एबीएन सेंट्रल डेस्क (जोधपुर)। राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राज्य सरकार की सभी विशेष अपीलों को खारिज करते हुए एकलपीठ के उस महत्वपूर्ण निर्णय को बरकरार रखा है, जिसमें अस्थायी नियुक्ति तिथि से ही सेवा एवं पेंशन लाभ देने के आदेश दिये गये थे।
यह फैसला आयुर्वेद चिकित्सक डॉ बिजेंद्र सिंह त्यागी, पवन कुमार शर्मा सहित अन्य याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आया है, जिन्हें अब उनकी प्रारंभिक अस्थायी नियुक्ति तिथि से समस्त सेवा व पेंशन परिलाभ मिल सकेंगे।
राज्य सरकार की विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डॉ पुष्पेंद्र सिंह भाटी और न्यायमूर्ति संदीप तनेजा की खंडपीठ ने कहा कि एकलपीठ का आदेश विधिसम्मत और यथोचित है। अत: इसे बरकरार रखते हुए राज्य सरकार की सभी अपीलें निरस्त की जाती हैं।
याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर और अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पैरवी की। उन्होंने दलील दी कि वर्ष 1990 से 1993 के बीच आयुर्वेद विभाग में अस्थायी रूप से नियुक्त चिकित्सकों को बाद में नियमित किया गया, लेकिन उनकी प्रारंभिक अस्थायी सेवा अवधि को कुल सेवा काल में नहीं जोड़ा गया और वसूली आदेश जारी कर दिये गये थे।
एकलपीठ ने 12 जनवरी 2023 को इन वसूली आदेशों को रद्द करते हुए आरंभिक नियुक्ति तिथि से सेवा व पेंशन लाभ देने के निर्देश दिये थे। राज्य सरकार ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए विशेष अपीलें दाखिल कीं, जिन्हें अब खंडपीठ ने पूरी तरह खारिज कर दिया। इस निर्णय से प्रदेश के बड़ी संख्या में आयुर्वेद चिकित्सकों को महत्वपूर्ण राहत प्राप्त हुई है।
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