टीम एबीएन, रांची। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय विचार मंच द्वारा आयोजित 12वें राष्ट्रीय अधिवेशन एवं राष्ट्रीय अभिनंदन समारोह में परमहंस संत शिरोमणि डॉ स्वामी श्रीश्री 108 श्री सदानंद जी महाराज को प्रतिष्ठित हिंदू रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस सम्मान के साथ ही वे इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से अलंकृत होने वाले पहले प्रणामी संत बन गये।
यह क्षण न केवल प्रणामी समाज के लिए गौरवपूर्ण रहा, बल्कि अध्यात्म की उस धारा को भी नयी पहचान मिली, जिसका उद्देश्य मानवता, सेवा और समग कल्याण है। श्री सदानंद जी महाराज श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के संस्थापक हैं और वर्षों से समाज में आध्यात्मिक जागृति एवं सेवा कार्यों के माध्यम से अनगिनत लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते रहे हैं। उनका जीवन त्याग, तपस्या और निस्वार्थ सेवा की अद्भुत मिसाल है।
समाज में धार्मिक सद्भाव, मानवसेवा, शिक्षा और पर्यावरण सुरक्षा के लिए किये जा रहे उनके कार्य व्यापक स्तर पर सराहे जाते हैं। झारखंड श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष डूंगरमल अग्रवाल, उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, सचिव मनोज चौधरी, प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने सदानंद जी महाराज को यह प्रतिष्ठित सम्मान मिलने पर अपार हर्ष व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि यह सम्मान केवल एक संत के व्यक्तित्व का गौरव नहीं, बल्कि उन आदर्शों और विचारों का भी सम्मान है, जिन्हें महाराज जी अपने प्रवचनों, सेवा और कर्म के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाते हैं। दोनों पदाधिकारियों ने बताया कि महाराज जी के आध्यात्मिक एवं समाजोपयोगी कार्यों से आज युवा वर्ग भी प्रेरित हो रहा है।
राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि सदानंद जी महाराज ने अपने मार्गदर्शन में समाज के कमजोर वर्गों के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाएं, दिव्यांग एवं निराश्रितों के लिए सद्गुरु अपना घर आश्रम, गरीब विद्यार्थियों की शिक्षा, नशामुक्ति अभियान, वृक्षारोपण, गौ-सेवा और ग्रामीण विकास जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनके नेतृत्व में सेवा धाम ट्रस्ट ने कई जनहितकारी कार्यक्रम चलाये हैं, जिनसे हजारों लोगों को प्रत्यक्ष लाभ मिला है।
ट्रस्ट के प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने बताया कि महाराज जी की वाणी में अद्भुत सरलता और आत्मिक प्रभाव है। वे कहते हैं कि धर्म वह है जो जोड़ता है, तोड़ता नहीं और सेवा वह है जो मानवता को उन्नति की राह दिखाती है। इन्हीं विचारों पर चलकर वे समाज में प्रेम, एकता, नैतिकता और सकारात्मकता का संदेश प्रसारित कर रहे हैं। हिंदू रत्न सम्मान से अलंकृत होना निश्चय ही उनके व्यक्तित्व, तपस्या और समाजसेवा के प्रति समर्पण का राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति-पत्र है। यह सम्मान उनके अनुयायियों और प्रणामी समाज के लिए गर्व का विषय है।
ट्रस्ट के अध्यक्ष डूंगरमल अग्रवाल एवं सचिव मनोज चौधरी ने कहा कि सदानंद जी महाराज का जीवन युवाओं के लिए आदर्श है और आगामी समय में उनके मार्गदर्शन में समाज और भी ऊंचाइयों की ओर अग्रसर होगा। इस सम्मान के साथ ही अध्यात्म और सेवा की वह परंपरा और प्रभावशाली हो गयी है, जिसे सदानंद जी महाराज वर्षों से जनकल्याण के पथ पर आगे बढ़ा रहे हैं।
हर्ष व्यक्त करने वाले में विजय कुमार अग्रवाल, निर्मल छावनिका, निर्मल जालान, राजेंद्र अग्रवाल, मनोज चौधरी, सज्जन पाड़िया, पूरणमल सर्राफ, संजय सर्राफ, शिव भगवान अग्रवाल, मधुसूदन जाजोदिया, सुरेश अग्रवाल, विशाल जालान, विष्णु सोनी, सुनील पोद्दार, सुरेश भगत, मनीष सोनी, अरविंद पांडे, विद्या देवी अग्रवाल, उर्मिला पाड़िया, शोभा जालान, सुनीता अग्रवाल, विमला जालान, कविता गाड़ोदिया, अनुराधा सर्राफ आदि शामिल है। उक्त जानकारी श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने दी।
एबीएन सोशल डेस्क। श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट एवं विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि हिंदू धर्म में विवाह पंचमी बहुत ही खास त्योहार मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान राम ने मां सीता से विवाह किया था।
इस तिथि को श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इसकी विवाह पंचमी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह भगवान राम और माता सीता की शक्ति का प्रतीक माना जाता है. ये दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान राम और मां सीता का विवाह करवाना शुभ होता है।
इस वर्ष विवाह पंचमी का पर्व 25 नवंबर दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के पावन विवाह के स्मरण का उत्सव है। उत्तर भारत, विशेषकर जनकपुर और अयोध्या में यह पर्व अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।विवाह पंचमी का महत्व इस तथ्य से जुड़ा है कि इस शुभ तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम ने राजा जनक की पुत्री सीता जी से विवाह किया था।
शास्त्रों के अनुसार यह विवाह केवल सामाजिक या पारिवारिक बंधन नहीं था, बल्कि धर्म, मर्यादा और आदर्शों के दिव्य मिलन का प्रतीक था। इसी कारण यह दिन आदर्श दांपत्य जीवन का संदेश देता है। भक्त इस तिथि को भगवान राम-सीता के विवाह उत्सव के रूप में मनाते हैं और अपने जीवन में प्रेम, त्याग, संयम तथा धर्मपालन के संस्कार को अपनाने की प्रेरणा लेते हैं।
रामायण के अनुसार मिथिला के राजा जनक एक बार खेत जोतते समय धरती से एक दिव्य कन्या को पाते हैं। यह कन्या उनकी दत्तक पुत्री बनी-यही थीं जनकनंदिनी सीता। उनके युवा होने पर राजा जनक ने निश्चय किया कि वह सीता का विवाह उसी वीर पुरुष से करेंगे जो शिवजी के अत्यंत भारी धनुष पिनाक को प्रत्यंचा पर चढ़ा सके।
इस धनुष को भगवान शिव ने राजा जनक के पूर्वजों को भेंट दिया था, जिसे कोई भी योद्धा हिला तक नहीं सका था। इधर अयोध्या में राजकुमार राम अपने गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुर पहुँचे। वहां भगवती सीता ने राम को देखा और मन ही मन उन्हें अपने पति के रूप में वरण कर लिया। स्वयंवर में सभी राजाओं और वीरों ने शिव धनुष उठाने का प्रयास किया, किंतु असफल रहे।
अंततः भगवान राम ने गुरु की आज्ञा से धनुष को सहज रूप से उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयत्न किया, जिसके परिणामस्वरूप धनुष टूट गया। यह देखकर जनकपुर में आनंद की लहर दौड़ गई और सीता-राम का विवाह निश्चित हुआ।मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी के शुभ दिन राजा दशरथ स्वयं बारात लेकर जनकपुर पहुँचे।
जनक-सुनयना ने हर्ष और भावविभोर होकर सीता का विवाह राम से संपन्न कराया। इसी दिन तीन अन्य पवित्र विवाह भी हुए-भरत-मांडवी, लक्ष्मण-ऊर्मिला तथा शत्रुघ्न–श्रुतकीर्ति। जनकपुर में इन चारों विवाहों का उत्सव आज भी विवाह पंचमी महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।इस दिन भक्त राम-सीता की प्रतिमाओं का पारंपरिक विवाह कराया जाता है।
मंदिरों में शोभायात्राएँ निकाली जाती हैं और रामायण के मंगलमय विवाह प्रसंग का पाठ किया जाता है। विवाहित दंपति इस दिन मंदिर जाकर अपने दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद लेते हैं, जबकि अविवाहित युवक-युवतियाँ आदर्श जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए भगवान राम-सीता का आशीष माँगते हैं।
विवाह पंचमी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों का जीवंत प्रतीक है। यह हमें धर्म, मर्यादा, निष्ठा और प्रेम से परिपूर्ण दांपत्य जीवन का संदेश देती है। सीता-राम का दिव्य मिलन युगों-युगों तक मानव जीवन को मार्गदर्शित करता रहेगा।
टीम एबीएन, रांची। श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट द्वारा संचालित पुंदाग मे श्री कृष्ण प्रणामी मंगल राधिका सदानंद सेवा धाम श्री राधा कृष्ण प्रणामी मंदिर में 239वां श्री कृष्ण प्रणामी अन्नपूर्णा सेवा महाप्रसाद का आयोजन किया गया। आज का श्री कृष्ण प्रणामी अन्नपूर्णा सेवा ट्रस्ट के सदस्यों के सौजन्य से आयोजित किया गया।
श्री राधा कृष्ण जी का दिव्य अलौकिक श्रृंगार किया गया। तत्पश्चात मेवायुक्त केसरिया खीर महाप्रसाद का विधिवत भोग दोपहर 12 बजे मंदिर के पुजारी अरविंद कुमार पांडे द्वारा लगायी गयी तथा मंदिर परिसर में उपस्थित 2 हजार से भी अधिक श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया। ट्रस्ट के सदस्य विशाल जालान द्वारा सभी श्रद्धालुओं को आलू चिप्स का पैकेट वितरण किया गया।
तत्पश्चात भजन- संध्या के कार्यक्रम में ट्रस्ट के भजन गायकों ने मनमोहक सुमधुर भजनों श्रोताओं को खूब झुमाया। तथा श्री राधा कृष्ण के जयकारा से पूरा वातावरण कृष्णमय एवं भक्तिमय बन गया। तत्पश्चात सामूहिक रूप से महाआरती की गयी। ट्रस्ट के प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने बताया कि आज श्री राधा कृष्ण मंदिर में 4 हजार से अधिक श्रद्धालुओं में दर्शन किये।
मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मौके पर अध्यक्ष डूंगरमल अग्रवाल, उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, निर्मल जालान, मनोज कुमार चौधरी, सज्जन पाड़िया, शिव भगवान अग्रवाल, मधुसूदन जाजोदिया, पूरणमल सर्राफ सुरेश अग्रवाल, विशाल जालान, सुरेश भगत, संजय सर्राफ सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष उपस्थित थे। उक्त जानकारी श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने दी।
टीम एबीएन, रांची। श्री जैन श्वेतांबर साधुमार्गी संघ रांची के परम पूज्य आचार्य भगवन 1008 श्री रामलाल जी म.सा. की 4 आज्ञानुवर्ती साध्वियों शासन दीपिका समिया जी म.सा., कामना जी म.सा., सुधृति जी म.सा., इहिता जी म.सा. का विहार के दौरान आज रांची शहर में प्रवेश हुआ।
मौके पर रांची ओसवाल संघ के अध्यक्ष सुभाष बोथरा, उपाध्यक्ष घेवरचंद नाहटा, मूल चंद सुराणा, बलबीर जैन और 100 से ज्यादा श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे। टाटानगर और कलकत्ता से भी काफी श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे। आज रांची प्रवास के दौरान सभी साध्वियां श्री शुभकरण जी बच्छावत के आवास पर विराजमान हैं।
आज के प्रवचन में शासन दीपिका समिया श्री जी म.सा. ने जीवन रूपी रत्न के महत्व को एक प्रसंग के माध्यम से विस्तार पूर्वक समझाया। हम सब भौतिक सुख प्राप्ति के चक्कर में पड़े हुए हैं, असली धन जो हमे मानव जीवन के रूप में मिला हैं वो हम खो दे रहे हैं, हमारे इस जन्म में किये गये कर्मों के आधार पर आगे जन्मों कि गति निर्भर करेगी।
साध्वी श्री जी ने नाना गुरुदेव की चिंतामणियों का भी पाठ कराया और उस के द्वारा कैसे अपनी आत्म शुद्धि कर सकते हैं, इसकी जानकारी दी। साथ ही बारह भावना का भी पाठ कराया। बारह भावना का महत्व जैन धर्म में मनुष्य के मन को शांत करने, बुरे विचारों को दूर करने और वैराग्य भाव उत्पन्न करने में है।
इन भावनाओं का निरंतर चिंतन कर्मों के क्षय का कारण बनता है और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है, जिससे मानव जीवन सफल हो सकता हैं।
साध्वियां जी टाटानगर से विहार करके आ रही हैं, रांची में 8-10 दिन के प्रवास के पश्चात आगे पद विहार करते हुए कोरबा छत्तीसगढ़ कि ओर प्रस्थान करेंगे।
समता युवा संघ के अध्यक्ष राकेश बच्छावत ने बताया कि साध्वीयां जी के प्रवास के दौरान प्रतिदिन सुबह 9 बजे से 10 बजे तक प्रवचन है, दोपहर 2 बजे से 4 बजे से तक धर्म चर्चा का समय रखा गया है तथा शाम में 5 बजे प्रतिक्रमण रखा गया है, शाम में सिर्फ महिलाओं कि उपस्थिति रहेगी।
एबीएन सोशल डेस्क। अमावस्या के पावन अवसर पर रांची रातू रोड स्थित कृष्णा अपार्टमेंट में भक्ति और श्रद्धा के अद्भुत रंगों से सराबोर हो उठा। जब श्री धोली सती दादी महिला समिति द्वारा संदीप सर्राफ के आवास में श्री धोली सती दादी जी उत्सव का आयोजन हर्षोल्लास के साथ किया गया। पूरे वातावरण में भजन-कीर्तन की मधुर ध्वनि, दीप-प्रकाश की ज्योति और भक्तिमय आस्था की सौंधी सुगंध व्याप्त रही।
कार्यक्रम की शुरुआत दादी जी के विशेष श्रृंगार के साथ हुई। पीले-लाल आभूषणों और फूलों से सजे दादी के दिव्य स्वरूप का दर्शन करते ही श्रद्धालुओं के चेहरों पर उमंग और भक्ति झलक उठी। इसके बाद सामूहिक मंगल पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं ने पूरी निष्ठा के साथ दादी जी की महिमा का गुणगान किया।
समिति की सक्रिय सदस्या सविता सर्राफ, करुणा बागला सहित अन्य महिलाओं ने अपनी मधुर आवाज में कई भावपूर्ण भजन प्रस्तुत किए। इन भजनों ने वातावरण में आध्यात्मिक उत्साह को और भी दैदीप्यमान कर दिया। गाए गए कुछ प्रमुख भजनों में दादी जी के दर पर आए, मन को मिला विश्राम, धोली सती मैया, कर दो सबका बेड़ा पार, आज अमावस री दिन दादी, तुम घर-घर दीप जलाओ... आदि भजनों की सुरीली लहरों के बीच उपस्थित महिलाओं ने दादी जी के श्रीचरणों में आराधना एवं वंदन करते हुए सुख-समृद्धि की कामना की। भजन-कीर्तन के पश्चात सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।
पूरे आयोजन के दौरान महिलाओं की सहभागिता अत्यन्त उत्साहपूर्ण रही हर चरण में भक्तिभाव, अनुशासन, सादगी और आनंद का सुंदर समन्वय देखने को मिला। कार्यक्रम का समापन दादी जी की आरती और सभी के उत्तम स्वास्थ्य एवं कल्याण की प्रार्थना के साथ हुआ। दादी जी का महोत्सव श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक समृद्धि का उत्कृष्ट उदाहरण बनकर सबों के हृदय में अविस्मरणीय स्मृतियां छोड़ गया।
मौके पर सविता सर्राफ, मंजू सर्राफ, करुणा बागला, ममता सर्राफ, मधु सर्राफ, आशा सर्राफ, रितु सर्राफ मनीषा सर्राफ, अनुराधा सर्राफ, सुनीता सर्राफ, रेणु सर्राफ, बबीता मानपुरिया के अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं।
श्री धोली सती दादी प्रचार समिति के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा कि धोली सती दादी जी नारी शक्ति, साहस और संरक्षण की प्रतीक हैं। उनकी आराधना से परिवार में शांति, सुख और समृद्धि का वास होता है। ऐसे सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रम समाज में एकता, पारस्परिक प्रेम और आध्यात्मिकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
एबीएन सोशल डेस्क। बाल अधिकारों से जुड़े कानूनों के बारे में जागरूकता बढ़ाने व बाल संरक्षण रूपरेखा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहेवियरल चेंज फॉर चिल्ड्रेन (सी-लैब) ने गलगोटिया यूनिवर्सिटी के साथ हाथ मिलाया है।
दोनों के बीच हुए इस समझौते के तहत सी-लैब बाल संरक्षण क्षेत्र से जुड़े लोगों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों को जागरूक व प्रशिक्षित करने के लिए एक विशेष सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स की सीरीज शुरू करेगा। सी-लैब बाल सुरक्षा के क्षेत्र में शिक्षा व क्षमता निर्माण के लिए इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन का प्रमुख संस्थान है। इस समझौते के तहत, सी-लैब और गलगोटिया यूनिवर्सिटी संयुक्त रूप से बाल संरक्षण, मानसिक स्वास्थ्य, व्यवहार विज्ञान, फॉरेंसिक इंटरव्यू और अपराध जांच से जुड़े पाठ्यक्रम विकसित और संचालित करेंगे।
इनमें सी-सीम (बच्चों के यौन शोषण और दुर्व्यवहार से जुड़ी सामग्री) और पॉक्सो मामलों की जांच से जुड़े विशेष कार्यक्रम भी शामिल होंगे। भारत में जहां हर दिन बच्चों के खिलाफ 480 से अधिक अपराध दर्ज होते हैं (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो, 2023), ऐसे में यह पाठ्यक्रम देश के बाल संरक्षण तंत्र के स्वरूप को पूरी तरह बदल सकता है।
इसका उद्देश्य खास तौर पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अफसरों को ध्यान में रखते हुए फोरेंसिक जांच के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है जिसमें उम्र का सत्यापन, पैसे के लेन-देन की छानबीन, ब्लाकचेन विश्लेषण, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े पहलू और आनलाइन अपराधों में कानूनी रूप से स्वीकार्य साक्ष्य जुटाने जैसे कौशलों में प्रशिक्षित करेगा। इस पाठ्यक्रम और साझेदारी की प्रासंगिकता पर बात करते हुए, इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की कार्यकारी निदेशक संपूर्णा बेहुरा ने कहा कि यह सहयोग दो महत्वपूर्ण क्षमताओं को एक साथ लाता है जो एक दूसरे के पूरक हैं।
इससे अकादमिक शोध और जमीनी वास्तविकताओं व अनुभवों का समन्वय होगा। हमारे मजबूत कानूनी अनुभव और जमीनी स्तर पर मामलों के संचालन की समझ हमें यह स्पष्ट बताती है कि अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले पेशेवरों को वास्तव में किस तरह के प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
बच्चों के खिलाफ अपराध जैसे-जैसे अधिक जटिल होते जा रहे हैं, हम पुराने तरीकों से काम नहीं चला सकते। हमें ऐसे प्रशिक्षित विशेषज्ञ चाहिए जो तकनीक, मनोविज्ञान, कानून और फील्ड की वास्तविकताओं को समझते हों। ये पाठ्यक्रम एक ऐसे बाल संरक्षण तंत्र के निर्माण में मदद करेगा जो हर बच्चे की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।
गलगोटिया यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ एनके गौड़ और इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के ट्रस्टी रजत कुमार ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस सहयोग के तहत साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड, बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों की जांच, बाल अधिकार एवं बाल संरक्षण, फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन और डिजिटल सुरक्षा जैसे विशेष पाठ्यक्रमों का विकास किया जायेगा।
फोटो संकेत : समझौते पर दस्तखत करते (बायें से) जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक भुवन ऋभु, गलगोटिया यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ एनके गौर व इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की कार्यकारी निदेशक संपूर्णा बेहुरा, आईसीपी के ट्रस्टी रजत कुमार व जेआरसी की प्रशिक्षण निदेशक संगीता गौड़। इस खबर से संबंधित और जानकारी के लिए जितेंद्र परमार (8595950825) से संपर्क करें।
टीम एबीएन, रांची। श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के अंतर्गत काम कर रही सामाजिक संस्था श्री कृष्ण प्रणामी मंगल राधिका सदानंद सेवा धाम पुंदाग में चल रहे मंदबुद्धि, दिव्यांग, निराश्रितों लोगों की नि:शुल्क सेवा संस्था जनवरी 2024 से लगातार कर रही है।
सद्गुरु कृपा अपना घर आश्रम के उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल एवं प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने बताया कि एक मंदबुद्धि दिव्यांग व्यक्ति को आश्रम में लाया गया। जो मानसिक रोगी है। टीओपी थाना पुंदाग रांची के थाना ने इस व्यक्ति को आश्रम को सुपुर्द किया।
उन्होंने बताया कि यह मंदबुद्धि व्यक्ति लावारिस अवस्था में घूम रहा था। जिसे पुंदाग थाना पुलिस की टीम ने रेस्क्यू करके आश्रम लाया गया। उसके बाद अस्पताल में उसकी मेडिकल जांच करायी गयी। बाद में सद्गुरु कृपा अपना घर आश्रम (सत्य प्रेम सभागार) में लाया गया।
उस व्यक्ति का नाम और पते की कोई जानकारी नहीं मिली है। आश्रम कमेटी ने इसका नाम गिरधर कुमार रखा है। आश्रम की टीम को सूचना मिलने पर समय-समय पर जरूरतमंदों को रेस्क्यू किया जाता है आश्रम में रह रहे इन सभी निराश्रितों को गुरुजी सदानंद जी महाराज के सहयोग से घर जैसा माहौल देने की कोशिश की जाती है।
प्रवक्ता संजय सर्राफ ने बताया कि अभी सद्गुरु कृपा अपना घर आश्रम में 42 दिव्यांग और निराश्रितों का समुचित देखभाल और सेवा की जा रही है। उन्होंने कहा कि मानव सेवा से बढ़कर कोई कार्य नहीं है। उक्त जानकारी सद्गुरु कृपा अपना घर आश्रम के प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने दी।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। परमहंस डॉ संत शिरोमणी श्री श्री 108 स्वामी सदानंद महाराज के सान्निध्य में श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट के तत्वावधान में संचालित विगत 22 माह से चल रहे पीड़ित मानव सेवा के पावन तीर्थ स्थल मंगल राधिका सदानंद सेवाधाम पुंदाग के प्रांगण में सद्गुरु कृपा अपना घर आश्रम (सत्य-प्रेम सभागार) रांची में आज के भोजन बबली कुमारी के सौजन्य से आश्रम में रह रहे 42 मंदबुद्धि दिव्यांग निराश्रित प्रभु जी एवं आश्रम में रहकर उनकी सेवा करने वाले सेवादार साथियों के बीच विभिन्न व्यंजनों के साथ अन्नपूर्णा सेवा भोजन प्रसादी का विधिवत आश्रम के किचन में भोजन बनवाकर भोजन खिलाया गया।
अपना घर आश्रम के प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने बताया कि 2 से 18 नवंबर तक 17 दिनों में 3420 निराश्रित प्रभुजी एवं उनकी देखभाल करने वाले सेवादार साथियों के बीच अन्नपूर्णा सेवा भोजन प्रसाद का वितरण किया गया।
मंगल राधिका सदानंद सेवाधाम सदगुरू कृपा अपना घर (सत्य-प्रेम सभागार) में अनिष्क नारायण, गोपी किशन छापड़िया, ताराचंद्र काबरा, दीपिका कुमारी, सुरेंद्र सिंह, डॉ निरंजन वाराणसी, विजय सिंह राणा, राजेंद्र प्रसाद, मुकेश काबरा, स्व. आकाश बाजोरिया, सौरभ कुमार, सुशीला देवी, बंसी प्रसाद, छवि जालान, विकास अग्रवाल, नवीन मोदी के सौजन्य से सभी निराश्रित प्रभुजी को भोजन प्रसादी खिलाकर सेवा की गयी।
सभी ने ट्रस्ट के सदस्यों को बहुत-बहुत धन्यवाद एवं अपना अमूल्य आशीर्वाद दिया। प्रवक्ता संजय सर्राफ ने बताया कि इसके अलावे कई लोगों द्वारा आश्रम में रह रहे निराश्रितो, मंदबुद्धि, दीनबंधुओं के लिए खाद्य सामग्री एवं जरूरत के समान प्रदान किया गया। उन्होंने कहा कि सेवा कार्यों को समाज के हर वर्ग का सहयोग और प्रोत्साहन मिलना चाहिए।
अन्नपूर्णा सेवा के पुनीत कार्य में ट्रस्ट के अध्यक्ष डुंगरमल अग्रवाल, उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, निर्मल जालान, मनोज कुमार चौधरी, निर्मल छावनिका, सज्जन पाड़िया, पुजारी अरविंद पांडे, पुरणमल सर्राफ, शिव भगवान अग्रवाल, सुरेश अग्रवाल,नन्द किशोर चौधरी, संजय सर्राफ, विशाल जालान, सुनील पोद्दार, मधुसूदन जाजोदिया, विष्णु सोनी, सहित अन्य सदस्यगण उपस्थित थे।
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