शरीर को सभी परेशानियों से बचाता है योग-प्राणायाम : महेश पाल

 

खराब मौसम में वायु जल तत्वों के असंतुलन से शरीर में ठंडक जकड़न और रक्तसंचार की कमी से बचाव के लिए करे योग-प्राणायाम : योगाचार्य महेश पाल

एबीएन हेल्थ डेस्क। वर्तमान समय में चल रहे मौसम में बदलाव के कारण स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हमारे सामने आ रही हैं योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि जब आसमान बादलों से घिरा हो, ठंडी हवाएं चल रही हों या कभी भी बरसात और धूल भरी आंधी की संभावना बनी हो, तब मनुष्य का शरीर और मन दोनों प्रकृति के इस बदलाव से गहराई से प्रभावित होते हैं। 

ऐसे खराब मौसम में अकसर लोग थकावट, आलस्य, बेचैनी, सर्दी-जुकाम, जोड़ों में दर्द, तनाव या मानसिक उदासी महसूस करते हैं। ठीक इसी परिस्थिति में योग का अभ्यास शरीर और मन दोनों को संतुलन में रखने का सर्वोत्तम उपाय है। खराब मौसम में वायु और जल तत्वों का असंतुलन बढ़ जाता है, जिससे शरीर में ठंडक, जकड़न और रक्तसंचार की कमी होती है। 

ऐसे समय में सूर्यनमस्कार, त्रिकोणासन, भुजंगासन, ताड़ासन जैसे योगासन शरीर में ऊर्जा प्रवाह को बढ़ाते हैं इनसे रक्तसंचार सुधरता है, जोड़ों में लचीलापन आता है, और प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे सर्दी-जुकाम या वायरल संक्रमण से बचाव होता है। बरसात या ठंड के मौसम में हवा में नमी और धूल के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। 

ऐसे में भस्त्रिका, सूर्यभेदी, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, और कपालभाति प्राणायाम अत्यंत लाभकारी होते हैं। ये न केवल श्वास नलिकाओं को साफ करते हैं, बल्कि फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं, जिससे आक्सीजन की मात्रा शरीर में संतुलित रहती है। खराब मौसम के दौरान अक्सर उदासी, नकारात्मकता और सुस्ती मन में घर कर लेती है। इस स्थिति में ध्यान व्यक्ति को आत्मसंयम और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है। 

कुछ मिनटों का ध्यान मन को हल्का करता है, विचारों को स्थिर करता है और अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है। खराब मौसम में सबसे अधिक जरूरत होती है प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की। योगिक क्रियाएं जैसे जलनेति, कुंजल क्रिया, और त्राटक शरीर को आंतरिक रूप से शुद्ध करती हैं और रोगों से बचाव की क्षमता विकसित करती हैं। नियमित अभ्यास से शरीर वातावरण के परिवर्तन के प्रति अधिक सहनशील बनता है। 

खराब मौसम में बाहर व्यायाम या वॉक संभव नहीं होता, लेकिन योग घर के भीतर आराम से किया जा सकता है। इसके लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। सिर्फ एक शांत जगह, योगा मैट और मन की तैयारी चाहिए। सुबह या शाम के समय हल्का संगीत या मंत्र उच्चारण के साथ योग करने से मन को नई ऊर्जा मिलती है। योग केवल शरीर का व्यायाम नहीं, बल्कि यह प्रकृति और आत्मा के बीच संतुलन का मार्ग है। 

खराब मौसम में जब प्रकृति असंतुलित प्रतीत होती है, तब योग हमें सिखाता है कि अंदर की स्थिरता बनाए रखें। योगिक दर्शन कहता है  योग: चित्तवृत्ति निरोध: अर्थात् योग मन की वृत्तियों को शांत करने का माध्यम है। इस दृष्टि से देखा जाए तो खराब मौसम बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक तपस्या का अवसर बन सकता है। 

इस प्रकार के मौसम में सर्दी जुकाम कफ खांसी से बचाव के लिए कुछ आयुर्वेदिक औषधियां का भी प्रयोग किया सकता है जिसमें गिलोय का काढ़ा, गुनगुने पानी का उपयोग, सुबह से लेकर शाम के बीच में एक समय अजवाइन लहसुन अदरक गुड काली मिर्च लौंग का काढ़ा काफी उपयोगी होता है साथ में ही रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म पानी में हल्दी और काला नमक को उबालकर उस पानी से गरारे जरूर करें जिससे गले के इन्फेक्शन कफ खांसी में काफी आराम मिलता है।

7 में यह ज्ञान विशेष रूप से रखें इस प्रकार के खराब मौसम में ठंडी वस्तुएं खट्टी वस्तुएं अचार का सेवन बिल्कुल न करें इस प्रकार के खाद्य पदार्थों में सावधानी बरते और योग का अभ्यास करते रहें, खराब मौसम शरीर और मन दोनों की परीक्षा लेता है, परंतु योग उस परीक्षा को अवसर में बदल देता है।योग न केवल स्वास्थ्य की रक्षा करता है, बल्कि धैर्य, सकारात्मकता और आत्मबल भी बढ़ाता है।इसलिए, चाहे आंधी हो, बरसात हो या ठंड का मौसम योग हर परिस्थिति में मानव का सबसे विश्वसनीय साथी है।

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