एबीएन सेंट्रल डेस्क। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 23 अगस्त से अबतक बाढ़ के कारण 50 लोगों की मौत हुई है और करीब 40 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 13 करोड़ की आबादी वाले इस प्रांत में अगस्त के मध्य से मूसलाधार बारिश हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप लगभग सभी नदियां और सहायक नदियां खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं।
पंजाब के प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (पीडीएमए) के महानिदेशक इरफान अली काठिया ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, पंजाब में अब तक करीब 40 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित/विस्थापित हुए हैं। बाढ़ के पानी में फंसे करीब 18.4 लाख लोगों और 13.4 लाख मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
काठिया ने कहा, पंजाब के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 50 लोगों की मौत हो गयी है और मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख पाकिस्तानी रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी। उन्होंने बताया तीन नदियों- रावी, चिनाब और सतलुज के बाढ़ के पानी में 3,900 गांव डूब गये हैं और हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हो गयी हैं। कठिया ने कहा कि सियालकोट और गुजरात बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं तथा पंजाब के विभिन्न संभागों में और अधिक वर्षा होने का अनुमान है।
उन्होंने बताया, बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है, गंडा सिंह वाला, हेड सुलेमानकी, हेड कादिराबाद, खानकी और मुहम्मदवाला में जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। एनडीएमए के आंकड़ों के अनुसार, 26 जून से 31 अगस्त तक पंजाब प्रांत में बाढ़ से 209 लोगों की मौत हुई है जबकि लाखों लोग विस्थापित हुए हैं।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। टेस्ला के शेयरधारकों के सामने रखा गया एक नया प्रस्ताव एलोन मस्क को दुनिया का पहला ट्रिलियनेयर बना सकता है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि कंपनी भविष्य में कुछ महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल कर लेती है, तो मस्क को अभूतपूर्व मात्रा में टेस्ला के शेयर मिल सकते हैं।
इस प्रस्तावित वेतन पैकेज के तहत मस्क को 423.7 मिलियन अतिरिक्त टेस्ला शेयर दिये जा सकते हैं, जिनकी वर्तमान बाजार कीमत के अनुसार कुल वैल्यू $143.5 अरब डॉलर है। हालांकि, ये शेयर तभी मिलेंगे जब कंपनी की मार्केट वैल्यू में जबरदस्त वृद्धि होगी।
एलोन मस्क को यह पूरा शेयर पैकेज तभी मिलेगा, जब टेस्ला का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन $8.5 ट्रिलियन तक पहुंच जायेगा। वर्तमान में टेस्ला की वैल्यू $1.1 ट्रिलियन है, यानी उसे सात गुना से अधिक की छलांग लगानी होगी। यह आंकड़ा एनवीडिया की मौजूदा मार्केट वैल्यू से करीब दोगुना है, जो इस समय दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी है।
टेस्ला के इस प्रस्ताव के साथ एक और सुझाव सामने आया है कि कंपनी एक्स एआई में निवेश करे। एक्स एआई एलोन मस्क की निजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी है। अगर यह प्रस्ताव पारित होता है, तो मस्क को अपने व्यापारिक साम्राज्य को और मजबूत करने का मौका मिल सकता है। बता दें कि हाल ही में एक्स एआई ने (पूर्व में ट्विटर) को खरीद लिया है वहीं प्लेटफॉर्म जिसे मस्क ने 2022 में $44 अरब डॉलर की निजी राशि से खरीदा था।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उनका देश भारत के साथ बहुत अच्छी तरह तालमेल रखता है, लेकिन कई वर्षों से उनका संबंध एकतरफा था क्योंकि नई दिल्ली की ओर से वाशिंगटन पर भारी शुल्क लगाया जा रहा था। ट्रंप से मंगलवार को जब पूछा गया कि क्या वह भारत पर लगाये गये कुछ शुल्क हटाने पर विचार कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा, नहीं, हम भारत के साथ बहुत अच्छी तरह तालमेल रखते हैं।
ट्रंप की यह टिप्पणी नयी दिल्ली और वाशिंगटन के बीच संबंधों में तनाव के बीच आयी है, जब अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया है जो दुनिया में सबसे ज्यादा शुल्कों में से एक है। उन्होंने व्हाइट हाउस में कहा कि कई वर्षों तक भारत और अमेरिका के बीच संबंध एकतरफा थे और उनके पदभार ग्रहण करने के बाद इसमें बदलाव आया।
ट्रंप ने कहा, भारत हमसे बहुत ज्यादा शुल्क वसूल रहा था, जो दुनिया में सबसे ज्यादा था। उन्होंने कहा कि इसलिए अमेरिका भारत के साथ ज्यादा व्यापार नहीं कर रहा था। उन्होंने कहा, लेकिन वे हमारे साथ व्यापार कर रहे थे क्योंकि हम उनसे शुल्क नहीं वसूल रहे थे। मूर्खतापूर्ण तरीके से, हम उनसे शुल्क नहीं वसूल रहे थे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपने उत्पादों को अमेरिका में भेज रहा था। ट्रंप ने कहा, वे इसे हमारे देश में भेजेंगे। इसलिए इसे यहां नहीं बनाया जाएगा, जो एक नकारात्मक बात है, लेकिन हम कुछ भी नहीं भेजेंगे क्योंकि वे हमसे 100 प्रतिशत टैरिफ वसूल रहे थे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल का उदाहरण देते हुए कहा कि कंपनी भारत में अपनी मोटरसाइकिल नहीं बेच सकी क्योंकि उस पर 200 प्रतिशत शुल्क था। उन्होंने कहा, तो क्या हुआ? हार्ले डेविडसन भारत गयी और एक मोटरसाइकिल संयंत्र लगाया, और अब उन्हें शुल्क नहीं देना पड़ता, यह हमारे जैसा ही है।
सोमवार को, ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने अब अपने टैरिफ को पूरी तरह से कम करने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन अब देर हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत अपना अधिकांश तेल और सैन्य उत्पाद रूस से खरीदता है और अमेरिका से बहुत कम खरीदता है।
ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क और रूसी तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जिससे भारत पर लगाया गया कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है, जो 27 अगस्त से प्रभावी हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया है कि वह किसानों, पशुपालकों और लघु उद्योगों के हितों से समझौता नहीं कर सकते। उन्होंने आगाह किया कि हम पर दबाव बढ़ सकता है, लेकिन हम इसे सहन करेंगे।
भारत ने अमेरिका द्वारा लगाये गये शुल्कों को अनुचित और अतर्कसंगत बताया है। नयी दिल्ली ने कहा कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, वह अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा। वर्ष 2024-25 में, दोनों देशों के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 131.8 अरब डॉलर (86.5 अरब डॉलर निर्यात और 45.3 अरब डॉलर आयात) था।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। अफगानिस्तान के पूर्वी इलाके में आए विनाशकारी भूकंप में मरने वालों का आंकड़ा 1400 के पार पहुंच गया है। मंगलवार को तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस हादसे में अब तक करीब 3,000 लोग घायल हुए हैं, और राहत टीमें मलबे के नीचे फंसे लोगों को निकालने में जुटी हैं।
यह विनाशकारी भूकंप रविवार देर रात आया था और इसकी तीव्रता 6.0 मापी गई थी। यह भूकंप एक पहाड़ी क्षेत्र में आया था, जिससे कई गांवों में घर पूरी तरह ढह गए और लोग घंटों तक मलबे के नीचे दबे रहे। अफगानिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रवक्ता यूसुफ हम्माद ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया, घायलों को निकाला जा रहा है, इसलिए यह आंकड़े अभी और भी बदल सकते हैं।
उन्होंने बताया कि कुछ इलाकों में भूकंप के कारण भूस्खलन हुआ जिससे सड़कें बंद हो गयी थीं। हालांकि अब कई सड़कों को फिर से खोल दिया गया है और बाकी रास्तों को भी जल्द खोलने की कोशिश की जा रही है, ताकि उन इलाकों तक पहुंचा जा सके जहां जाना अब भी मुश्किल है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। पूर्वी अफगानिस्तान में पाकिस्तान सीमा के पास आये एक शक्तिशाली भूकंप से कई गांवों को तबाह कर दिया है। इलाके में भारी नुकसान पहुंचा है। इस भूकंप में अब तक 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कम से कम 1300 अन्य घायल हुए हैं।
खोज और बचाव दल के इलाके में पहुंचने के साथ ही मृतकों और घायलों की संख्या बढ़ने की आशंका है। इससे पहले रविवार देर रात आये भूकंप ने पड़ोसी नंगरहार प्रांत के जलालाबाद शहर के पास कुनार प्रांत के कई कस्बों को बर्बाद कर दिया।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के मुताबिक, रात 11:47 बजे आये 6.0 तीव्रता के भूकंप का केंद्र नंगरहार प्रांत के जलालाबाद शहर से 27 किलोमीटर पूर्व-उत्तर-पूर्व में था। यह महज आठ किलोमीटर की गहराई में था। कम तीव्रता वाले भूकंप ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
एबीएन सेन्ट्रल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जापान की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर टोक्यो पहुंच गये हैं। इस दौरान वे 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे जहां उनकी मुलाकात जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा से होगी। इस यात्रा को दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है और बड़े फायदे भी मिलने वाले हैं।
प्रधानमंत्री के रूप में यह पीएम मोदी की आठवीं जापान यात्रा है। इस दौरे का मुख्य फोकस भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा करना है। दोनों देशों के नेता कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे जिनमें शामिल हैं:
पीएम मोदी शिखर सम्मेलन के अलावा जापान के प्रमुख उद्योगपतियों और राजनीतिक नेताओं से भी मिलेंगे। इस बातचीत का उद्देश्य आर्थिक सहयोग को बढ़ाना और प्रमुख क्षेत्रों में जापानी निवेश को भारत में आकर्षित करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आखिरी बार मई 2023 में जापान का दौरा किया था। उसके बाद से उन्होंने और प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने कई मौकों पर बातचीत की है। हाल ही में दोनों नेता जून 2025 में कनाडा के जी7 शिखर सम्मेलन और लाओस में 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में मिले थे।
जापान से अपनी यात्रा पूरी करने के बाद पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की 25वीं बैठक में भाग लेने के लिए चीन के लिए रवाना होंगे।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। आगामी चार महीनों में आस्ट्रेलिया में लागू होने जा रहे एक कानून के तहत 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के फेसबुक, स्नैपचैट, टिकटॉक, इंस्टाग्राम, एक्स (पूर्व में ट्विटर), रेडिट और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया मंच का उपयोग करने पर प्रतिबंध लग जायेगा।
संघीय सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया कंपनियों को 10 दिसंबर तक इन नाबालिग उपयोगकर्ताओं के सोशल मीडिया खातों को हटाने और आयु सत्यापन सॉफ्टवेयर के माध्यम से इन्हें नए खाते बनाने से रोकने के लिए उचित कदम उठाने होंगे। इस कानून के तहत माता-पिता की अनुमति से भी बच्चों को इन सोशल मीडिया मंचों तक पहुंच नहीं दी जा सकेगी।
इस फैसले को लेकर संभावित लाभ और नुकसान को लेकर देशभर में तीखी बहस हो रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से युवा स्वयं को व्यक्त करते हैं, अपनी पहचान बनाते हैं और सामाजिक जुड़ाव महसूस करते हैं। एक ऐसे समाज में, जहां हर पांच में से दो बच्चे खुद को अकेला महसूस करते हैं, यह जुड़ाव काफी महत्वपूर्ण हो सकता है।
वहीं दूसरी ओर, सोशल मीडिया की लत और इसका आनंद उठा पाने से वंचित रह जाने का अंदेशा बच्चों को इन सोशल मीडिया मंचों पर अत्यधिक समय बिताने के लिए प्रेरित करता है। विशेषज्ञों ने माता-पिता के लिए पांच सुझाव साझा किए हैं, जिससे वे अपने बच्चों को 10 दिसंबर से लागू होने वाले इस प्रतिबंध के लिए तैयार कर सकें :
प्रतीक्षा न करें बच्चों के लिए सोशल मीडिया से अचानक दूरी बनाना झटका साबित हो सकता है। इसलिए माता-पिता को अभी से बच्चों के साथ इस विषय पर बातचीत शुरू करनी चाहिए। उन्हें बताएं कि यह प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है और इसका उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
धीरे-धीरे स्क्रीन टाइम कम करने से बच्चों को बदलाव के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिलेगी। हर सप्ताह सोशल मीडिया पर बिताया समय 25 फीसदी तक कम किया जा सकता है और एक महीने में पूरी तरह से बंद किया जा सकता है।
सोशल मीडिया के विकल्प के रूप में सामूहिक गतिविधियां, सामूहिक खेल, रचनात्मक अभिरुचियां जैसे कला, संगीत, हस्तशिल्प या स्वयंसेवा जैसे कार्यों को शामिल किया जा सकता है। इससे बच्चों को सामाजिक जुड़ाव और अपनी पहचान व्यक्त करने के अवसर मिलेंगे।
बच्चों को सोशल मीडिया से इतर समुदाय में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करें। आफलाइन समूह बनाना, जहां बच्चे आमने-सामने जुड़ सकें, एक सकारात्मक बदलाव हो सकता है। ऐसे समूह एक-दूसरे को सोशल मीडिया से दूर रहने में सहयोग कर सकते हैं।
बच्चे अपने अभिभावकों के व्यवहार को देखकर सीखते हैं। माता-पिता को भी स्क्रीन टाइम सीमित करना चाहिए, आमने-सामने के संबंधों को प्राथमिकता देनी चाहिए और नियमित रूप से आफलाइन गतिविधियों में शामिल होना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रतिबंध एक अवसर हो सकता है, जिससे बच्चे डिजिटल जीवन और असल जीवन में संतुलन बनाना सीखें। हालांकि इसे लागू करना आसान नहीं होगा, लेकिन समयपूर्व तैयारी से इसका असर कम किया जा सकता है।
एबीएन सेन्ट्रल डेस्क। अमेरिका ने भारत समेत कई देशों पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। यह टैरिफ 1 अगस्त 2025 से लागू होने वाला था, लेकिन अब इसे 1 सप्ताह के लिए टाल दिया गया है।
यानी अब यह टैरिफ 7 अगस्त 2025 से लागू होगा। अमेरिका के इस फैसले ने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अचानक इस टैरिफ की घोषणा कर दी थी, जिसमें भारत, बांग्लादेश, ब्राजील जैसे देश शामिल हैं। ट्रंप ने साफ कहा था कि यह कदम व्यापार बाधाओं को दूर करने और रूस से जुड़े लेन-देन पर सज़ा देने के तौर पर उठाया गया है।
भारत सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर संयमित प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में साफ कहा कि भारत किसी भी देश के दबाव में नहीं आएगा और देशहित में हर संभव कार्रवाई की जाएगी। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत अमेरिका से इस मुद्दे पर बातचीत करने को तैयार है और टैरिफ का जवाब नेगोशिएशन टेबल पर दिया जाएगा। भारत का रुख स्पष्ट है कि किसी भी फैसले में 70 करोड़ किसानों और 140 करोड़ नागरिकों के हित को प्राथमिकता दी जाएगी।
अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बना रहा है कि वह अपने कृषि और डेयरी सेक्टर को अमेरिकी उत्पादों के लिए खोले। खासतौर पर अमेरिका चाहता है कि भारत नॉनवेज मिल्क (मांसाहारी चारा खाने वाले मवेशियों का दूध) और जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) फसलों को देश में अनुमति दे। ट्रंप प्रशासन की मांग है कि अमेरिका के इन उत्पादों पर भारत टैरिफ को शून्य या न्यूनतम कर दे। इसके बदले में वह कुछ व्यापारिक रियायतें देने को तैयार है।
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने कृषि और डेयरी सेक्टर को किसी भी विदेशी दबाव, विशेष रूप से अमेरिकी दबाव के तहत नहीं खोलेगा। इसके पीछे कई ठोस और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण कारण हैं। भारत में दूध न सिर्फ एक पोषण स्रोत है बल्कि इसे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से पवित्र माना जाता है। ऐसे में नॉनवेज चारा खाने वाले मवेशियों से प्राप्त दूध को भारतीय समाज स्वीकार नहीं करता क्योंकि यह देश की सामाजिक भावना के खिलाफ है।
इसके अलावा, भारत अपनी खाद्य सुरक्षा, रणनीतिक स्वायत्तता और किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं करना चाहता। सरकार का साफ मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच कोई भी व्यापारिक समझौता तभी स्वीकार्य होगा जब वह संतुलित हो और दोनों देशों के हितों की समान रूप से रक्षा करे।
हालांकि ट्रंप सरकार ने टैरिफ की घोषणा कर दी थी लेकिन अमेरिका की नई अधिसूचना में कहा गया कि यह टैरिफ एक सप्ताह के लिए स्थगित किया जा रहा है। यानी अब यह टैरिफ 7 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा। यह निर्णय बैकडोर कूटनीति और वैश्विक दबाव का नतीजा माना जा रहा है। इस एक हफ्ते की राहत के दौरान दोनों देश बातचीत की टेबल पर बैठ सकते हैं और किसी संतुलन वाले समाधान पर पहुंच सकते हैं।
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