नवेंदु शंकर जयपुरियार होम्योपैथ के एक सफल चिकित्सा के रूप में जाने जाते हैं। एक ओर जहां महंगी हो रही अंग्रेजी दवाओं और साईड दुष्प्रभावों से रोगी परेशान हो रहे हैं। डॉ नवेंदु शंकर जयपुरियार ऐसे रोगियों के लिए एक वरदान साबित हो रहे हैं। 

वे हजारीबाग में होम्योपैथी की चिकित्सा के माध्यम से नित सैकड़ों रोगियों के चेहरे पर मुस्कान लौटा रहे हैं। यहां यह लिखते हुए गर्व होता है कि कई बड़े-बड़े एमबीबीएस चिकित्सक भी डॉ नवेंदु जयपुरिया के परामर्श पर होम्यो पैथ  की दवा खाकर ठीक हो रहे हैं। डॉ नवेंदु शंकर जयपुरियार ने भी इस पेशे को सेवा के रूप में लेकर गौरवान्वित किया है। डॉ अंकित कुमार के दादा स्वर्गीय डॉ गिरजा शंकर प्रसाद भी होम्योपैथी के एक जाने माने डॉक्टर थे। वे प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में रोगियों को देखा करते थे। 

वे कई रोगियों से कुछ भी नहीं लिया करते थे बल्कि उनकी सेवा नि:शुल्क दिया करते थे। उन्होंने भी इस पेशे को समाज सेवा से के रूप में लिया था। आज भी लोग उनका नाम बड़े ही गर्व के साथ लेते हैं। वे एक चिकित्सक के साथ वरिष्ठ समाजसेवी भी थे। डॉ अंकित का जन्म हजारीबाग में हुआ। उन्होंने  हजारीबाग के संत जेवियर स्कूल से 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद उन्होंने रांची डीपीएस से प्लस टू की पढ़ाई पूरी की थी। उनके माता-पिता चाहते थे कि अंकित भी एक डॉक्टर बने। अंकित की भी इच्छा थी कि वे अपने दादा और पिता की तरह ही एक डॉक्टर बनें।  इसलिए उन्होंने कोयंबटूर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में दाखिला हेतु मेडिकल परीक्षा दी। 

वे इस मेडिकल परीक्षा में सफल होकर कोयंबतूर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमएस की डिग्री हासिल की। अभी डॉ अंकित जयपुरियार अनुबंध पर हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ में मेडिकल आॅफिसर के पद पर कार्यरत हैं। यहां से पहले वे देश के प्रतिष्ठित अस्पताल सीएमसी, कोयंबटूर, ओएनसी हॉस्पिटल, चेन्नई और उसके बाद रायपुर में सीडीटीएच हॉस्पिटल में बतौर सर्जन काफी वक्त तक काम करने के बाद अपने शहर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। डॉ अंकित कुमार जयपुरियार को लेप्रोस्कोपी और इंडोस्कोपी से आपरेशन में महारत हासिल है। 

हजारीबाग जैसे छोटे शहर में जहां चिकित्सीय संसाधन भी कम हैं। डॉ अंकित इन चुनौतियों का सामना करते हुए ऐसे ऐसे आपरेशन करने में सफल हो रहे हैं, जिन आपरेशन करने में लाखों के खर्च आते हैं। डॉ अमित की इस विलक्षण चिकित्सीय प्रतिभा को देखते हुए अन्य शल्य चिकित्सक भी परामर्श के लिए उन्हें अपने अपने अपने क्लीनिक में बुलाते रहते हैं। यह लिखते हुए गर्व होता है कि डॉ अंकित झारखंड के एकलौते चिकित्सक हैं, जिनका चयन अमेरिकन कॉलेज आफ सर्जंस की मानद फेलोशिप के लिए हुआ हुआ है। 

वर्ष 2024 में विभिन्न देशों के आठ चिकित्सकों में मात्र एक भारतीय चिकित्सा डॉ शैलेश विनायक श्रीखंडे का हुआ था। डॉ अंकित झारखंड के पहले चिकित्सक हैं, जिनका इस मानद फैलोशिप के लिए चयन हुआ है। यह मानद फेलोशिप प्राप्त करने के लिए डॉ अंकित को कई परीक्षाओं के दौर से गुजरना पड़ा। डॉ अंकित ने इस मानद फेलोशिप के लिये अपने चयन के बाबत बताया कि छोटे शहर में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के कारण उन्हें चुना गया। आगे उन्होंने कहा कि  इस मानद फेलोशिप चयन की प्रक्रिया काफी कठिन रही। पहले तो छह- सात माह आॅनलाइन परीक्षा ली गयी। इसके बाद मार्च में दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसरों ने साक्षात्कार लिया।  

उसके बाद अंतिम साक्षात्कार अमेरिका के चिकित्सक प्रोफेसर द्वारा साक्षात्कार लिया गया। इसके बाद ही उनका मानद फैलोशिप के लिए चयन हुआ।  आगे उन्होंने बताया कि मानद फेलोशिप का सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस दौरान मिलनेवाली आधुनिक सर्जरी की ट्रेनिंग है। यह ट्रेनिंग पूरी करने के बाद शल्य चिकित्सा के  क्षेत्र में क्या-क्या नये-नये चिकित्सीय उपकरण इस्तेमाल हो रहे हैं?  इसके साथ ही हाल के दिनों में चिकित्सा क्षेत्र में आये बदलावों को जान पाऊंगा। जिसका लाभ मैं झारखंड के रोगियों को दे पाऊंगा। इस नवीनतम चिकित्सीय शल्य ट्रेनिंग के लिए बहुत ही उत्साहित हूं। इसी साल 4 से 7 अक्टूबर तक शिकागो में यह ट्रेनिंग चलेगी। (लेखक वरिष्ठ कथाकार/स्तंभकार हैं। उनका निवास पंच मंदिर चौक, हजारीबाग - 825301 और संपर्क नंबर 92347 99550 है।)

Newsletter

Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.

We do not share your information.

abnnews24

सच तो सामने आकर रहेगा

टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।

© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse