एबीएन सोशल डेस्क। झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री सह विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि भारत विविधताओं का देश है, जहां प्रत्येक पर्व अपने आप में विशेष महत्व रखता है। इन्हीं पर्वों में से एक है दीपावली, जिसे दीवाली के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष दीपावली का महापर्व 20 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाया जायेगा।
यह पर्व न केवल हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, बल्कि जैन, सिख एवं बौद्ध धर्मों में भी इसका विशेष स्थान है। दीपावली सिर्फ रोशनी और पटाखों का त्यौहार नहीं है बल्कि अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञानता से ज्ञान की ओर और बुराई से अच्छाई की ओर जाने का प्रतीक है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है और पूरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास के साथ इसका आयोजन होता है।
इस दौरान लोग अपने घरों की सफाई करते हैं रंगोली सजाते हैं दिये जलाते हैं और नए सामान की खरीदारी करते हैं दिवाली केवल एक दिन का त्यौहार नहीं है बल्कि यह 5 दिनों तक चलने वाला महापर्व है हर दिन का अपना धार्मिक महत्व और अलग पूजन विधान होता है पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भैया दूज पर। इन पांच दिनों में मुख्य आकर्षण माता महालक्ष्मी की पूजा होती है जो कार्तिक अमावस्या की रात में की जाती है।
इस दिन लोग घर-आंगन में दीप जलाकर अंधकार को दूर करते हैं और धन- समृद्धि की देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, दीपावली के दिन भगवान श्रीराम चंद्रजी 14 वर्षों के वनवास के पश्चात अयोध्या लौटे थे।
अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया और तभी से दीप जलाने की परंपरा चली आ रही है। इसी दिन भगवान विष्णु ने नरकासुर का वध कर 16 हजार कन्याओं को मुक्त कराया था, जिसे नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है दीपावली का त्योहार पांच दिनों तक चलने वाला उत्सवों में प्रमुख हैं :
इस दिन लोग एक-दूसरे के घर मिठाइयां बांटते हैं, उपहार देते हैं पटाखे जलाते हैं और साथ मिलकर त्योहार की खुशियां मनाते हैं। यह उत्सव आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि व्यापारिक वर्ष का आरंभ इसी दिन से माना जाता है।
दीपावली खुशियों का पर्व है,आज आवश्यकता है कि हम पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए दीपावली को हरित इको फ्रेंडली तरीके से मनायें जैसे मिट्टी के दीप जलाना, कम ध्वनि वाले पटाखों का चयन करना और स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देना। दीपावली केवल दीपों का पर्व नहीं है, यह हमारे जीवन में उजाला, प्रेम, सौहार्द और आशा का संदेश लाता है।
यह पर्व हमें यह सिखाता है कि चाहे अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटा सा दीप भी उजाला फैला सकता है। आइये इस दीपावली हम संकल्प लें कि हम अपने भीतर और समाज में अच्छाई, सत्य और सकारात्मकता का प्रकाश फैलायें। दीप जलायें, आशा जगायें- यही है दीपावली का सच्चा संदेश।
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