एबीएन सेन्ट्रल डेस्क। केरल में मानसून के दस्तक देने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि इससे झारखंड में भी जल्द ही मौसम सुहावना हो जाएगा और लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी, लेकिन लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। क्योंकि बिहार के चौखट पर अभी तक मानसून ने दस्तक नहीं दी है, ऐसे में झारखंड में इसके आने में थोड़ी देरी हो सकती है और लोगों को कुछ और इंतजार करना पड़ सकता है।
रांची मौसम केंद्र के मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि 24 मई केरल में मानसून ने दस्तक दी। ऐसे में उम्मीद थी कि 5 से 6 जून तक झारखंड में भी दस्तक देगा। अगर सब कुछ ठीक रहा तो। लेकिन, बंगाल की खाड़ी में बने सिनॉप्टिक फीचर और मानसून के स्थिर होने के कारण अब थोड़ा लेट होगा।
मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि नॉर्थ वेस्ट बंगाल की तरफ लो प्रेशर एरिया बना हुआ है। इस लो प्रेशर एरिये की वजह से यह मानसून की हवा को कमजोर कर देता है। ऐसे में फिलहाल बारिश की संभावना नजर नहीं आ रही है। यह प्रेशर अगर आगे चलकर और प्रबल हुआ तो मानसून की नमी को कमजोर कर देगा।
इसलिए फिलहाल मानसून आने में थोड़ा समय लगेगा। क्योंकि, झारखंड में मानसून बंगाल और बिहार को टच करते हुए ही आता है। इन दोनों जिलों में दस्तक देने के बाद ही झारखंड की तरफ रुख करता है। लेकिन अभी तक इन दोनों जगह मानसून नहीं आया है।
दरअसल, केरल में एक हफ्ते पहले मानसून आने से ऐसा अनुमान था कि इस बार मानसून पहले आयेगा। लेकिन इस तरह का सिनॉप्टिक फीचर बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर और केरल में मानसून का थोड़ा स्थिर होना, मानसून के लेट होने का कारण है।
मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि केरल में मानसून पहुंचने और स्थिर रहने के कारण झारखंड में इसके पहुंचने में कुछ विलंब हो सकता है ऐसे में पहले जो अनुमान था कि जून के फर्स्ट वीक में मानसून आएगा अब ऐसा नहीं होगा बल्कि लेट होगा।
ऐसे में लोगों को जून के लास्ट वीक का इंतजार करना होगा. लास्ट वीक तक निश्चित तौर पर मानसून झारखंड में दस्तक दे देगी और इस बार जरूरत से अधिक बारिश होगी। इस बार 108 प्रतिशत तक बारिश हो सकती है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) ने भारत में जून में सामान्य से अधिक वर्षा होने का अनुमान लगाया है, जो दीर्घावधि औसत का 108 प्रतिशत होगी। यह 2025 के दौरान मानसून की शुरुआत का संकेत है, जो 16 वर्षों में सबसे पहले है। आइएमडी के अनुसार, जून में सामान्य से अधिक वर्षा होगी, जो दीर्घावधि औसत का 108 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
2024 में भारत में 934.8 मिमी वर्षा हुई, 2023 में 820 मिमी वर्षा हुई थी, जो औसत से 94.4% अधिक थी। कटऊ ने कहा कि पूरे मानसून के दौरान देश में 87 सेमी की दीर्घकालिक औसत बारिश का 106 प्रतिशत बारिश हो सकती है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि इस मौसम में मानसून कोर जोन में सामान्य से अधिक (लंबी अवधि के औसत का 106 प्रतिशत से अधिक) बारिश होने की संभावना है।
मानसून कोर जोन में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आसपास के इलाके शामिल हैं। इस क्षेत्र में ज्यादातर बारिश दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान होती है और यह कृषि के लिए काफी हद तक इस पर निर्भर करता है। उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य बारिश होने की संभावना है, जबकि पूर्वोत्तर में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
आइएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि मध्य और दक्षिण भारत में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज किए जाने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) ने बीते सोमवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अपनी सामान्य तारीख से 16 दिन पहले मुंबई पहुंच गया है। 1950 के बाद से पहली बार इसका इतनी जल्दी आगमन हुआ है। मानसून ने शनिवार को केरल में दस्तक दी, जो 2009 के बाद से भारत की मुख्य भूमि पर इतनी जल्दी इसका पहली बार आगमन है। उस साल यह 23 मई को इस राज्य में पहुंचा था।
दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर एक जून तक केरल में प्रवेश करता है। 11 जून तक मुंबई पहुंचता है और आठ जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से लौटना शुरू कर देता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से लौट जाता है।
दक्षिण पश्चिम मानसून के भारत के लिए इतना खास होने की पहली वजह तो ये है कि जून से सितंबर तक की ये मानसूनी बारिश देश में सालाना बारिश का 70% है। यानी देश की पानी की जरूरतें सबसे ज्यादा इसी बारिश के भरोसे पूरी होती हैं। भारत में खेती की 60% जमीन सिंचाई के लिए मानसून के ही भरोसे है। धान, मक्का, बाजरा, रागी और अरहर जैसी खरीफ की फसलें दक्षिण पश्चिम मानसून के भरोसे ही रहती हैं।
मौसम विभाग ने आगामी कुछ दिनों में केरल, कर्नाटक, तटीय महाराष्ट्र और गोवा के कुछ इलाकों में बहुत से बहुत भारी बारिश होने की संभावना जताई है। साथ ही केरल, मुंबई शहर सहित कोंकण, मध्य महाराष्ट्र के घाट क्षेत्रों, कर्नाटक के तटीय और घाट क्षेत्रों में आज अत्यंत भारी बारिश की संभावना है।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड में 31 मई तक गर्जन, हल्की बारिश, आकाशीय बिजली गिरने और 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवा चलने को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है।
मौसम विभाग के अनुसार झारखंड में 10 जून से पहले मॉनसून के पहुंचने की सम्भावना है। यही वजह है विभिन्न जिलों में प्री मॉनसून की बारिश ही रही है।
इससे राज्य भर में तापमान में कमी आई है और लोगों को गर्मी से राहत मिली है। रांची और आसपास के इलाकों में सोमवार को बादल छाए रहे।
पिछले 24 घण्टों में राज्य में सबसे अधिक बारिश पश्चिमी सिंहभूम के ढालभूमगढ़ में 47.4 मिली मीटर रिकार्ड की गई। वहीं सबसे अधिक अधिकतम तापमान डालटेनगंज में 35.2 डिग्री और सबसे कम न्यूनतम तापमान 20.5 डिग्री सेल्सियस लातेहार में रिकॉर्ड किया गया।
वहीं रांची में सोमवार का अधिकतम तापमान 30, जमशेदपुर में 34.4, बोकारो में 33.1 और चाईबासा में तापमान 34.4 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। देश के एक हिस्से में मानसून की दस्तक हो रही है, तो दूसरे हिस्से में लू जानलेवा साबित हो रही है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने शनिवार को देशभर के लिए बड़ा अलर्ट जारी किया है। दक्षिण भारत में मानसून के शुरूआती कदम पड़ चुके हैं, वहीं उत्तर-पश्चिम भारत भीषण गर्मी से झुलस रहा है।
मौसम विभाग के मुताबिक, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में शनिवार से मानसून सक्रिय हो जायेगा। अगले कुछ दिनों में यह मानसून पूर्वोत्तर राज्यों को भी कवर कर लेगा। 4 से 5 जून तक इसके मध्य और पूर्वी भारत तक पहुंचने की संभावना है। इससे देश के अधिकांश हिस्सों में राहत की उम्मीद की जा रही है।
आईएमडी ने 29 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों - जिनमें केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, पूर्वोत्तर के सभी राज्य, ओडिशा, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं - के लिए आंधी, बारिश और तूफान का चेतावनी जारी की है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में ओले गिरने की संभावना जताई गई है।
केरल में समुद्री गतिविधियों को लेकर भी रेड अलर्ट है। तटीय इलाकों में तेज तूफान और ऊंची लहरों की संभावना के चलते 23 से 27 मई तक मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त हिदायत दी गयी है। कर्नाटक और लक्षद्वीप तटों पर भी यही प्रतिबंध लागू किया गया है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने झारखंड में अगले कुछ दिन तेज हवाओं के साथ आंधी आने और वर्षा होने की शुक्रवार को संभावना जताई है। मौसम विभाग के अनुसार 29 मई तक अधिकतम तापमान सामान्य से कम 31 से 37 डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावना है।
यहां मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने कहा, पूरे राज्य में छिटपुट से लेकर व्यापक वर्षा होने की संभावना है। हल्की से मध्यम बारिश के साथ ही कुछ स्थानों पर भारी वर्षा की भी संभावना है। इस सप्ताह गरज के साथ बारिश और तेज हवाएं चलने की भी संभावना है।
आईएमडी ने 30 मई से 5 जून तक भारी बारिश का अनुमान व्यक्त किया है। आनंद ने कहा, शुक्रवार को चतरा, गढ़वा, गुमला, हजारीबाग, कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा, पलामू और रांची में कुछ स्थानों पर 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से हवा चलने और बारिश होने की संभावना है।
राज्य के दक्षिणी, मध्य और उत्तर-पूर्वी हिस्सों में गरज के साथ बारिश और 60 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से हवा चलने संबंधी आॅरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इस महीने प्रतिकूल मौसम की स्थिति ने पहले ही भारी नुकसान पहुंचाया है, बिजली गिरने से कई लोगों की मौत हुई है। पीड़ितों में 46 वर्षीय सीआरपीएफ अधिकारी भी शामिल है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारत में खेती और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम दक्षिण-पश्चिम मानसून इस बार अपेक्षा से पहले केरल तट पर दस्तक दे सकता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने जानकारी दी है कि अगले 4-5 दिनों में मानसून के केरल पहुंचने के लिए स्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं। यानी 23 या 24 मई तक मानसून आ सकता है। यह पहले बतायी गयी तारीख 27 मई से भी पहले है, जबकि सामान्यत: मानसून केरल में 1 जून को पहुंचता है।
आइएमडी ने रविवार को चेतावनी जारी की है कि 18 से 24 मई के बीच पश्चिमी तटीय इलाकों में तेज बारिश हो सकती है। जिन क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है:
केरल के बाद मानसून धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा और दक्षिण अरब सागर, मालदीव, कोमोरिन क्षेत्र (भारत का दक्षिणी छोर) और बंगाल की खाड़ी के दक्षिण, मध्य और पूर्वोत्तर हिस्सों में 2-3 दिन में पहुंच सकता है। आमतौर पर मानसून जून की शुरुआत में केरल पहुंचता है और जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है।
इसके बाद यह सितंबर के मध्य से उत्तर भारत से लौटना शुरू करता है। भारत की 75% सालाना बारिश मानसून से ही होती है। मानसून का समय पर आना खेती, खाद्य वस्तुओं की कीमतें और महंगाई पर सीधा असर डालता है। देश के कई हिस्सों में खेती पूरी तरह बारिश पर निर्भर होती है।
आइएमडी का कहना है कि मानसून जल्दी आ रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पूरा देश सामान्य या अच्छी बारिश पायेगा। मानसून की बरसात की मात्रा और नियमितता अब भी तय नहीं है, इसलिए अधिक सतर्कता जरूरी है।
दक्षिण भारत के कई हिस्सों में किसानों ने खेत तैयार करना शुरू कर दिया है, लेकिन कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश की ताकत और स्थिरता की पुष्टि होने तक जल्दबाजी न करें।
केरल और अन्य तटीय इलाकों में मानसून के जल्दी आने से बाढ़ का खतरा भी रहता है। स्थानीय प्रशासन ने नालों की सफाई, जल निकासी की व्यवस्था और सफाई अभियानों की तैयारी शुरू कर दी है।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड के अधिकतर हिस्सों में रविवार को तेज हवाओं के साथ तूफान का पूर्वानुमान जताया गया है। मौसम बुलेटिन में यह जानकारी दी गई।
20 जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी
मौसम विभाग ने कहा कि 18 मई को राज्य के दक्षिणी, मध्य और उत्तर-पूर्वी भागों के करीब 20 जिलों में आंधी और 60 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति की तेज हवाएं चलने का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
रांची मौसम विज्ञान केंद्र के उपनिदेशक अभिषेक आनंद ने शनिवार को कहा, शनिवार से मौसम में बदलाव होने की संभावना है। बंगाल की खाड़ी से नमी आने के कारण हल्की बारिश और तेज हवाएं चलने की संभावना है।
मौसम बुलेटिन में कहा गया कि 21 मई तक राज्य के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। विभाग के अनुसार मौसम में आए इस बदलाव के कारण अगले दो दिन में अधिकतम तापमान में चार डिग्री सेल्सियस की गिरावट हो सकती है।
झारखंड में अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा, शुक्रवार को डालटनगंज में सबसे अधिक 42.6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। गोड्डा, गढ़वा और सरायकेला में तापमान क्रमशः 41.7, 41.5 और 40.6 डिग्री सेल्सियस रहा। झारखंड की राजधानी रांची में शुक्रवार को तापमान सामान्य से 2.5 डिग्री अधिक 39.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। तुर्किए में एक बार फिर भूकंप के तेज झटके महसूस किये गये हैं। वीरवार को आये इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.2 मापी गयी। हालांकि, फिलहाल किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन भूकंप ने एक बार फिर लोगों को डर के साये में जीने को मजबूर कर दिया है।
तुर्किए की जमीन पहले भी कई बार तेज और विनाशकारी भूकंपों से दहल चुकी है। इसका मुख्य कारण यह है कि तुर्किए एनाटोलियन प्लेट पर स्थित है, जो अफ्रीकी और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच फंसी हुई है। इसी कारण यहां लगातार भूकंपीय गतिविधियां होती रहती हैं।
6 फरवरी 2023 को आए भूकंप की तीव्रता 7.8 थी। इसके बाद एक और 7.5 तीव्रता का झटका भी महसूस किया गया। इस हादसे में 50,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जबकि लाखों लोग प्रभावित हुए थे। यह तुर्किए के इतिहास का सबसे घातक भूकंप माना जाता है।
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