टीम एबीएन, रांची। डॉ बरियार फिजियोथेरेपी एंड न्यूरोरिहैबिलिटेशन द्वारा सिनर्जी ग्लोबल हॉस्पिटल के फिजियोथेरेपी विभाग में सोमवार, 8 सितम्बर को विश्व फिजियोथेरेपी दिवस बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। इस वर्ष का विषय था : स्वस्थ बुढ़ापे में फिजियोथेरेपी और शारीरिक गतिविधि की भूमिका - दुर्बलता और गिरने से बचाव पर विशेष ध्यान।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन एवं गणेश वंदना के साथ हुई। मौके पर मुख्य अतिथि न्यूरोसर्जन विशेषज्ञ डॉ सीबी सहाय, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ रजनीश कुमार, हड्डी एवं स्पाइन रोग विशेषज्ञ डॉ विभाष चंद्रा, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ राहुल सिन्हा, सीनियर प्लास्टिक सर्जन और डॉ विवेक गोस्वामी उपस्थित थे। सभी अतिथियों का डीबीपीआर परिवार की ओर से स्वागत एवं सम्मान किया गया।
मौके पर डॉ ज्योत्सना रत्नम्, डॉ अफजल अहमद, डॉ आर्यन राजा, डॉ नेहा शर्मा, डॉ शिवानी, डॉ शीला, डॉ धीरज, डॉ पल्लवी, डॉ रश्मि, डॉ तसनीम, डॉ अंगद और डॉ अमृत ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
कार्यक्रम का समापन डॉ ज्योत्सना रत्नम् के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि एजिंग का आनंद लें, सही जानकारी के साथ आगे बढ़ें। यदि दर्द, मांसपेशियों की कमजोरी या असामान्यता का अनुभव हो, तो फिजियोथेरेपिस्ट से अवश्य मिलें और स्वस्थ रहे।
रिम्स में टूटने लगी मरीजों की आस, 30 से ज्यादा वेंटिलेटर खराब
विभिन्न विभागों में लगातार ऑपरेशन टाले जा रहे हैं। न्यूरो सर्जरी विभाग में पिछले दस दिनों में लगभग 20 से ज्यादा ऑपरेशन टाले जा चुके हैं। वहीं मेडिसिन, कार्डियोलॉजी, सर्जरी सहित कई अन्य विभागों में भी मशीनें खराब पड़ी हैं।
जानकारी के मुताबिक सबसे गंभीर स्थिति क्रिटिकल केयर विभाग की है, जहां क़रीब 10 वेंटिलेटर खराब पड़े हैं। इसका नतीजा यह है कि जिन मरीजों की हालत नाजुक होती है और जिन्हें तुरंत वेंटिलेटर की जरूरत होती है, उन्हें समय पर यह सुविधा नहीं मिल पाती। डॉक्टरों का कहना है कि वेंटिलेटर की कमी के बारे में प्रबंधन को कई बार पत्राचार किया गया है, लेकिन अब तक न तो किसी वेंटिलेटर की मरम्मत हो पाई है और न ही नए वेंटिलेटर खरीदे जा सके हैं।
उल्लेखनीय HC द्वारा रिम्स निर्देशक से इस विषय पर पूछे जाने पर निर्देशक डॉ राज कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी द्वारा पत्र लिख कर कहा गया है कि उनकी अनुमति के बिना मशीनों की खरीदारी न की जाए।
मामले को लेकर हाईकोर्ट ने 14 सितंबर तक शासी परिषद की बैठक बुलाने और 19 सितंबर को सुनवाई की तारीख तय की है। उम्मीद जताई जा रही है कि जिस राज्य में विधायकों और मंत्रियों के लिए एयर एंबुलेंस जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, वहां आम जनता और गरीब मरीजों की उम्मीदें भी इस बैठक के बाद कुछ हद तक पूरी हो सकेंगी।
टीम एबीएन, रांची। रांची के रिम्स अस्पताल में 40वें नेशनल आई डोनेशन फोर्टनाइट के दिन सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यह समारोह उन परिवारों के सम्मान में किया गया, जिन्होंने अपनों की आंखों को दान करके दूसरों की जिंदगी को रोशन किया है। इस कार्यक्रम में कई परिवार ऐसे थे, जिन्होंने समय से पहले अपनों को खो दिया था। यही वजह रही कि इस कार्यक्रम के दौरान उन परिवारों की आंखें नम दिखीं।
हालांकि, भले ही परिवार के सदस्यों के आंखों में अपने को खोने का गम था, पर साथ ही साथ उनमें किसी और के जीवन के अंधेरे को रोशन कर देने की खुशी भी दिखाई दी। नामकुम में रहने वाली ज्योति कश्यप, जिन्होंने अपने भाई को एक एक्सीडेंट में खो दिया था। लेकिन उनके परिवार ने लिटा निर्मल कुजूर नाम के युवक को अपने भाई की आंखों को दान करके मदद की।
ऐसे में दोनों ही परिवार समारोह में भावुक नजर आये। ऐसा ही एक और परिवार है, जिसमें कीर्ति सिन्हा नाम की युवती ने अपनी मां को तबीयत खराब होने की वजह से खो दिया। लेकिन इस गम और अंधेरे वाले माहौल में भी उन्होंने दूसरों के जीवन में रोशनी भरना ज्यादा सही समझा। उनके लिए यह गर्व की बात है। नेत्रदान का यह फैसला उतना आसान नहीं, जितना सुनने में लगता है।
यह फैसला लेकर परिवार वालों ने यकीनन एक हौसला दिखाया। इसके साथ ही लोहरदगा जिले के रहने वाले कैलाश मुंडा ने कहा कि भले ही उनकी बीवी उन्हें छोड़ कर चली गयी पर उनकी बीवी की आंखें अब भी जिंदा हैं। वहीं कैलाश मुंडा के बेटे भी अपने पिता के इस फैसले से काफी गौरव महसूस करते हुए दिखाई दिये। उनका यह भी कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह भी भविष्य में नेत्रदान जरूर करेंगे।
मामले की जानकारी देते हुए अस्पताल के अंगदान विभाग के अध्यक्ष ने बताया कि पिछले 3 साल में तकरीबन 500 से अधिक लोगों ने नेत्रदान किया है और दूसरे लोगों की जिंदगी का अंधेरा दूर किया है। इसलिए अंधेरे को कोसने से अच्छा है कि हम एक दीया जलायें। रांची में कई परिवारों ने नेत्रदान कर इस मुहिम को बल दिया है।
एबीएन हेल्थ डेस्क। दुनिया भर में हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन एक silent killer के रूप में सामने आ चुका है। इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि शुरुआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते और जब तक मरीज़ को इसका एहसास होता है, तब तक यह दिल, दिमाग और किडनी जैसे अहम अंगों को नुकसान पहुंचा चुका होता है। हर साल करोड़ों लोगों की जान लेने वाली इस बीमारी से निपटने के लिए अब एक बड़ी मेडिकल तकनीक सामने आई है।
भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक ऑनलाइन टूल तैयार किया है, जो हाई ब्लड प्रेशर के इलाज को पहले से कहीं अधिक सटीक बना देगा। इस टूल का नाम है - Blood Pressure Treatment Efficacy Calculator यानी बीपी ट्रीटमेंट कैलकुलेटर। यह टूल डॉक्टरों की मदद करेगा कि वे मरीज को कौन-सी दवा दें और कितनी मात्रा में दें जिससे उसका ब्लड प्रेशर जल्दी और सुरक्षित स्तर तक आ सके।
इस टूल को बनाने से पहले शोधकर्ताओं ने 1 लाख से ज्यादा मरीजों पर किए गए करीब 500 मेडिकल ट्रायल्स के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इन आंकड़ों के आधार पर यह टूल बताता है कि कौन-सी दवा, किस खुराक में और किस मरीज के लिए कितनी प्रभावी साबित हो सकती है।
डॉक्टर इन स्तरों को देखकर यह तय कर सकते हैं कि मरीज के लिए किस दवा की जरूरत है और कितनी डोज़ में।
अब नहीं करना होगा Trial-and-Error
अभी तक हाई बीपी के इलाज में डॉक्टरों को कई बार अलग-अलग दवाएं आज़मानी पड़ती थीं ताकि यह पता चले कि मरीज पर कौन-सी दवा बेहतर असर कर रही है। इससे इलाज में देरी और रिस्क दोनों बढ़ जाते थे। लेकिन इस स्मार्ट टूल की मदद से अब शुरुआत से ही मरीज को टारगेटेड दवा मिल सकेगी।
एबीएन हेल्थ डेस्क। मोटापा इंसान को सिर्फ मोटा ही नहीं करता बल्कि बीमार भी कर देता है। मोटापे से इंसान को कई बीमारियां लग जाती हैं। लगातार प्रयास करने के बाद भी वजन कम न होने के बाद हम सभी परेशान हो जाते हैं। वहीं, झारखंड में मोटापा कम करने का शौक तेजी से बढ़ रहा है। इसके लिए लोग इंजेक्शन लगवा रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक राज्य भर में लोग मोटापा कम करने के लिए इंजेक्शन लगवा रहे हैं। मैडिकल स्टोर में सेमाग्लुटाइड और टिरजेपेटाइड जैसे दवाओं की मांग भी लगातार बढ़ रही है। वहीं, मोटापा कम करने वाले इंजेक्शन काफी महंगे हैं। इन इंजेक्शनों की कीमत प्रत्येक डोज के लिए 3500 से 4500 रुपये के बीच है।
विशेषज्ञों के अनुसार, मरीज को हर महीने 4 इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिससे एक माह का खर्च 14,000 से 16,000 रुपये तक पहुंच जाता है। इलाज की अवधि 6 से 8 महीने तक होती है जिससे कुल खर्च 84,000 से 1.28 लाख रुपये के बीच तक पहुंच सकता है।
एक डायबेटोलॉजिस्ट ने बताया कि उनके पास करीब 100 नियमित मरीज हैं जो इन इंजेक्शनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि सेमाग्लुटाइड और टिरजेपेटाइड दवाओं के सेवन से भी व्यायाम के बिना वजन में कमी देखी गयी है, जिससे इसकी लोकप्रियता और बढ़ गई है। दवा व्यापारियों के अनुसार, यह इंजेक्शन एक माह पूर्व ही बाजार में आया है, लेकिन इसकी मांग इतनी तेजी से बढ़ी है कि 8 से 10 लाख रुपये तक का मासिक व्यापार हो रहा है।
डॉ श्रीवास्तव का कहना है कि मोटापा से वैसे पीड़ित व्यक्ति जो पैंक्रियाटाइटिस, किसी भी प्रकार के कैंसर, आंत की बीमारी और डायबिटिक रेटिनोपैथी वाले मरीज है, उन्हें यह इंजेक्शन नहीं लेना चाहिए। इससे उनके शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
डायबेटोलॉजिस्ट डॉ वीके ढांढनिया ने बताया कि सेगाग्लूटाइड और टिरजेपेटाइड दवा से मोटापा कम करने वाले हमारे पास दर्जनों मरीज है जिनको मेहनत नहीं करनी है, वह इसका उपयोग कर रहे हैं। दवाओं का साइड इफेक्ट तो होता ही है, इसलिए सामान्य व्यायाम और संयमित खानपान से वजन कम करना चाहिए।
एबीएन हेल्थ डेस्क। मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के खिलाफ भारत ने एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है। देश का पहला स्वदेशी मलेरिया टीका एडफैल्सीवैक्स तैयार कर लिया गया है। यह टीका न केवल मलेरिया के संक्रमण को रोकने में कारगर है, बल्कि इसके प्रसार को भी प्रभावी ढंग से रोकने में सक्षम है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने बताया कि यह टीका मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ पूरी तरह असरदार पाया गया है। यह परजीवी सबसे घातक मलेरिया संक्रमण का प्रमुख कारण माना जाता है।
आइसीएमआर के अनुसार, भारत पिछले कई दशकों से मच्छर जनित रोगों जैसे मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया से लड़ रहा है। जहां डेंगू और चिकनगुनिया के टीकों पर शोध जारी है, वहीं मलेरिया के खिलाफ यह सफलता एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।
यह टीका भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र और आइसीएमआर के संयुक्त प्रयास से विकसित किया गया है। इसे लैक्टोकोकस लैक्टिस नामक सुरक्षित बैक्टीरिया की मदद से तैयार किया गया है, जो आमतौर पर दही और पनीर बनाने में इस्तेमाल होता है।
इस टीके की सबसे खास बात यह है कि यह मलेरिया परजीवी को रक्त में प्रवेश करने से पहले ही रोक देता है। इसके साथ ही यह मच्छरों के माध्यम से संक्रमण फैलने की प्रक्रिया को भी प्रभावी रूप से रोकता है। यानी यह पूर्व-रक्त चरण और संचरण अवरोधक दोनों तरह से काम करता है।
वर्तमान में मलेरिया के जो दो टीके RTS,S और R21/Matrix-M — उपलब्ध हैं, उनकी कीमत लगभग ₹800 प्रति डोज है और उनकी प्रभावशीलता 33% से 67% के बीच है। इसके विपरीत, भारत में विकसित यह नया टीका अधिक प्रभावी होने के साथ-साथ किफायती भी होगा। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील सिंह ने बताया कि यह टीका संक्रमण को रोकने वाले मजबूत एंटीबॉडी बनाता है।
अभी तक इसका पूर्व-नैदानिक परीक्षण किया जा चुका है, जिसे ICMR, राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान (NIMR) और राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (NII) ने मिलकर पूरा किया है। टीके के व्यापक उत्पादन को लेकर ICMR ने निजी कंपनियों के साथ समझौते की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उम्मीद है कि यह टीका जल्द ही आम लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगा।
एबीएन हेल्थ डेस्क। बरसात का मौसम आते ही चिलचिलाती गर्मी से राहत मिलती है। हालाँकि, यह कई स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ भी लेकर आता है। बढ़ती नमी, स्थिर पानी और मच्छरों और अन्य रोगाणुओं के फैलने के कारण बरसात के मौसम में बीमारियाँ आम होती हैं। योगाचार्य महेश पाल बताते है कि वर्तमान समय में देखने में आ रहा है इस बरसात के मौसम में अधिकतर बच्चे युवा महिलाएं युवतियां, बुजुर्ग यह सभी वायरल संक्रमण व बैक्टीरिया का शिकार हो जाते हैं।
जिससे गले में दर्द सांस लेने में तकलीफ सर दर्द आंखों में दर्द तेज बुखार आदि बीमारियां शरीर को जकड़ लेती हैं इन आम बीमारियों के बारे में जागरूक होना और योग को अपनी दिनचर्या में निवारक उपाय के रूप में शामिल करना आवश्यक हो गया है और योग इस मौसम में आपके स्वास्थ्य की रक्षा करने में मदद कर सकता है। बरसात के मौसम में डेंगू बुखार मच्छरों द्वारा फैलने वाला एक वायरल संक्रमण है।
तेज बुखार, तेज सिरदर्द , आंखों के पीछे दर्द मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, चकत्ते और हल्का रक्तस्राव इसके कुछ लक्षण हैं।लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमित जानवरों के मूत्र से प्रदूषित पानी में बैक्टीरिया के कारण होता है। इसके लक्षणों में गंभीर सिरदर्द, तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, आंखों का लाल होना, पेट में दर्द , पीलिया और दस्त शामिल हैं।
लेप्टोस्पाइरोसिस एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो मनुष्यों और जानवरों को प्रभावित कर सकता है। बिना इलाज के, यह गंभीर रूप ले सकता है। शरीर पर कट लगने या खरोंच आने के माध्यम से बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करते हैं और लीवर एवं किडनी को प्रभावित करते हैं। यह संक्रमण लेप्टोस्पाइरा जीनस के बैक्टीरिया के कारण होता है। ये बैक्टीरिया चूहों के पेशाब से दूषित पानी में होते हैं।
भारी बारिश और बाढ़ से बैक्टीरिया फैल सकते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। लेप्टोस्पाइरोसिस के लक्षणों में तेज बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और कभी-कभी पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना) शामिल हैं। गंभीर मामलों में, यह किडनी और लीवर को नुकसान या मेनिनजाइटिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की झिल्लियों की सूजन) का कारण बन सकता है।
लेप्टोस्पाइरोसिस और बरसात के समय जन्म लेने वाले बारिश और बैक्टीरिया से बचाव के लिए योग प्राणायाम का उपयोगी साधन है योग प्राणायाम के अभ्यास से हमारे अंदर उच्च इम्यूनिटी क्षमता विकसित होती है जिससे हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाती है, और हमारे शरीर के अंदर कोई भी वायरस और बैक्टीरिया प्रवेश नहीं कर पाता जिससे हम विभिन्न प्रकार के वायरल संक्रमण व रोगों से बचे रहते हैं।
बरसात के मौसम में सबसे उपयोगी योग अभ्यास के अंतर्गत साधक सूर्य नमस्कार, उत्तांनासना,पर्वतआसन, परिर्वत पाश्वर्वकोणासन, पश्चिमोतानासन, नाड़ी शोधन प्राणायाम सुदर्शन योग क्रिया, आज्ञा चक्र पर ध्यान आदि के अभ्यास से हम पूर्ण रूप से बारिश में जन्म लेने वाले वायरस व बैक्टीरिया से अपने शरीर की सुरक्षा कर सकते हैं।
इसके अलावा बारिश के मौसम में हमारी आहारचर्या पर हमें ध्यान रखना होगा और साथ में ही हम गिलोय अमृता को काढ़े के रूप मै सेवन और तुलसी अर्क का सेवन 1 सप्ताह में दो बार जरूर करे जिससे वायरल संक्रमण व बैक्टीरिया से तो बचाव होगा ही हमें कई स्वास्थ लाभ मिलेंगे, सुबह उठते से ही सर्वप्रथम गुनगुना पानी पिए, जिनको वायरल संक्रमण हो गया है।
वह पानी उबालकर ही पिए ज्यादा हरी सब्जियां खाने से बचें, गुड, अजवाइन दालचीनी, लहसुन, अदरक, काली मिर्च, लौंग का का काढा बनाकर जरूर ले जिससे कफ खासी सर्दी जुखाम मै लाभ होगा और रात में सोने से पहले गर्म पानी में हल्दी, काला नमक डालकर गरारे करे जिससे गले के इंफेक्शन से बचा जा सकता है और अपने दिनचर्या में योग प्राणायाम को जरूर शामिल करें।
टीम एबीएन, रांची। आज दिनांक 17.06.2025, मंगलवार को डीएवी पब्लिक स्कूल गांधीनगर, रांची में प्राचार्य प्रदीप झा के विशेष आमंत्रण पर विद्यालय परिसर में बृहत योग कक्षा का संचालन स्वामी मुक्तरथ के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। प्राचार्य श्री झा ने बच्चों को योग के समग्र रूपों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग शारिरिक व्यायाम नहीं है, यह विद्या पूरी तरह से वैज्ञानिक है जो मनुष्य के चित्त के गंदगी को हटाता है और प्रकाश को दिखाता है।
महर्षि पातञ्जलि का यह सूत्र बताता है- योगश्चित्त वृत्ति निरोध:। योग से चित्तवृत्तियों का निरोध होता है और निरोध होने से वास्तविक ज्ञान उजागर होता है। व्यक्ति का मन स्थिर होता है और प्रसन्नचित होता है। योग शरीर और मन दोनों को तनावरहित कर ध्यान के लिए मस्तिष्क को तैयार करता है। ध्यान में मन की स्थिरता के लिये योगासन और प्राणायाम की साधना करनी होती है ताकि शरीर घन्टों तक स्थिर और सुखद अवस्था में बनी रहे।
स्वामी मुक्तरथ योग के कई पहलुओं पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए मानव मस्तिष्क की संरचना और मस्तिष्क में सुषुप्त केंद्रों को जागृत करने के उपाय पर योग साधनाओं की जानकारी दिये। उन्होंने कहा मस्तिष्क के दोनों गोलार्द्ध का समान रूप से विकाश नही हो पाता है। किसी में दाहिना मस्तिष्क तो किसी में बायां मस्तिष्क असंतुलित रूप से क्रियाशील रहता है जिस कारण से हमारी एकाग्रता ठीक नही रहती है और बुद्धि के स्तर पर भी हम कमजोर रह जाते हैं। पर जिस व्यक्ति का समुचित रूप से मस्तिष्क के दोनों हिस्से विकसित होते हैं उसमें मेधा शक्ति,बौद्धिक शक्ति, आत्मिक शक्ति सभी तेज होते हैं। इसके लिए खास रूप से जीवन के प्रथम चरण में ही आसन, प्राणयाम, मुद्रा और ध्यान शुरू कर देना चाहिये।
इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम है एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य यानि समस्त जीवों के स्वास्थ्य प्रबंधन का खयाल हमें रखना है। रांची के सभी डीएवी विद्यालयों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो गयी है। सत्यानंद योग मिशन राजधानी में विभिन्न जगहों पर योग शिविर का संचालन कर रहा है।
सीसीएल गांधीनगर डीएवी में पांच सौ विद्यार्थियों को स्वामी मुक्तरथ और इनके सहयोगी रोहित कुमार, केशव कुमार और सूरज कुमार ने वृक्षासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, अर्धचक्रासन, कटिचालन, तितली आसन, शशांकासन, उष्ट्रासन, उत्तानकुर्मासन, उत्तानपादासन, सुप्तपवनमुक्तासन, सेतुबंध आसन, मकरासन, भुजंगासन, शलभासन तथा नाड़ीशोधन एवं भ्रामरी प्राणायाम को कराया गया। (लेखक सत्यानंद योग मिशन रांची के अध्यक्ष हैं।)
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