टीम एबीएन, रांची। झारखंड पर मानसून मेहरबान है। 1 जून 2025 से 27 जून 2025 के बीच राज्य में 306.5 मिलीमीटर वर्षा हुई है। यह सामान्य से 80 फीसदी अधिक है। आमतौर पर मानसून के सीजन में इतने समय में 170.3 मिलीमीटर वर्षा को सामान्य वर्षा कहा जाता है।
मानसून की सबसे अधिक बारिश 552.2 मिलीमीटर (सामान्य से 207 फीसदी अधिक) राजधानी रांची में हुई है। यह जानकारी भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के रांची के हिनू रोड स्थित मौसम केंद्र ने दी है।
मौसम केंद्र के आंकड़े बताते हैं कि रांची समेत झारखंड के 6 जिलों में 100 फीसदी से 207 फीसदी अधिक बारिश हुई है। सरायकेला खरसावां जिले में 438.6 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य से 132 फीसदी अधिक है। रामगढ़ में 430.3 मिमी (सामान्य से 147 प्रतिशत अधिक) वर्षा हुई है।
पलामू में 216.1 मिमी (सामान्य से 104 फीसदी अधिक) वषार्पात हुआ है। लोहरदगा में 400.1 मिमी (सामान्य से 129 फीसदी अधिक), लातेहार में 464 मिलीमीटर (सामान्य से 193 प्रतिशत अधिक) बारिश हुई है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। पिछले कुछ दिनों में झारखंड में लगातार बारिश में जनजीवन पर काफी असर पड़ा है। वहीं, मौसम विभाग की ओर से राज्य में फिर से भारी बारिश और वज्रपात का अलर्ट जारी कर दिया है।
मौसम विभाग के मुताबिक आज यानी गुरुवार को रांची समेत कुल 8 जिलों में भारी वर्षा और आकाशीय बिजली गिरने की आशंका जतायी गयी है। कल गुमला, सिमडेगा, खूंटी, पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां और पूर्वी सिंहभूम जिलों में भारी बारिश की संभावना है।
28 जून को चतरा, कोडरमा, हजारीबाग, रामगढ़, रांची (आंशिक क्षेत्र), गुमला, सिमडेगा, खूंटी और पश्चिम सिंहभूम जिलों के लिए भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। 29 जून को गोड्डा, साहिबगंज, दुमका, देवघर, जामताड़ा, पाकुड़, गिरिडीह, धनबाद, कोडरमा, बोकारो, हजारीबाग और रामगढ़ जिलों में भारी बारिश की आशंका के चलते येलो अलर्ट घोषित किया गया है।
मौसम विभाग ने आरेंज और येलो अलर्ट जारी कर लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। आईएमडी ने अपने पूवार्नुमान में बताया है कि राज्य के दक्षिण-पश्चिमी भाग में कहीं-कहीं पर बहुत भारी बारिश हो सकती है। दक्षिण एवं मध्य भाग में कहीं-कहीं पर भारी बारिश हो सकती है। इस दौरान तेज हवाएं भी चलेंगी। 30-40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाओं के चलने का अनुमान है। गरज के साथ वज्रपात भी हो सकता है।
टीम एबीएन, रांची। रांची समेत पूरे झारखंड में एक बार फिर से बारिश की बौछार शुरू हो गयी है। बीते 3 दिनों से रांची समेत विभिन्न जगहों पर भारी बारिश हो रही है। इधर मौसम विभाग ने एक बार फिर से मौसम को लेकर अलर्ट जारी किया है।
रांची समेत 7 जिलों में तेज हवा और वज्रपात को लेकर ऑरेंज अलर्ट और अन्य सभी जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग ने रांची, खूंटी, लातेहार, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा और पश्चिमी सिंहभूम में तेज हवा और वज्रपात को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
इसके अलावा अन्य सभी जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। ये अलर्ट आज और कल, यानी 24 और 25 जून के लिए दिया गया है। इस दौरान ऑरेंज वाले क्षेत्रों में 40-50 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट के अनुसार, 29 जून तक पूरे राज्य में झमाझम बारिश की संभावना है।
पूरे राज्य में 25 से 29 जून तक के लिए तेज हवा और वज्रपात को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, 25 से 29 जून तक राज्यभर में तेज हवा के साथ भारी बारिश और वज्रपात की संभावना है। फिलहाल इस भारी बारिश से राहत की कोई उम्मीद नहीं है। 29 जून के बाद ही मौसम सामान्य हो सकता है।
टीम एबीएन, रांची। मौसम विभाग के अनुसार झारखंड में मानसून दस्तक देने वाला है। जी हां, 4 दिनों तक राज्य में बादल बरसेंगे। मौसम विभाग के अनुसार आज राज्य के लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, रांची, खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम जिलों में कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है।
मौसम विभाग के अनुसार कल यानी मंगलवार को गुमला, सिमडेगा और खूंटी जिलों में कुछ जगहों पर बहुत भारी बारिश की संभावना है। इसके अलावा लातेहार, लोहरदगा, रांची और पश्चिमी सिंहभूम में भी भारी बारिश की चेतावनी दी गयी है।
बुधवार को कोडरमा, हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो में बहुत भारी बारिश का अनुमान है, जिनके लिए आॅरेंज अलर्ट जारी है। चतरा, पलामू, लातेहार, देवघर, जामताड़ा और धनबाद जिलों में भारी बारिश की संभावना को देखते हुए यलो अलर्ट जारी किया गया है।
गुरुवार को हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, रामगढ़, बोकारो, धनबाद, देवघर, जामताड़ा और दुमका जिलों में कहीं-कहीं भारी वर्षा हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार, यह बारिश राज्य में मानसून की दस्तक की शुरूआत मानी जा रही है।
टीम एबीएन, पलामू / रांची। एक जुलाई से पलामू टाइगर रिजर्व और टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले नेशनल पार्क में पर्यटन गतिविधि को बंद कर दिया जायेगा। यह पर्यटन गतिविधि 31 सितंबर तक बंद रहेगी। तीन महीने तक किसी भी प्रकार की पर्यटन गतिविधि का संचालन नहीं किया जायेगा।
बाघ के लिए संरक्षित झारखंड का एकमात्र पलामू टाइगर रिजर्व में भी पहली जुलाई से पर्यटन गतिविधि को बंद करने की तैयारी की जा रही है। पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत बेतला नेशनल पार्क भी है वहां भी पर्यटन गतिविधि को बंद किया जायेगा। दरअसल जुलाई से सितंबर तक बारिश का मौसम होता है। इस मौसम में कई वन्य जीव अपना प्रजनन करते हैं। प्रजनन में दखलअंदाजी को रोकने के लिए पर्यटन गतिविधि को रोका जाता है।
इसके अलावा कई ऐसे पेड़ पौधे हैं जो बारिश के दिनों में जंगल से बाहर निकलते हैं। बाघों के प्रजनन के लिए शांत वातावरण की जरूरत होती है, यही वजह होती है कि इलाके में पर्यटकों की जाने पर रोक लगा दी जाती है। बरसात के दिनों में टाइगर रिजर्व आसपास नदी और नाले उफान पर होते हैं। इस दौरान रास्तों को भी नुकसान होता है। इस दौरान पर्यटकों को सुरक्षा उपलब्ध कराना प्रबंधन के लिए एक चुनौती भरा कार्य हो जाता है।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड के लोगों, अब गर्मी झेलने के लिए तैयार हो जाइये। मौसम विभाग ने कहा है कि धीरे-धीरे तापमान में वृद्धि होने वाली है। अधिकतम तापमान 4 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ सकता है।
साथ ही 2 दिन तक यानी 7 और 8 जून को राज्य के पूर्वी और उससे सटे हिस्से में कहीं-कहीं गरज के साथ वर्षा-वज्रपात का भी अनुमान मौसम विभाग ने जारी किया है।
रांची के मौसम के बारे में मौसम केंद्र ने कहा है कि शनिवार को आंशिक बादल छाये रहेंगे। गर्जन वाले बादल भी बन सकते हैं। रांची का अधिकतम तापमान 7 जून को 35 डिग्री और न्यूनतम तापमान 24 डिग्री रहने का अनुमान है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। पर्यावरण है तो हम हैं और अगर पर्यावरण सुरक्षित नहीं होगा तो हम भी चैन की सांस नहीं ले पाएंगे। पर्यावरण के इसी महत्व से सभी को अवगत कराने के लिए हर साल 5 जून के दिन विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझाना और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कराना है।
सरकारें चाहे जितनी भी कोशिश कर लें लेकिन अगर लोग अपने स्तर पर पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाएंगे तो पर्यावरण संरक्षण नहीं हो पाएगा। सरकार कूड़ा हटा सकती है लेकिन कूड़ा फैलाने वाले जबतक नहीं रुकेंगे तबतक कूड़े का ढेर लगता रहेगा। पानी की खपत, बिजली का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल, प्लास्टिक का इस्तेमाल, पेड़ों की कटाई और प्रदूषण पर्यावरण को क्षति पहुंचाते हैं।
ऐसे में बच्चों से लेकर बड़ों तक को पर्यावरण संरक्षण का महत्व पता होना जरूरी है जिससे धरती को साफ रखा जा सके, सुरक्षित रखा जा सके। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है प्लास्टिक प्रदूषण को हटाना। प्लास्टिक पर्यावरण के लिए सबसे खतरनाक चीजों में से एक है। वर्तमान में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो घर या बाहर प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करता होगा।
प्लास्टिक ऐसा मटीरियल है जो सालोंसाल तक खत्म नहीं होता है जिस चलते पर्यावरण को इससे अत्यधिक नुकसान होता है। यह जमीन पर हो तो धरती पानी को नहीं सोख पाती और अगर समुद्र में डाली जाए तो जलीय जीवों के लिए खतरा बन जाती है। ऐसे में इस साल की थीम प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने और प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए चुनी गयी है।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रांतीय प्रवक्ता सह हिंदी साहित्य भारती के उपाध्यक्ष संजय सर्राफ ने कहा है कि हर वर्ष 5 जून को पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। यह दिन न केवल हमें पर्यावरण के महत्व का स्मरण कराता है, बल्कि प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को भी जागरूकता के रूप में प्रस्तुत करता है।
इसकी शुरुआत 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गयी थी, जब स्टॉकहोम (स्वीडन) में आयोजित मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में इस दिन को विशेष रूप से मनाने का निर्णय लिया गया। इसके बाद 1974 से इसकी विधिवत शुरुआत हुई और तब से हर साल यह दिन किसी एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है।
विश्व पर्यावरण दिवस का उद्देश्य लोगों को पर्यावरणीय संकटों के प्रति जागरूक करना और उन्हें पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रेरित करना है। आज वैश्विक स्तर पर वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का क्षरण, प्लास्टिक प्रदूषण, वायु और जल प्रदूषण जैसी समस्याएं गंभीर रूप धारण कर चुकी हैं।
ऐसे में पर्यावरण दिवस हमें यह याद दिलाता है कि प्रकृति हमारी जीवनरेखा है और इसकी रक्षा करना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। हर साल किसी एक देश को मेजबान बनाकर एक विशेष थीम के साथ यह दिवस मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम विश्व स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण का अंत है। यह थीम प्लास्टिक कचरे की गंभीर समस्या से निपटने का एक वैश्विक संकल्प है।
हर साल सैकड़ों मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन होता है, जिसमें से लगभग दो-तिहाई केवल एक बार उपयोग के लिए होता है और जल्दी ही फेंक दिया जाता है। यह प्लास्टिक नदियों और महासागरों को प्रदूषित करता है, हमारी फूड चेन में प्रवेश कर जाता है, और माइक्रोप्लास्टिक के रूप में हमारे शरीर में भी जमा हो जाता है।
प्लास्टिक से हो रहे पर्यावरणीय नुकसान की ओर ध्यान आकर्षित करता है। इसी तरह, हर वर्ष एक नयी चुनौती और समाधान को लेकर कार्यक्रमों, रैलियों, वृक्षारोपण अभियानों, शिक्षण कार्यशालाओं और सफाई अभियानों का आयोजन होता है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है।
जहां एक ओर विकास की गति तेज़ है, वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन भी हो रहा है। यदि हम अभी नहीं चेते, तो आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध हवा, जल और स्वस्थ पर्यावरण मिलना दुर्लभ हो जायेगा। इसलिए स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी व गैर-सरकारी संस्थानों और आम नागरिकों की भागीदारी से यह अभियान अधिक सशक्त बन सकता है।
विश्व पर्यावरण दिवस केवल सरकारों या संगठनों का ही काम नहीं है। यह हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। रोजमर्रा की आदतों में छोटे-छोटे परिवर्तन जैसे प्लास्टिक का कम उपयोग, पानी की बचत, बिजली की खपत को नियंत्रित करना, अधिकाधिक वृक्षारोपण, और सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करना, हमारे पर्यावरण को बेहतर बना सकते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस हमें यह अवसर प्रदान करता है कि हम अपने ग्रह की रक्षा के लिए एकजुट हों। यह केवल एक दिन नहीं, बल्कि एक सतत चेतावनी है कि यदि हमने समय रहते पर्यावरण की रक्षा नहीं की, तो भविष्य अंधकारमय हो सकता है। हम सब मिलकर इस धरती को हरा-भरा और जीवनदायिनी बनाये रखने की प्रतिज्ञा ले।
Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.
टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।
© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse