हेल्थ

View All
Published / 2025-10-10 19:55:34
केवल विक्षिप्त अवस्था ही नहीं है मानसिक रोग : स्वामी मुक्तरथ

टीम एबीएन रांची। आज विश्व मानशिक स्वास्थ्य दिवस पर डीएवी कपिलदेव और डीएवी गाँधीनगर पब्लिक स्कूल में स्वामी मुक्तरथ का मानशिक स्वास्थ्य पर व्याख्यान माला हुआ। स्वामी जी मानसिक बीमारियों की पहचान और इसके रोकने के उपाय पर योग के महत्वपूर्ण प्रभावों की जानकारी दिये।

उन्होंने कहा कि जब अमेरिका में कम उम्र के बच्चों में मानसिक उतावलापन और क्राइम टेंडेंसी तथा बहरापन बढ़ने लगा तथा दूसरी ओर योरोप में भी नशा और पागलपन बढ़ने लगा तब पहली बार 10 अक्टूबर 1992 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ की पहल पर इसे मनाया गया। 

इस बत्तीस वर्षों  के अंतराल में इसके रोकथाम पर कोई ठोस कार्य नहीं हुआ है। ये पागलपन और विक्षिप्तता, अवसाद, आत्महत्या, ड्रग-एडिक्शन, पारिवारिक विखराव में वृद्धि ही हुई है। भारत ने दुनियाँ को इसके रोकने का प्रबल उपाय अध्यात्म और योग बताया है। यहाँ के योगीयों और मनीषियों ने अमेरिका, योरोप, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में जाकर बहुत काम किया है और लगातार कर रहे हैं नहीं तो स्थिति और भी गड़बड़ हो जाती। योग मानसिक तंदुरूस्ती तथा तनावमुक्ति के लिये बहुत प्रभावकारी साधन है।

आचार्य मुक्तरथ जी ने कहा कि हमलोग सिर्फ विक्षिप्तता और अवसाद को ही मानसिक रोग समझ रहे हैं पर बहुत सारी हरकते मानसिक रोग के अंतर्गत आती है। बार-बार पैर हिलाना, अंगुलियों को कुरेदना, आँखें मिचलाना, कहीं भी थूक फेंकना, पेशेंस का कम होना, धैर्य की कमी, बार-बार गुस्सा आना,अपराध वृति, अनिद्रा, विद्वेष,घबराहट ये सब मानसिक हैं। यहाँ तक कि कब्ज, पाचन तन्त्र के रोग, दमा, स्किन प्रॉब्लम भी मानसिक समस्याओं का वजह है।

Published / 2025-10-09 21:57:31
मानसिक तनाव को दूर करता है योग-प्राणायाम : स्वामी मुक्तरथ

एबीएन सोशल डेस्क। मानसिक तनाव को दूर करने में कुछ खास पहलुओं को अपनाने की जरूरत है जिसमें योग, ध्यान, संगीत, मित्रों के साथ वार्तालाप, सत्संग, पांच मिनट गहरे श्वसन का अभ्यास, कीर्तन बहुत लाभदायक सिद्ध होगा। 

योगासन में सूर्य नमस्कार, योगमुद्रा, शशांकासन, धनुरासन, कूर्मासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, सर्वांगासन प्रमुख है। प्राणायाम में भस्त्रिका, नाड़ीशोधन, भ्रामरी प्रमुख है। ध्यान - योगनिद्रा मानशिक रोग को रोकने में बहुत प्रभावशाली है।

दुनिया में तनाव और मानशिक समस्याओं के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए 10 अक्टूबर 1992 को लोगों में जागरूकता हेतू विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की घोषणा की गई। पर इतने लम्बे समय में भी हमलोग अभी तक मानसिक रोगियों की वृद्धि को रोकना तो दूर की बात रही, हम मानसिक रोग को पहचानने से भी बहुत दूर रहे हैं। केवल विक्षिप्त लोगों को ही हम पागल मान बैठे और यहीं तक हमारी धारणा सीमित रही।

आये दिन तोड़-फोड़, जरा सी बातों पर गंभीर लड़ाई छेड़ देना, परिवार के बीच बेतरतीब झगड़े, भाई-भाई के बीच का झगड़ा, पति-पत्नी के रिश्ते ध्वस्त हो रहे हैं, प्रतिस्पर्धाओं में ईर्ष्या ने जगह बना ली है। धैर्य (पेशेंस) बिल्कुल खत्म हो रहा है, मस्तिष्क में नकारात्मक सोच बढ़ रहे हैं, प्रवृत्ति गंदी हो रही है, वायुमंडल को हम गंदा कर रहे हैं क्या ये मानसिक अस्वस्थता नहीं है?

आज के मनोविश्लेषक और मनोवैज्ञानिक इसे भी मानसिक रोगियों की श्रेणी में खड़ा कर रहे हैं। सिर्फ पागलपन, अवसाद, चिन्ता, फ्रस्टेशन, अनिद्रा, तनाव, स्क्रीजोफ्रेनिया, भय, कुंठा आदि ही मानसिक बीमारी नहीं है बल्कि उच्च-रक्तचाप,हृदय रोग, कब्ज,पाचन प्रणाली की समस्या, अल्सर,कैन्सर, दमा,माइग्रेन जैसी बीमारियां भी मानसिक हैं। 

हमें बहुत जल्द इसे समझने की जरूरत है नहीं तो स्थिति बहुत खराब हो जायेगी। इन सभी समस्याओं को समझने के साथ हमें भारत की शक्तिशाली विद्या योग को भी समझने की बहुत जरूरत है जिसे हजारों वर्ष पूर्व हमारे ऋषि-मुनियों ने दिया था। यह विद्या पूर्णरूप से मानसिक स्वास्थ्य को प्रदान करता है।

योग शारिरिक साधना है और यह मन को शक्तिशाली तथा शुद्ध बनाता है : स्वामी मुक्तरथ

योग मानसिक समस्याओं को दूर करता है, इसके बिना मनोवैज्ञानिक उपचार अधूरा लम्बे वर्षों के बाद भी मानसिक रोग को दूर करने में योग के व्यापक प्रभाव से दूर हैं। योग भारत की ऐसी विद्या है जिसमें मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव की विस्तृत चर्चा है। इसके अलावा भी हमारे बहुत सारे धार्मिक शास्त्रों में भी मानस रोग की चर्चा का उल्लेख मिलता है।

वर्तमान समय में योग के द्वारा कठिन व्याधियों को दूर किया जा रहा है। मानसिक समस्याओं पर भी विदेशों में खास करके योरोप में काफी रिसर्च हो चुके हैं जो बहुत सफल और महत्वपूर्ण साबित हुआ है। हमें सही रूप से योग को जानने की जरूरत है और इसके उपचारात्मक बिधियों को समझने की जरूरत है। यदि हम अपने दिनचर्या में योग को शामिल करते हैं तो बहुत बड़ा मानसिक परिवर्तन देखने को मिल सकता है इसमें कोई दो मत नहीं है।

भारत के नामचीन मानसिक प्रतिष्ठान सीआईपी, काँके में 8 वर्ष का योगचिकित्सा का अनुभव

मानसिक तनाव को दूर करने में कुछ खास पहलूओं को अपनाने की जरूरत है जिसमें योग, ध्यान, संगीत,मित्रों के साथ वार्तालाप,सत्संग, पाँच मिनट गहरे श्वसन का अभ्यास, कीर्तन बहुत लाभदायक सिद्ध होगा। योगासन में- सूर्यनमस्कार, योगमुद्रा, शशांकासन, धनुरासन,कुर्मासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, सर्वांगासन प्रमुख है।

Published / 2025-10-09 20:24:58
हरी मटर या छोले... कौन है पोषण का असली चैंपियन

जानें आपके लिए क्या है फायदेमंद

एबीएन हेल्थ डेस्क। हरी मटर और छोले दोनों ही पोषक तत्वों से भरपूर फूड्स है। दोनों ही भारतीय खानपान का अहम हिस्सा हैं और स्वाद में भी लाजवाब होते हैं। ये दोनों ही लेग्यूम्स फैमिली से आते हैं। हालांकि, इनके न्यूट्रिशन वैल्यू और फायदे अलग-अलग होते हैं। कुछ लोगों को लगता है कि दोनों सेहत को एक जैसे फायदे देते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। हरी मटर में जहां विटामिन सी और फाइबर भरपूर पाया जाता है। 

वहीं, छोले प्रोटीन का बेहतरीन स्त्रोत है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आपके लिए कौन ज्यादा फायदेमंद है। आज की भागदौड़ भरी और अनहेल्दी लाइफस्टाइल में बैलेंस बनाना एक चैलेंज बन गया है। ऐसे में खानपान पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। हमे हमनी डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करने की जरूरत हो जो पूरा पोषण भी दें और वजन को भी कंट्रोल करें। सर्दियों के मौसम में खाई जाने वाली हरी मटर और छोले वेट लॉस से लेकर इम्यूनिटी बूस्ट करने में मदद करते हैं। आइए, दोनों की न्यूट्रिशन वैल्यू एक नजर डालते हैं।

हरी मटर के जबरदस्त फायदे 

हरी मटर पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन सी, के, फोलेट और मिनिरल्स पाए जाते हैं। इसे खाने से शरीर को भी कई फायदे मिलते हैं। हेल्थलाइन के मुताबिक, हरी मटर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी काफी कम होता है। फाइबर होने की वजह से हरी मटर डाइजेशन को भी बेहतर बनाने का काम करती है। हरी मटर में मिनिरल्स, मैग्नीशियम और पोटेशियम पाया जाता है, जो हार्ट हेल्थ को बनाए रखने में मददगार है। हालांकि, अगर आप हरी मटर का सेवन जरूरत से ज्यादा करते हैं तो इससे ब्लोटिंग जैसी शिकायत होने का भी खतरा रहता है। 

प्रोटीन से भरपूर छोले 

छोले भी पोषक तत्वों का खजाना है। इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा डायटरी फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम और जिंक जैसे पोषक तत्वों का भी बेहतरीन स्रोत है। छोले में विटामिन बी और हेल्दी अनसैचुरेटेड फैटी एसिड भी पाया जाता है। इसका सेवन शरीर के लिए काफी फायदेमंद है। 

प्रोटीन होने की वजह से छोले पेट को लंबे समय तक भरा रखते हैं, जिससे बार-बार खाने की क्रेविंग से बचा जा सकता है। मसल्स गेन करने वालों के लिए भी छोले एक बेहतरीन स्रोत है। हेल्थलाइन के मुताबिक, 1 कप छोले में करीब 14.5 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है। ब्लड शुगर कंट्रोल करने से लेकर डाइजेशन को बेहतर बनाने में भी छोले बेनिफिशियल हैं। छोले और हरी मटर दोनों ही पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। लेकिन दोनों के न्यूट्रिशन वैल्यू में काफी अंतर है। 

साथ ही ये सेहत को भी अलग-अलग फायदे देते हैं। छोले जहां प्रोटीन का बेहतरीन स्त्रोत माने जाते हैं, जो मसल्स गेन करने वाले, वजन कंट्रोल करने वाले और ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए फायदेमंद है। वहीं, हरी मटर विटामिन सी भरपूर है। ये कम कैलोरी वाला फूड है जो वेट लॉस में हेल्प करता है। हालांकि, दोनों ही जरूरत से ज्यादा खाने से ब्लोटिंग, गैस और कब्ज जैसी शिकायत कर सकते हैं। ऐसे में आप अपनी जरूरत के हिसाब से इन दोनों को डाइट में शामिल करें।

Published / 2025-10-07 21:06:07
हृदय स्वास्थ्य एक गंभीर समस्या, बचाव के लिए करें योग प्राणायाम : योगाचार्य महेश पाल

एबीएन सोशल डेस्क। गायत्री मंदिर में चल रहे योग सत्र के दोरान योगाचार्य महेश पाल ने बताया कि, दुनिया तेजी से बदल रही है जिसके कारण बदलती मानवीय जीवनशैली का सबसे गंभीर प्रभाव मानव हृदय पर पड़ा है। आज हृदय रोग केवल वृद्धावस्था तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि यह युवाओं में भी बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। वैश्विक स्तर पर हर साल लाखों लोग दिल से जुड़ी बीमारियों के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। 

पिछले दो-तीन वर्षों से कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ते हुए देखे गए हैं। 50 वर्ष से कम उम्र के 50 फीसदी और 40 वर्ष से कम उम्र के 25 फीसदी लोगों में हार्ट अटैक का जोखिम देखा गया है कुछ वर्षों पूर्व पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट अटैक के मामले कम थे। एक नए शोध में यह हृदय रोग अब बराबर देखे गए। हृदय रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई। 

कुछ वर्षों पूर्व वृद्धावस्था में होने वाली इस बीमारी ने युवकों को भी शिकार बना लिया है। वर्तमान में हार्ट अटैक युवाओं में होने के अनेकों अनेक कारणों का समावेश होता रहा है! इसमें आधुनिक खान पान और जीवन शैली महत्वपूर्ण है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया के कुल हृदय रोगियों में से 60 प्रतिशत मरीज अकेले भारत में ही होने की संभावना व्यक्ति की गई है। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। 

वर्ष 2025 का विषय है एक धड़कन न चूकें यह संदेश केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि एक सामूहिक चेतावनी है कि यदि अब भी लोग, समाज और सरकारें सक्रिय नहीं हुए तो हृदय रोग एक वैश्विक महामारी का रूप ले लेगा। चूंकि हार्ट अटैक समस्या का संभावित समाधान जीवनशैली में सख्त आचार संहिता अपनाकर ओर अपनी दिनचर्या में योग प्राणायाम को शामिल कर हृदयघात से होने वाली मौतों को रोकने में सहभागी बनें अगर हम हार्ट अटैक क्या है और कैसे होता है? इसे समझने की कोशिश करें तो, हार्ट अटैक, इसे चिकित्सकीय भाषा में मायोकार्डियलइंफाशन कहा जाता है, तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों तक रक्त का प्रवाह अचानक बाधित हो जाता है। 

यह स्थिति प्राय: तब उत्पन्न होती है जब कोरोनरी आर्टरी (हृदय की रक्तवाहिका) में प्लाक (कोलेस्ट्रॉल, वसा और अन्य तत्वों का जमाव जमा होकर ब्लॉकेज पैदा कर देता है। इस ब्लॉकेज से हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिलती और परिणामस्वरूप हृदय की कोशिकाएं मरने लगती हैं। यदि समय पर इलाज न मिले तो यह व्यक्ति की जान भी ले सकता है। इसके लक्षण कई बार अचानक और गंभीर हो सकते हैं जैसे सीने में तेज दर्द या दबाव, पसीना आना, सांस फूलना, जबड़े या बांह में दर्द, मतली या बेहोशी। 

वहीं, कुछ मामलों में हल्के संकेत भी मिलते हैं जिन्हें लोग सामान्य थकान या गैस समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, और यही लापरवाही जीवन के लिए घातक सिद्ध होती है। हार्ट अटैक की समस्या से बचाव के लिए योग प्रणामी काफी उपयोगी है जिसमें योग और प्राणायाम के द्वारा हार्ट अटैक की समस्याओं से बचा जा सकता है योग के अंतर्गत सूर्य नमस्कार, ताड़ासन त्रियक ताड़ासन, भुजंगासन, वज्रासन, वीरभद्रासन, अनुलोम विलोम प्राणायाम, नाड़ी शोधन प्राणायाम, योगनिद्रा ध्यान आदि के अभ्यास से हार्ट अटैक की समस्या से बचा जा सकता है।

वहीं अपनी दैनिक दिनचर्या में परिवर्तन कर और अपनी भोजनाचार्य को व्यवस्थित कर, अपनी दिनचर्या में योग को शामिल किया जा सकता है और हार्ट अटैक के साथ-साथ अन्य गंभीर बीमारियों से भी बचा जा सकता है, अगर हम जीवनशैली और हार्ट अटैक का संबंध को समझने की करें तो, आधुनिक युग की भागदौड़ भरी जीवनशैली हृदय के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। अधिकतर मामलों में पाया गया है कि हृदय रोग सीधे-सीधे व्यक्ति की आदतों और दिनचर्या से जुड़े होते हैं। 

  • अस्वास्थ्यकर आहार जंक फूड, तैलीय और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, उच्च नमक और चीनी का सेवन हृदय पर भार डालते हैं।  
  • शारीरिक निष्क्रियता-लंबे समय तक बैठे रहने और योग अभ्यास न करने से मोटापा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर बढ़ते हैं। 
  • धूम्रपान व शराब का सेवन तंबाकू और अल्कोहल हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाते हैं। 

तनाव और अनियमित नींद मानसिक दबाव और नींद की कमी हार्मोनल असंतुलन पैदा कर हृदय रोग का खतरा बढ़ाते हैं। यदि व्यक्ति अपने जीवनशैली विकल्पों में बदलाव कर ले तो हृदय रोग से होने वाले 80 फीसदी समयपूर्व मौतों को रोका जा सकता है।  हम विश्व हृदय दिवस को एक वैश्विक बहुभाषी अभियान को समझने की कोशिश करें तो, हर वर्ष 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। यह केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं बल्कि एक वैश्विक अभियान है जिसमें विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और देशों को एक मंच पर लाकर हृदय स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाता है। 

  • स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में योग शिविर हेल्थ कैम्प और सेमिनार आयोजित होते हैं। 
  • अस्पताल और स्वास्थ्य संगठन मुफ्त जांच शिविर और परामर्श सेवाएं प्रदान करते हैं। 
  • डिजिटल माध्यमों पर सोशल मीडिया कैंपेन चलाए जाते हैं। 

सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संगठन मिलकर नीतिगत हस्तक्षेप की दिशा में कदम उठाते हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को याद दिलाना है कि उनका हृदय ही उनकी जीवन शक्ति है और उसकी देखभाल सबसे पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए।  

2025 की थीम एक धड़कन न चूकें इसका गहरा अर्थ है। यह लोगों को यह समझाने का प्रयास है : 

  • हृदय स्वास्थ्य में लापरवाही की कोई जगह नहीं है  
  • समय समय पर स्वास्थ्य जांच कराना जरूरी है। 
  • चेतावनी संकेतों (जैसे सांस फूलना, थकान, सीने में दर्द) को कभी नजरअंदाज न करें। 
  • स्वस्थ आदतों को निरंतर बनाए रखना चाहिए, चाहे व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ क्यों न दिखे। 
  • समय पर चिकित्सा सहायता लेना ही जीवन बचाने का सबसे प्रभावी उपाय है। 

चिप्स, फ्रेंच फ्राइज, कैंडी, आइसक्रीम, चॉकलेट, कोक, और सोडा जैसी हाई कार्बोहाइड्रेड, शुगर ओर पेंटी, फैटी एसिड वाली चीजों को कंफर्ट फूड में रखा गया है। इनसे हार्ट अटैक का रोग खतरा 33 प्रतिशत बढ़ जाता है। यदि प्रतिदिन लगभग 800/900 ग्राम फल और सब्जियां खाते हैं, तो उनमें हार्ट अटैक का खतरा लगभग 30 प्रतिशत कम होता है। 

हृदयाघात की जोखिम बढ़ने के 6 कारणों में से 4 कारण तो जीवनशैली से जुड़े है, जिन्हें नियन्त्रित कर हृदय घात के खतरे को काफी कम करके दिल को मजबूत किया जा सकता। उपरोक्त थीम वैश्विक स्तरपर एक चेतावनी है कि हम सभी को अपने और अपने प्रियजनों के हृदय की जिम्मेदारी लेनी होगी।   

इस जागरण अभियान में सरकारों और समाज की भूमिका को समझने की कोशिश करें तो हृदय स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं है। इसमें सरकारों और समाजों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है  

  • सरकारें किफायती और सुलभस्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करें। 
  • ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में हृदय रोग की जांच और इलाज की सुविधाएं उपलब्ध करायी जायें। 
  • खाद्य उद्योगों को नियमन में लाकर अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों पर नियंत्रण किया जाये। 
  • स्कूलों में बच्चों को बचपन से ही योग और स्वास्थ्य शिक्षा दी जाये। 
  • कार्यस्थलों पर तनाव प्रबंधन और फिटनेस कार्यक्रम शुरू किये जायें। 

यदि यह प्रयास सामूहिक रूप से किए जाएं तो आने वाले वर्षों में हृदय रोग के मामलों में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है। अत: अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि  हृदय की धड़कन अमूल्य है। एक धड़कन न चूकें केवल एक नारा नहीं बल्कि एक जीवन मंत्र है। हृदय स्वास्थ्य के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी, सामूहिक प्रयास और सरकारी नीतियां तीनों जरूरी हैं। 

यदि लोग आज ही स्वस्थ जीवनशैली अपनाना शुरू करें, समय पर जांच कराएं और चेतावनी संकेतों को गंभीरता से लें तो असामयिक मौतों को रोका जा सकता है। हृदय एक बार रुक जाए तो जीवन ठहर जाता है, इसलिए अब समय है कि दुनिया भर की सरकारें, समाज और व्यक्ति मिलकर यह संकल्प लें कि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और मजबूत हृदय की धड़कन उपहार में देंगे।

Published / 2025-10-07 19:52:17
जानें केला खाने के बाद पानी पीना चाहिए या नहीं!

एबीएन हेल्थ डेस्क। पोटैशियम, फाइबर, विटामिन बी6 और विटामिन सी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर केला एक ऐसा फल है जो न केवल स्वाद में मीठा और नरम होता है, बल्कि सेहत के भी किसी वरदान से कम नहीं माना जाता है, लेकिन क्या इसे खाने के तुरंत बाद पानी पीना सही है? ये जानने के लिए स्टोरी में बने रहिये।  

क्या हम केले के ठीक बाद पानी पी सकते हैं? पानी पीना चाहिए या नहीं? 

केला एक ठंडा फल माना जाता है, जो पचने में समय लेता है। ऐसे में अगर आप केला खाने के तुरंत बाद ठंडा पानी पीते हैं तो बलगम, खांसी और सर्दी जैसी समस्याओं को बुलावा दे सकते हैं। आयुर्वेद में सलाह दी जाती है कि केला खाने के कम से कम 20 से 30 मिनट बाद ही पानी पीना पीना चाहिए।  

  1. गैस: केला खाने के बाद पानी पीने से कुछ लोगों को पेट से जुड़ी दिक्कतें जैसे भारीपन और गैस की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए केला खाने के बाद पानी पीने से बचना चाहिए।  
  2. सर्दी-जुकाम: केला ठंडा होता है, इसको खाने के बाद ठंडा पानी पीने से शरीर का तापमान तेजी से गिर सकता है, जो सर्दी जुकाम जैसी बीमारी की वजह बन सकता है। ऐसे में इन समस्याओं से बचने के लिए ऐसा करने से बचें।   
  3. स्लो डाइजेशन: केला खाने के बाद पानी पीने से डाइजेशन स्लो हो सकता है जो पेट से जुड़ी दिक्कतों का कारण बन सकता है। पेट को ठीक रखने के लिए केले खाने के बाद पानी न पिएं।  

खाने का सही तरीका क्या है? 

  • कब खायें : केला खाने के कम से कम 20 से 30 मिनट बाद ही पानी पीने की सलाह डी जाती है। 
  • प्यास लगे तो क्या करें : गुनगुना पानी या सामान्य तापमान वाला पानी का ही सेवन करें। 
  • ठंडा पानी न पीयें : ठंडा पानी खासकर सर्दियों में या रात के समय खाने के बाद पूरी तरह से टालें। 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। अइठठी६२24.ूङ्मे इस जानकारी के लिए जिÞम्मेदारी का दावा नहीं करता है।)

Published / 2025-10-07 19:50:27
जानें एक दिन में कितनी रोटी खानी चाहिए?

अगर इससे ज्यादा खाते हैं, तो आज से बदल लें आदत 

एबीएन हेल्थ डेस्क। रोटी हमारी डाइट का वो हिस्सा है जिसके बिना थाली अधूरी लगती है, फिर चाहे दाल हो या आलू सब्जी के साथ जब तक रोटी न परोसी जाये खाने का स्वाद नहीं आता। कई लोग स्वाद-स्वाद में ज्यादा रोटियां खा लेते हैं, लेकिन क्या आपको पता है एक दिन में हमें कितनी रोटियों का सेवन करना चाहिए? जी हां, जरूरत से ज्यादा रोटी खाना शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। तो चलिये जानते हैं एक दिन में कितनी रोटियां खानी चाहिए? पेट कम करने के लिए एक दिन में कितनी रोटी खानी चाहिए?  

ज्यादा रोटी खाने के नुकसान? 

  • वजन: रोटी में काबोर्हाइड्रेट की मात्रा ज्यादा पायी जाती है। जरूरत से ज्यादा कार्बोहाइड्रेट का सेवन बढ़ते वजन का कारण बन सकता है। अगर आप वेट कम करना चाहते हैं तो ज्यादा रोटी खाने से बचें। 
  • जरूरत से ज्यादा गेहूं की रोटी का सेवन ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।  
  • पेट फूलना: गेहूं में ग्लूटेन नाम का एक प्रोटीन पाया जाता है, जो कई लोगों में गैस, पेट फूलना, भारीपन या एसिडिटी जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। रात में ज्यादा रोटी का सेवन इन समस्याओं को बढ़ा सकता है।  
  • कब्ज: अगर आप सिर्फ रोटी पर ही निर्भर रहते हैं और सब्जियां, फल या पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन नहीं करते हैं, तो शरीर में फाइबर की कमी हो सकती है जिससे पाचन क्रिया स्लो हो सकती है और कब्ज जैसी समस्या को बुलावा दे सकती है। 

एक दिन में कितनी रोटी खानी चाहिए? 

गेहूं के आटे की एक रोटी आपके शरीर को करीब 17 ग्राम काबोर्हाइड्रेट देती है और करीब सत्तर ग्राम कार्ब्स देती है। एक्सपर्ट के मुताबिक एक दिन में 2 से 3 रोटी का सेवन करना चाहिए। 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। Abnnews24.com इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।) 

Published / 2025-09-28 20:43:28
आपकी आंखों के संकेत बतायेंगे हाई बीपी

हाई बीपी के मरीज हो जाये अलर्ट! ब्लड प्रेशर बढ़ने पर आंखों में दिखते हैं ये 5 खतरनाक संकेत, ऐसे होती है पहचान 

एबीएन हेल्थ डेस्क। आज के समय में हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप एक आम समस्या बन चुका है, जिसे साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है। शुरूआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन समय के साथ यह खतरनाक रूप ले सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, हाई बीपी का सबसे पहले असर हमारे शरीर के उस अंग पर दिखता है, जो सबसे संवेदनशील है : यानी आंख। 

आंखों से कैसे पता चलता है हाई बीपी 

हाई ब्लड प्रेशर के प्रभाव का सबसे पहला संकेत आंखों में रेटिना पर दिखाई देता है। रेटिना में मौजूद छोटी ब्लड वेसल्स रक्तचाप में मामूली बदलाव को भी तुरंत दर्शाती हैं। जैसे-जैसे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, ये वेसल्स पहले की तुलना में सख्त और संकरी नजर आने लगती हैं। इसका असर आंखों में साफ दिखाई देता है और डॉक्टर इसके माध्यम से मरीज की हाई बीपी की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। 

हाई बीपी से आंखों को कितना नुकसान होता है 

अगर हाई बीपी लंबे समय तक बनी रहती है, तो रेटिना को नुकसान पहुंचता है, जिसे मेडिकल टर्म में हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी कहा जाता है। इस स्थिति में रेटिनल आर्टरीज सख्त और मोटी हो जाती हैं। समय के साथ इन आर्टरीज के चारों तरफ सिल्वर वायरिंग दिखाई देने लगती है और ब्लड फ्लो बाधित होने लगता है, जिसे आर्टीरियोवेनस निकिंग कहा जाता है। 

अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे, तो इससे दृष्टि पर असर पड़ने लगता है। इसके अलावा रेटिनल वेन आॅक्लूजन, रेटिनल आर्टरी आॅक्लूजन, मैलिग्नेंट हाइपरटेंशन और आंखों में सूजन या फ्लूएड रिसाव जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं। लंबे समय तक हाई बीपी का प्रभाव हार्ट और किडनी सहित आंखों पर भी गहरा असर डालता है। 

क्या कहते हैं नेत्र विशेषज्ञ  

नई दिल्ली के निजी अस्पताल की प्रतिष्ठित नेत्र विशेषज्ञ डॉ रामचंद्र सिंह का कहना है, हाई बीपी सिर्फ हार्ट और किडनी पर असर नहीं डालता, यह आंखों को भी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए हाई बीपी के मरीजों को नियमित रूप से आंखों की जांच करवाते रहना चाहिए ताकि समय रहते किसी गंभीर समस्या से बचा जा सके।

Published / 2025-09-16 19:52:34
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ ने की आयुष्मान भारत योजना की समीक्षा

ई-केवाईसी लक्ष्य को नेशनल लेवल तक पहुंचाने के निर्देश 

टीम एबीएन, रांची। आज राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के सभागार में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, नई दिल्ली के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी सुनील कुमार बरनवाल ने झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी के अंतर्गत संचालित आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की समीक्षा की। 

बैठक में झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी की कार्यकारी निदेशक डॉ नेहा अरोड़ा, अपर सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज, प्रवीण चंद्र मिश्रा, जीएम, जेएसएएस तथा विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। 

समीक्षा के दौरान कार्यकारी निदेशक डॉ नेहा अरोड़ा ने पीपीटी के माध्यम से आयुष्मान भारत - मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी। पहले चरण में सरकारी अस्पतालों में नंबर आॅफ केसेस केवल 10 प्रतिशत ही थे, लेकिन पिछले वर्ष यह भागीदारी 50 प्रतिशत तक पहुंच गयी। 

ई-केवाईसी में तेजी लाने के निर्देश 

श्री बरनवाल ने राज्य में 15 नवंबर 2025 तक ई-केवाईसी को राष्ट्रीय औसत के स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया। उन्होंने कहा कि राज्य में कम से कम 70% लाभार्थियों का ई-केवाईसी अनिवार्य रूप से पूरा होना चाहिए। इस हेतु व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश भी दिये गये। 

सार्वजनिक अस्पतालों में क्षमता संवर्धन पर बल 

उन्होंने सार्वजनिक अस्पतालों की क्षमताओं को सुदृढ़ करने के लिए क्षेत्रीय कार्यशालाएं (रीजनल वर्कशॉप) आयोजित करने के निर्देश दिये। विशेष रूप से रांची सदर अस्पताल की तर्ज पर अन्य अस्पतालों में भी आॅनलाइन बुकिंग प्रणाली को प्रभावी ढंग से लागू करने पर बल दिया गया। 

विशेषज्ञ डॉक्टरों का समुचित उपयोग 

सीईओ ने कहा कि राज्य के अधिकांश सार्वजनिक अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता है, लेकिन आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत बुकिंग की संख्या अपेक्षाकृत कम है। इस दिशा में सुधार की आवश्यकता जताई गई। 

फ्रॉड केसेस की पुन: जांच 

श्री बरनवाल ने फ्रॉड मामलों के संपन्न आॅडिट को रि आॅडिट करने का निर्देश दिया ताकि योजना की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनी रहे। 

बड़े पैकेजों के क्रियान्वयन पर जोर 

उन्होंने राज्य के सभी 6 मेडिकल कॉलेजों एवं अन्य सार्वजनिक अस्पतालों में बड़े पैकेजों को सक्रिय करने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई शीघ्रता से पूरी करने के निर्देश दिए। 

डिजिटल मिशन की प्रगति 

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के बारे में बताते हुए कार्यकारी निदेशक ने कहा कि इसके लिए कई पहल की जा रही हैं। इसके अंतर्गत संबंधित चिकित्सकीय संस्थानों और चिकित्सकों का डाटा एंट्री किया जा रहा है। साथ ही, मरीजों का डिजिटल रिकॉर्ड एकत्र किया जा रहा है। 

यह समीक्षा बैठक झारखंड में आयुष्मान भारत योजना की प्रभावशीलता, पारदर्शिता और लाभुकों तक प्रभावी पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में आयोजित की गयी।

Page 2 of 50

Newsletter

Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.

We do not share your information.

abnnews24

सच तो सामने आकर रहेगा

टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।

© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse