एबीएन हेल्थ डेस्क। वर्तमान समय में देखने में आ रहा है कि युवाओं के कई शौक उनके लिए गंभीर घातक होते जा रहे हैं। जिसके कारण हमारी युवा पीढ़ी आंतरिक रूप से कमजोर और कई रोगों का शिकार हो रही है। उन्हीं में से एक रोग है पैंक्रियाटाइटिस। योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि मानव शरीर में अग्न्याशय एक महत्वपूर्ण ग्रंथि है, जो भोजन पचाने के लिए एंजाइम तथा ब्लड शुगर नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन जैसे हार्मोन बनाता है।
लेकिन जब इस ग्रंथि में सूजन आ जाती है, तो यह स्थिति पैंक्रियाटाइटिस कहलाती है। आधुनिक जीवनशैली, शराब सेवन, तंबाकू सिगरेट का सेवन अनियमित खान-पान और बढ़ता तनाव इस रोग को तेजी से बढ़ाने वाले प्रमुख कारण बनते जा रहे हैं। पैंक्रियाटाइटिस रोग मै अग्न्याशय में सूजन हो जाना ही पैंक्रियाटाइटिस है।
यह दो प्रकार के होता है, एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस इसमें दर्द अचानक शुरू होता है, तीव्र दर्द और उल्टी-बुखार जैसे लक्षण होते हैं। क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस इसमें अग्नाशय में लंबे समय तक सूजन बनी रहती है जिससे ग्रंथि धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होती जाती।
पैंक्रियाटाइटिस रोग होने के पीछे कई कारण है जिसमें अव्यवस्थित दिनचर्या, हमारा खानपान, अत्यधिक शराब सेवन, अधिक तनाव और दिनचर्या में आये परिवर्तन के कारण पैंक्रियाटाइटिस में गॉलब्लैडर से निकली पथरी पैंक्रियाटिक डक्ट को ब्लॉक कर देती है। जिससे एंजाइम बाहर निकल नहीं पाते और ग्रंथि को ही पचाने लगते हैं।
लंबे समय तक शराब पीने से अग्न्याशय की कोशिकाएं सूजकर नष्ट होती जाती हैं। खून में वसा या कैल्शियम बढ़ने पर अग्न्याशय के एंजाइम सक्रिय होकर सूजन पैदा करते हैं। कुछ वायरल संक्रमण अग्न्याशय में सूजन कर सकते हैं। कुछ एंटीबायोटिक्स, हाई बीपी व डायबिटीज की दवाइयां भी कारण बन सकती हैं। पैंक्रियाटाइटिस से हमारे स्वास्थ्य पर कई नुकसान हो सकते हैं यदि समय पर ध्यान न दिया जाये, तो यह गंभीर रूप ले सकता है।
पाचन क्षमता का नष्ट होना अग्न्याशय एंजाइम सही मात्रा में नहीं बनते, जिससे खाना पचता नहीं दस्त वजन तेजी से कम होना डायबिटीज का खतरा इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट होती हैं। अग्न्याशय में सिस्ट या छाले जो फटकर अंदरूनी संक्रमण बढ़ा सकते हैं। मल्टी-आर्गन फेलियर गंभीर अवस्था में किडनी, फेफड़ों और हृदय पर प्रभाव पड़ता है।
लगातार पेट दर्द क्रॉनिक रूप में दर्द वर्षों तक रह सकता है। पैंक्रियाटाइटिस रोग को ठीक करने में में योग की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आधुनिक शोधों के अनुसार, योग अग्न्याशय की क्रियाशीलता को सुधारने में लाभकारी है क्योंकि यह, पाचन तंत्र को सक्रिय करता है, ब्लड शुगर नियंत्रित करता है, सूजन कम करता है, तनाव व कोर्टिसोल लेवल घटाता है, जिससे एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभाव मिलता है। पेट में रक्त संचार बढ़ाता है, जो हिलिंग में मदद करता है।
पैंक्रियाटाइटिस रोगी को योग, योग विशेषज्ञ योगाचार्य के मार्ग दर्शन मै ही करना चाहिए, इस रोग से उभरने ओर बचाव के लिए जीवनशैली में सुधार अति आवश्यक है जिसमें शराब बिल्कुल बंद कर दे, तला-भुना, तैलीय भोजन न लें, छोटी-छोटी मात्रा में हल्का भोजन ले, पानी पर्याप्त ले, तनाव से बचे संतुलित व सात्विक भोजन गृहण करे व्यवस्थित दिनचर्या के पालन करे योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
पैंक्रियाटाइटिस एक गंभीर लेकिन नियंत्रित किया जा सकने वाला रोग है। एक ओर आधुनिक चिकित्सा सही निदान और उपचार प्रदान करती है। वहीं योग, संतुलित आहार और तनाव-नियंत्रण इसके प्रबंधन में अत्यंत सहायक सिद्ध होते हैं। योगासन पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं, प्राणायाम सूजन कम करते हैं, और ध्यान मानसिक शांति प्रदान कर शरीर के हीलिंग तंत्र को गति देते हैं। इसलिए पैंक्रियाटाइटिस के रोगियों को विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह के साथ मापदंडित योगाभ्यास अपनाना चाहिए।
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