टीम एबीएन, रांची। झारखंड के आदिवासी संगठनों ने कुड़मी समाज की एसटी दर्जा मांग के खिलाफ 17 अक्टूबर को रांची के धुर्वा प्रभाततारा मैदान में आदिवासी हुंकार रैली आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस रैली में राज्यभर से हजारों की संख्या में सरना धर्मावलंबी और आदिवासी समाज के लोग हिस्सा लेंगे।
भारत के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय पाहन ने कहा कि यह आंदोलन आदिवासी समाज के अस्तित्व की रक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पाहन ने बताया कि आदिवासी समाज इस धरती के सच्चे मूल निवासी हैं और इतिहास में उन्हें आदिवासी के रूप में औपचारिक दर्जा प्राप्त है।
वहीं कुड़मी समाज मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है और उनमें आदिम जनजातीय लक्षण नहीं पाए जाते। पाहन ने कुडमी समाज की एसटी दर्जा मांग को राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया मामला बताया और इसे आदिवासी समाज के हितों पर हमला कहा।
उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल जल, जंगल और जमीन की नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता की रक्षा की लड़ाई है। पाहन ने यह भी उल्लेख किया कि आदिवासी महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली लाल पाड़ साड़ी अब संघर्ष और पहचान का प्रतीक बन चुकी है। यह साड़ी हर आदिवासी घर में मौजूद है और रैली के दौरान इसके माध्यम से आंदोलन की एकजुटता दर्शाई जायेगी।
झारखंड आदिवासी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रवि तिग्गा ने बताया कि यह रैली ऐतिहासिक होगी और राज्य के हर कोने से सरना धर्मावलंबी इसमें शामिल होंगे। तिग्गा ने कहा कि आदिवासी समाज की भौगोलिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को किसी भी दशा में कमजोर नहीं होने दिया जायेगा। उनका यह भी स्पष्ट किया कि रैली शांतिपूर्ण होगी, लेकिन आदिवासी अधिकारों पर किसी भी प्रकार के हमले या साजिश को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
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