टीम एबीएन, रांची। झारखंड में इस बार जबरदस्त मानसून देखा जा रहा है। सितंबर के महीने में भी मूसलाधार बारिश हो रही है। अब तक झारखंड में 52 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। वहीं, करीब 7 जिले में तो 1200 मिमी से अधिक बारिश हो चुकी है। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि मॉनसून किस कदर मेहरबान है।
ऐसे में इस बार नवरात्रि में आपको भीगते हुए पंडाल में माता रानी के दर्शन करने पड़ सकते हैं। झारखंड राज्य में येलो अलर्ट जारी किया गया है। खासतौर पर दक्षिणी जिलों में अच्छी खासी बारिश की प्रबल संभावना है।
जहां हवा 30 से 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। ऐसे में रांची मौसम विभाग खासतौर पर पश्चिम व पूर्वी सिंगभूम जैसे जिले में लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। इस दौरान भूलकर भी घर से बाहर न निकलें। क्योंकि वज्रपात की चेतावनी जारी की गई है।
टीम एबीएन, खूंटी। गरुड़ पक्षियों का बसेरा कर्रा थाना परिसर में है। यहां के लोगों का कहना है कर्रा थाना में गरुड़ की छोटी प्रजाति सालों से आती है। गरुड़ की चहचहाहट से पुलिसकर्मियों की सुबह होती है और शाम तक गरुड़ और दूसरे पक्षियों की आवाज से थाना परिसर गूंजता रहता है।
कर्रा थाना परिसर के बगीचे में गरुड़ की छोटी प्रजाति के पक्षियों का प्रवास है। थाना परिसर में गरुड़ पक्षियों का सालों से बसेरा है और पुलिस उन्हें पूरी तरह सुरक्षा देती है। यही नहीं गरुड़ के अलावा मैना, कबूतर, बगुला जैसे पक्षियों का बसेरा है। खूंटी जिले के इस थाने के अलावा इस तरह की पक्षियों का बसेरा कहीं नहीं है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गरुड़ पक्षी को भगवान विष्णु का वाहन बताया गया है। इनसे जुड़ी कई कथा प्रचलित हैं।
थाना परिसर में रह रहे गरुड़ मौजूद अन्य पक्षियों की चहचहाहट की आवाज से उनकी सुबह होती है।थाना परिसर में एक अलग ही शांति मिलती है। गरुड़ यहां पर खुद को सुरक्षित महसूस करता हैं। यही कारण है कि यहां वर्षों से इनका बसेरा है, लेकिन अक्टूबर माह आते आते अपने पूरे परिवार को लेकर कहीं चले जाते हैं। इनकी वापसी फरवरी में होती है और यह सितंबर महीने तक रहते हैं।
थाना परिसर में आम समेत कई पेड़ है लेकिन गरुड़ आम के पेड़ में निवास करते हैं। जबकि बगुला और मैना भी आम के पेड़ में रहते है लेकिन दोनों के रहने का तरीका अलग है। गरुड़ और बगुला के बीच कभी भी हिंसक झड़प नहीं होती है। थाना परिसर में यह दोनों पक्षी शांति से रहते हैं। यही कारण है कि यहां पुलिसकर्मियों के अलावा बाहर से आये लोग भी इनकी चहचहाहट की आवाज से आनंदित रहते हैं।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारत में इस साल मॉनसून ने जमकर तबाही मचायी है। अगस्त में देश के कई हिस्सों में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई। अब सितंबर में भी बारिश का जोर कम होने के आसार नहीं हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) ने आज अपनी ताजा भविष्यवाणी में कहा कि सितंबर में पूरे देश में सामान्य से ज्यादा बारिश होगी। यह बारिश लंबी अवधि के औसत से 109 फीसदी ज्यादा हो सकती है। सितंबर का एलपीए 167.9 मिलीमीटर है। यह मॉनसून का आखिरी महीना है।
आइएमडी ने बताया कि अगले दो हफ्तों में मॉनसून के पीछे हटने के कोई संकेत नहीं हैं। उल्टा, इस दौरान और ज्यादा लो प्रेशर एरिया (एलपीए) बनने की संभावना है। देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से ज्यादा बारिश होगी। हालांकि, पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के कुछ इलाकों, दक्षिणी प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
आइएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने एक आनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में चेतावनी दी कि सितंबर में उत्तराखंड में भारी बारिश से भूस्खलन और अचानक बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से कई नदियां निकलती हैं। भारी बारिश से ये नदियां उफान पर आ सकती हैं।
इससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा है। इसका असर दिल्ली, दक्षिण हरियाणा और उत्तरी राजस्थान में भी पड़ सकता है। यहां सामान्य जनजीवन प्रभावित हो सकता है। महापात्रा ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में महानदी के ऊपरी इलाकों में भी भारी बारिश की आशंका है। इससे नदी में बाढ़ की स्थिति बन सकती है। उन्होंने लोगों से सतर्क रहने की अपील की।
अगस्त में देश के कई हिस्सों में मानसून ने भारी तबाही मचाई। उत्तर-पश्चिम भारत में इस बार अगस्त में 260.5 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 34.4 फीसदी ज्यादा है। यह 2001 के बाद सबसे ज्यादा और 1901 के बाद 13वीं सबसे ज्यादा बारिश है। इस क्षेत्र में जून से अगस्त तक कुल 614.2 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य 484.9 मिलीमीटर से 27 फीसदी ज्यादा है। जून में 111 मिलीमीटर (42 फीसदी ज्यादा) और जुलाई में 237.4 मिलीमीटर (13 फीसदी ज्यादा) बारिश हुई।
दक्षिण भारत में भी अगस्त में 250.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गयी, जो सामान्य से 31 फीसदी ज्यादा है। यह 2001 के बाद तीसरी सबसे ज्यादा और 1901 के बाद आठवीं सबसे ज्यादा बारिश है। जून से अगस्त तक इस क्षेत्र में 607.7 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य 556.2 मिलीमीटर से 9.3 फीसदी ज्यादा है। पूरे देश में अगस्त में 268.1 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 5 फीसदी ज्यादा है। जून से अगस्त तक कुल 743.1 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 6 फीसदी ज्यादा है।
इस भारी बारिश का असर खेती पर भी पड़ सकता है। 22 अगस्त तक देश में 107.39 मिलियन हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी थी। यह पिछले साल की तुलना में 3.54 मिलियन हेक्टेयर ज्यादा है। धान और मक्का की बुआई में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। लेकिन सितंबर में ज्यादा बारिश से फसलों को नुकसान हो सकता है। खेतों में पानी भरने और फसलों के गिरने का खतरा है।
उत्तर-पश्चिम भारत में बारिश का कहर सबसे ज्यादा दिखा। पंजाब में दशकों बाद सबसे भयानक बाढ़ आयी। नदियों और नहरों के उफान से हजारों हेक्टेयर खेत डूब गये। लाखों लोग बेघर हो गये। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने और अचानक बाढ़ से सड़कें और पुल बह गये। जम्मू-कश्मीर में बार-बार बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं हुईं। आइएमडी का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ और सक्रिय मानसून की वजह से बारिश बढ़ी है।
टीम एबीएन, रांची। बंगाल की खाड़ी में लगातार बन रहे निम्न दबाव वाले क्षेत्र के प्रभाव से झारखंड में बारिश और वज्रपात का सिलसिला 30 अगस्त तक जारी रहने की संभावना है। शुक्रवार को राज्य के कई जिलों में रुक-रुक कर बारिश होती रही।
पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा में सबसे अधिक 93 मिमी वर्षा दर्ज की गयी, वहीं रांची में 15 मिमी, मेदिनीनगर में 3 मिमी और जमशेदपुर में 11 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद के अनुसार, 23 अगस्त को गढ़वा, पलामू और लातेहार जिलों में भारी वर्षा की आशंका के चलते आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
इसके अतिरिक्त लोहरदगा, गुमला, खूंटी, सिमडेगा, पश्चिम सिंहभूम, गिरिडीह, देवघर, धनबाद, जामताड़ा और दुमका जिलों के लिए येलो अलर्ट घोषित किया गया है, जहां मध्यम से भारी बारिश की संभावना है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। दुनिया के कई हिस्सों में इस समय धरती लगातार कांप रही है। शनिवार देर रात अफगानिस्तान में 4.9 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार यह भूकंप जमीन से सिर्फ 10 किलोमीटर की उथली गहराई पर आया था जिससे भविष्य में और भी झटके आने की आशंका है।
अफगानिस्तान के अलावा जापान में भी भूकंप के झटके आये। वहीं इंडोनेशिया के सुलावेसी में भी 5.7 तीव्रता का जोरदार भूकंप आया। राहत की बात यह है कि इन झटकों से अभी तक किसी तरह के बड़े नुकसान की खबर नहीं है। इंडोनेशिया में आये भूकंप की गहराई भी 10 किलोमीटर मापी गयी थी जो आमतौर पर सतह के करीब होने के कारण ज्यादा महसूस होता है।
हाल ही में दुनिया के कई देशों में भूकंप के झटके महसूस किये गये हैं। इसी कड़ी में 11 अगस्त को तुर्की में भी 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक उस भूकंप में एक शख्स की मौत हो गयी थी और 15 से ज्यादा इमारतें ढह गयी थीं।
भूकंप विशेषज्ञ लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि धरती की सतह के नीचे हो रही गतिविधियों के कारण भूकंप की घटनाएं बढ़ रही हैं। हालांकि ये सभी झटके अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में आये हैं लेकिन एक के बाद एक आ रही ये आपदाएं चिंता का विषय हैं।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड में एक बार फिर मौनसून सक्रिय हो गया है। इसी बीच मौसम विभाग ने अगले 5 दिनों तक राज्य के दक्षिणी जिलों में भारी बारिश का आॅरेंज अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने इस दौरान लोगों से सावधान रहने की भी अपील की है।
मौसम विभाग के मुताबिक रांची समेत 7 जिलों में भारी बारिश होगी। 7 जिलों में पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, रांची, खूंटी, सिमडेगा और गुमला शामिल हैं। इन जिलों में कहीं-कहीं तेज हवा और वज्रपात भी हो सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक बाकी के जिलों में भी हल्की से मध्यम बारिश का अनुमान है।
बता दें कि राजधानी रांची समेत आसपास के जिलों में बीते गुरुवार को सुबह से ही काले बादल उमड़-घुमड़ रहे थे और दोपहर करीब 3:30 बजे अचानक हुई भारी वर्षा ने पूरी रांची को पानी-पानी कर दिया। निचले क्षेत्रों में जहां जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो गयी। वहीं, करीब 1 घंटे तक शहर में आवागमन भी प्रभावित रहा। जगह-जगह हुए जलजमाव ने आमजनों की परेशानी बढ़ा दी, तो दो पहिया वाहनों का चलना भी मुश्किल हो गया।
टीम एबीएन, रांची। पब्लिक स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए झारखंड से पूरे देश को एक संदेश दिया है। पासवा ने राज्य भर के निजी विद्यालयों के माध्यम से 50 लाख पौधों का वृक्षारोपण करने का संकल्प लिया है। यह पहल केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी को हरित, स्वच्छ और संतुलित वातावरण देने की दिशा में एक ठोस और दूरदर्शी कदम है।
पासवा का यह अभियान एक बच्चा-एक पौधा की अवधारणा पर आधारित है, जिसमें स्कूलों, छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और स्थानीय समुदायों की सहभागिता को सुनिश्चित किया जा रहा है। इस महाअभियान के तहत झारखंड के हर जिले में विद्यालयों को ग्रीन जोन के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है।
पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने इस अभियान को संगठन की नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि पौधरोपण केवल एक पर्यावरणीय कार्य नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए जीवन की बुनियाद तैयार करने जैसा है।
पासवा इस कार्य को जन-जन की भागीदारी से जनांदोलन बनाएगी। झारखंड से शुरू होकर यह अभियान पूरे देश के निजी विद्यालयों को प्रेरित करेगा कि वे केवल शिक्षा ही नहीं, पर्यावरण निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभायें।
पासवा की महासचिव एवं राष्ट्रपति अवॉर्डी फलक फातिमा ने अभियान की व्यापकता और दीर्घकालिक सोच पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह केवल पौधारोपण की पहल नहीं, बल्कि एक पीढ़ी को प्रकृति से जोड़ने का अभियान है।
पर्यावरण संकट के इस युग में जब वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं, तब बच्चों को प्रकृति से जोड़ना एक आवश्यक नैतिक शिक्षा है। इस अभियान के माध्यम से हम लाखों बच्चों को हरियाली का प्रहरी बनाएंगे।
उन्होंने आगे कहा, मैंने स्वयं व्यक्तिगत रूप से बीते 8 वर्षों में 3000 से अधिक पौधों का रोपण किया है। यह अनुभव मुझे विश्वास दिलाता है कि सामूहिक प्रयास से हम बड़े बदलाव ला सकते हैं। मेहुल दुबे ने कहा कि पौधरोपण केवल एक पर्यावरणीय क्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रत्यक्ष उदाहरण है।
जब शिक्षा से जुड़े संस्थान पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों को अपनी प्राथमिकता बनाते हैं, तब समाज में सकारात्मक बदलाव की नींव रखी जाती है। पासवा का यह अभियान नयी पीढ़ी में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता दोनों को विकसित करने का माध्यम बनेगा।
विशाल कुमार सिंह ने कहा कि हम केवल पौधे नहीं लगा रहे, हम भविष्य के नागरिकों में प्रकृति के प्रति उत्तरदायित्व की भावना विकसित कर रहे हैं। इस महाअभियान में राज्य के सभी निजी विद्यालयों को न्यूनतम 500 पौधे लगाने की जिम्मेदारी दी गयी है। पौधारोपण के स्थानों का चयन स्कूल परिसर, ग्रामीण क्षेत्र, सड़क किनारे, सार्वजनिक पार्क आदि में किया जा रहा है।
यह पहल आने वाली पीढ़ी को न केवल शिक्षित, बल्कि संवेदनशील और जागरूक नागरिक बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। इस अभियान में पासवा वॉलिंटियर अनिकेत, अजहर आलम, श्रुति, अनुष्का, अकबर, अनामिका, आरती, सचिन, नंदिनी, विशाखा, अंकिता, प्रीति कुमारी, जाबिर, सैनुल्लाह खान एवं अन्य वॉलिंटियर्स भी शामिल हैं।
टीम एबीएन, रांची। भारत मौसम विज्ञान विभाग (कटऊ ) ने झारखंड के कई हिस्सों में भारी बारिश के अनुमान के बीच राज्य के 19 जिलों के लिए अचानक बाढ़ की चेतावनी जारी की है। आईएमडी के सुबह के बुलेटिन में गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, लातेहार, खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला, रामगढ़, बोकारो, धनबाद, गढ़वा, पलामू, कोडरमा, गिरिडीह, जामताड़ा, देवगढ़, दुमका और रांची जिलों के लिए बुधवार शाम साढ़े पांच बजे तक अचानक बाढ़ की चेतावनी जारी की गयी है।
बुलेटिन में कहा गया है कि मंगलवार सुबह साढ़े आठ बजे से बुधवार सुबह साढ़े आठ बजे तक गढ़वा, पलामू, चतरा, लातेहार, कोडरमा और हजारीबाग में भारी से बहुत भारी बारिश का आरेंज अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग ने 16 जुलाई सुबह साढ़े आठ बजे से 17 जुलाई सुबह साढ़े आठ बजे तक पलामू, चतरा, हजारीबाग, कोडरमा और गिरिडीह के लिए भी इसी तरह की चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग ने बुधवार सुबह साढ़े आठ बजे तक रांची सहित झारखंड के 10 जिलों के लिए भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है।
रांची मौसम विज्ञान केंद्र के उप निदेशक अभिषेक आनंद ने कहा कि राज्य में 17 जुलाई तक दबाव क्षेत्र बनने और मानसून के प्रभाव से व्यापक वर्षा होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि कुछ जिलों में 17 जुलाई की सुबह साढ़े आठ बजे तक भारी से अत्यधिक भारी वर्षा हो सकती है।
आनंद ने कहा, पश्चिम बंगाल के मध्य भाग में बना दबाव का क्षेत्र पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ गया है और मंगलवार सुबह साढ़े पांच बजे तक यह झारखंड के ऊपर केंद्रित था। अगले 24 घंटों के दौरान इसके झारखंड और उससे सटे दक्षिण बिहार से होते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश की ओर पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की संभावना है।
सोमवार रात से झारखंड के अधिकतर हिस्सों में हल्की से मध्यम वर्षा हुई। भारी वर्षा के पूर्वानुमान को देखते हुए पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम प्रशासन ने मंगलवार को स्कूलों को बंद करने की घोषणा की। पश्चिमी सिंहभूम प्रशासन ने लोगों से नदियों के पास जाने से बचने को भी कहा क्योंकि वे उफान पर हैं।
उन्होंने कहा कि झारखंड में एक जून से 14 जुलाई के बीच 62 प्रतिशत अतिरिक्त वर्षा दर्ज की गयी है। इस अवधि के दौरान राज्य के पूर्वी क्षेत्र में 527.6 मिलीमीटर वर्षा हुई, जबकि सामान्यत: 326 मिलीमीटर वर्षा होती है।
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