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Published / 2025-09-14 21:01:26
नेपाल हिंसा में मरे लोगों को शहीद का दर्जा देंगी पीएम कार्की

नेपाल की नई पीएम सुशीला कार्की का सत्ता को लेकर स्पष्ट संदेश- मजे लेने नहीं आयी, 6 महीने से ज्यादा नहीं रुकेंगे लेकिन... 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। नेपाल में चल रहे आंदोलन के बाद अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की बन गयी हैं। पदभार संभालते ही उन्होंने साफ कह दिया कि वे सत्ता का आनंद लेने नहीं, बल्कि सिर्फ 6 महीने के भीतर देश को नयी संसद और नया नेतृत्व सौंप देंगी। इस दौरान उन्होंने कहा है कि हिंसा में मरे लोगों को शहीद का दर्जा दिया जायेगा। 

काठमांडू के सिंह दरबार में रविवार को औपचारिक रूप से कार्यभार संभालते हुए सुशीला कार्की ने कहा, मेरी टीम और मैं यहां सत्ता का स्वाद चखने नहीं आए हैं। हम 6 महीने से ज्यादा नहीं रुकेंगे। इसके बाद जिम्मेदारी नई संसद को सौंप देंगे।" उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि हाल के दंगों और तोड़फोड़ की घटनाओं की पूरी जांच होगी। 

नेपाल में आंदोलन का नेतृत्व करने वाले युवाओं का कहना है कि यही सही वक्त था बदलाव का। उनका मानना है कि कार्की के नेतृत्व में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और अपारदर्शी सिस्टम पर काबू पाया जा सकेगा। युवा संतोष ने बताया यहां हालात इतने खराब थे कि छोटे से छोटे काम के लिए भी सरकारी दफ्तरों में घूस देनी पड़ती थी। बड़े नेताओं के काम तुरंत हो जाते थे, लेकिन आम लोग त्रस्त हो गए थे। 

एक अन्य युवा थापा ने कहा कि नेपाल में न इंडस्ट्री थी, न मजबूत शिक्षा व्यवस्था और न ही रोजगार। इस वजह से युवा विदेश जाने पर मजबूर थे। अब उन्हें उम्मीद है कि पारदर्शी नेतृत्व से हालात बदलेंगे। पदभार संभालने के बाद हालात सामान्य करने के प्रयास शुरू हो गए हैं। करीब 4-5 दिन बाद नेपाल-भारत बॉर्डर आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। अब लोग छोटे वाहनों और आधार कार्ड के जरिए सीमा पार कर सकते हैं। 

हालांकि, बड़ी गाड़ियों की आवाजाही अभी भी रोकी गई है क्योंकि हालिया हिंसा में भंडार कार्यालय को जला दिया गया था, जिससे कागजी काम और टैक्स वसूली बाधित है। बता दें कि हिंसा के बीच अब तक 61 लोगों की मौत हो चुकी है। शनिवार को काठमांडू के बौद्ध इलाके में स्थित भाटभटेनी सुपर स्टोर से छह शव बरामद हुए। सीमा पार करने वाले लोगों ने कहा कि हालात धीरे-धीरे सामान्य होते दिख रहे हैं, लेकिन अभी भी डर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।

Published / 2025-09-13 12:13:05
टैरिफ़ की मजबूरी ने भारत से रिश्ते को झकझोर दिया : ट्रम्प

  • भारत पर 50% को लेकर ट्रंप का बड़ा बयान
  • फैसला लेना आसान नहीं था और इस से दोनों देशों के बीच दरार भी आई

एबीएन सेन्ट्रल डेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने पूरी दुनिया के व्यापारिक समीकरणों को प्रभावित किया। उन्होंने कई देशों पर आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ाया। जिन देशों ने अमेरिका की शर्तें मान लीं, उनके प्रति ट्रंप का रुख नरम रहा, लेकिन जो देश अपनी प्राथमिकताओं पर डटे रहे, उन्हें अमेरिका के टैरिफ का सामना करना पड़ा।

भारत भी उन देशों में शामिल रहा जिसने अमेरिका के सामने झुकने से इनकार किया। इसके बाद भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया, जिससे भारत पर कुल टैरिफ 50 फीसदी लगा। इससे भारत-अमेरिका की दशकों पुरानी दोस्ती में कड़वाहट आने लगी।

फैसला लेना आसान काम नहीं था: ट्रम्प 

एक इंटरव्यू में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाना आसान नहीं था। उन्होंने बताया कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि भारत रूस से कच्चा तेल खरीद रहा था। इस कदम से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा और रिश्तों में दूरी आई।

अमेरिकी राष्ट्रपति भारत पर 50% टैरिफ को लेकर कहा कि फैसला लेना आसान काम नहीं था और इस से दोनों देशों के बीच दरार भी आई।

ट्रंप ने माना कि यह निर्णय कड़ा था, लेकिन ज़रूरी भी। उन्होंने यह भी कहा कि यह समस्या भारत की तुलना में यूरोप के लिए ज्यादा बड़ी है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि अपने कार्यकाल में उन्होंने कई बड़े संघर्षों को रोका, जैसे भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करवाना और कांगो-रवांडा के बीच युद्ध पर विराम लगवाना।

भारत ने साफ किया अपना रुख

भारत ने साफ किया है कि उसकी पहली प्राथमिकता अपनी ऊर्जा जरूरतें हैं। भारत रूस से तेल खरीदता है क्योंकि यह उसकी ज़रूरत और बाज़ार की परिस्थितियों के हिसाब से सस्ता और अनुकूल विकल्प है। भारत का कहना है कि वह अमेरिकी दबाव में आकर अपने फैसले नहीं बदलेगा।

अमेरिका की शर्तें

अमेरिका चाहता है कि भारत तेल और पेट्रोलियम उत्पाद उसी से खरीदे। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ताएं चल रही हैं। लेकिन अमेरिका के वाणिज्य सचिव ने यह साफ कर दिया है कि जब तक भारत रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा, तब तक भारत-अमेरिका के बीच कोई बड़ा व्यापार समझौता आगे नहीं बढ़ पाएगा।

Published / 2025-09-13 08:03:56
सुशीला कार्की बनी नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री

  • सस्पेंस खत्म, शपथग्रहण के बाद नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं सुशीला कार्की

एबीएन सेन्ट्रल डेस्क। नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश, सुशीला कार्की ने नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। 

उन्हें राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने शीतल निवास में आयोजित एक समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी। 

कार्की, जो कि एक प्रतिष्ठित पूर्व प्रधान न्यायाधीश हैं, को देश के सामने मौजूद राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए चुना गया है।

Published / 2025-09-12 20:30:49
सुशीला कार्की ही होंगी नेपाल की अंतरिम पीएम

  • सुशीला कार्की होंगी नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री, आज होगा शपथ ग्रहण

एबीएन सेन्ट्रल डेस्क। नेपाल में युवा पीढ़ी के हिंसक प्रदर्शनों के बाद उपजे राजनीतिक संकट के बीच शुक्रवार को पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही नेपाल की संसद को भी भंग कर दिया गया है। 

शुक्रवार को राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल के साथ सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल की मौजूदगी में जनरेशन-जी के नेतृत्वकर्ताओं ने एक बैठक की थी। जिसमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने पर सहमति बनी थी। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह आज रात 8:45 बजे राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण करेंगी। सुशीला कार्की का जन्म सात जून 1952 को विराटनगर में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके अलावा उन्होंने कानून की पढ़ाई नेपाल की त्रिभुवन यूनिवर्सटी से की। 

इसके बाद वकालत और कानूनी सुधारों के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत की। सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक मामलों की सुनवाई की, जिनमें चुनावी विवाद भी शामिल थे।

Published / 2025-09-11 20:50:38
नेपाल संकट : पीएम की रेस में सुशीला से आगे निकले कुलमान

नेपाल के अंतरिम पीएम रेस में नया नाम: कुलमान घिसिंग ने सुशीला कार्की को छोड़ा पीछे, क्या भारत के लिए होगा भरोसेमंद विकल्प 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। नेपाल में जेन-जेड आंदोलन  और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अब अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए कुलमान घिसिंग का नाम सबसे आगे माना जा रहा है। 54 साल के घिसिंग, जो नेपाल बिजली बोर्ड में कार्यरत रहे हैं और बिजली आपूर्ति सुधार के लिए लोकप्रिय हैं, अब पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की  को पीछे छोड़ चुके हैं। 

कुलमान घिसिंग कौन हैं? 

  • जन्म:  रामेछाप (नेपाल)  
  • शिक्षा: एनआईटी जमशेदपुर से इंजीनियरिंग प्रारंभिक शिक्षा नेपाल के सरकारी स्कूल से 
  • पेशा: नेपाल  बिजली विभाग में अधिकारी, 2016 में विभाग प्रमुख नियुक्त 
  • पहचान: ईमानदार और कड़क अफसर  जिन्होंने शहरी इलाकों में 18 घंटे बिजली को 24 घंटे किया 
  • राजनीतिक इतिहास: पिछले साल प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से टकराव  के कारण पद से हटाए गए, जिस पर नेपाल में व्यापक विरोध हुआ 
  • जेन-जेड : आंदोलन में घिसिंग का नाम क्यों उभरा? 
  • ईमानदार छवि : जनता और जेन-जेड गुटों द्वारा भरोसेमंद और निष्पक्ष माना जाता है। नीतिगत साहस : बिजली विभाग में कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार और खराब व्यवस्था के खिलाफ सीधा कदम उठाया।  

सुशीला कार्की के खिलाफ विरोध  

  • कार्की के नाम को जेन-जेड का एक बड़ा वर्ग और राजनीतिक दलों ने अस्वीकार किया। 
  • विरोध का कारण: उम्र, संविधान में बदलाव पर उनकी सीमित स्वीकृति और राजनीतिक दलों के दबाव। 
  • कुलमान घिसिंग का नाम ऐसे समय में उभरा है जब नेपाल में अस्थिरता बढ़ रही है और विभिन्न दल उन्हें एक  स्थिर और निष्पक्ष चेहरा मानते हैं 

भारत के लिए कुलमान घिसिंग का दृष्टिकोण 

कुलमान घिसिंग को भारत के साथ मजबूत और भरोसेमंद संबंध बनाए रखने वाला माना जाता है। उनका मानना है कि  नेपाल-भारत संबंध सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि आर्थिक और सामाजिक तौर पर भी महत्वपूर्ण हैं। बिजली और ऊर्जा क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग के जरिए नेपाल में  स्थिरता और विकास लाने पर घिसिंग जोर देंगे। जेन-जेड आंदोलन के दौरान उन्होंने यह स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच मतभेदों को हल करके साझेदारी को मजबूत किया जा सकता है।  विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर घिसिंग अंतरिम प्रधानमंत्री बनते हैं, तो भारत के साथ व्यापार, ऊर्जा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में नई गति आयेगी।  

अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए वर्तमान स्थिति 

  • पहले बालेन शाह  का नाम सामने आया था, लेकिन उन्होंने पद लेने से इंकार किया। 
  • अब जेन-जेड और सेना के बीच बातचीत में कुलमान घिसिंग का नाम प्रमुखता से उठ रहा है। 
  • सुशीला कार्की ने सेना प्रमुख अशोक राज  से मुलाकात की थी, लेकिन जेन-जेड ने घिसिंग का नाम आगे रखा।

Published / 2025-09-10 22:00:55
नेपाल : प्रदर्शन में 25 मौतें और 600 घायल

गोलीबारी में मारे गये 3 पुलिसकर्मी 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। नेपाल में पिछले दो दिनों से प्रदर्शनकारी समूह के नेतृत्व में हुए हिंसक सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान तीन पुलिसकर्मी सहित कम से कम 25 लोग मारे गए। पुलिस और अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। पुलिस और अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को संसद भवन के सामने प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 19 लोग मारे गये, जिनमें ज्यादातर युवा थे। 

नेपाल पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि हिंसक प्रदर्शनों के दौरान मंगलवार को काठमांडू के कोटेश्वर इलाके में भीड़ ने तीन पुलिसकर्मियों को मार डाला।पुलिस ने बताया कि मंगलवार को कालीमाटी थाने पर पुलिस के साथ झड़प में तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गयी। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार प्रदर्शनों के दौरान 633 लोग घायल हुए। 

इस बीच नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी एवं विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा का एक अस्पताल में उपचार किया जा रहा है। देउबा के बुधनीलकांठा स्थित आवास पर प्रदर्शनकारियों के हमले के दौरान वे घायल हो गए थे। 

नेपाल सेना ने बुधवार को प्रदर्शनों की आड़ में संभावित हिंसा को रोकने के लिए देशव्यापी प्रतिबंधात्मक आदेश और उसके बाद कर्फ्यू लगा दिया। यह कदम बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के मद्देनजर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के एक दिन बाद उठाया गया।

Published / 2025-09-10 18:13:11
आफत में नेपाल, देशभर में लगा कर्फ्यू

नेपाल में आपात हालात! सेना ने लगाया देशव्यापी कर्फ्यू, प्रदर्शनकारियों को सख्त चेतावनी 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। नेपाली सेना ने विरोध प्रदर्शन की आड़ में किसी भी संभावित हिंसा को रोकने के लिए बुधवार को सुबह से शाम पांच बजे तक देशव्यापी प्रतिबंधात्मक आदेश लागू कर दिए और अगले दिन सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लगा दिया है। सेना ने एक बयान में चेतावनी दी कि इस अवधि के दौरान किसी भी प्रकार के प्रदर्शन, तोड़फोड़, आगजनी व व्यक्तियों या संपत्ति को निशाना बनाने वाले हमलों को आपराधिक गतिविधि माना जाएगा और उससे निपटा जायेगा। 

इसमें कहा गया है कि प्रतिबंधात्मक आदेश पूरे देश में सुबह से शाम पांच बजे तक प्रभावी रहेंगे और उसके बाद बृहस्पतिवार सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लागू रहेगा। सेना ने कहा कि प्रदर्शन की आड़ में लूटपाट, आगजनी और अन्य विनाशकारी गतिविधियों की संभावित घटनाओं को रोकने के लिए ये कदम जरूरी हैं। बयान में कहा गया है, बलात्कार और हिंसक हमलों का भी खतरा है। 

देश की सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, प्रतिबंधात्मक आदेश और कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। बयान में स्पष्ट किया गया है कि एंबुलेंस, दमकल, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और सुरक्षा बलों सहित आवश्यक सेवाओं में लगे वाहनों और कर्मियों को प्रतिबंधात्मक आदेशों और कर्फ्यू के दौरान काम करने की अनुमति होगी। 

भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार को जेन-जी द्वारा किये गये प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत के बाद सैकड़ों प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग को लेकर उनके कार्यालय में घुस गये थे जिसके तुरंत बाद मंगलवार को उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। 

सोशल मीडिया पर प्रतिबंध सोमवार रात हटा लिया गया था। हालांकि, उनके इस्तीफे के बाद भी प्रदर्शन जारी रहा। प्रदर्शनकारियों ने संसद, राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री आवास, सरकारी इमारतों, राजनीतिक दलों के कार्यालयों और वरिष्ठ नेताओं के घरों में आग लगा दी थी।

Published / 2025-09-09 17:28:11
नेपाल में सियासी संकट : देश छोड़कर भाग सकते हैं कई जनप्रतिनिधि

नेपाल में सियासी भूचाल : पीएम ओली ने पद से इस्तीफा दिया, देश छोड़कर भाग सकते हैं 

एबीएन सेंट्रल डेस्क। नेपाल में बढ़ती राजनीतिक और सामाजिक अशांति के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है, जिससे देश की राजनीतिक स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गयी है। 

राजधानी काठमांडू और अन्य बड़े शहरों में भारी विरोध प्रदर्शन हुए, जहां प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर कब्जा करने की कोशिश की और कई जगह आगजनी की घटना हुई। प्रदर्शन का मुख्य कारण भ्रष्टाचार, सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और युवाओं की बढ़ती नाराजगी बतायी जा रही है।  

प्रधानमंत्री ओली के देश छोड़ने की अटकलें 

सूत्रों की मानें तो ओली देश छोड़ सकते हैं, जिसके चलते काठमांडू एयरपोर्ट की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है और विशेष उड़ानों को तैयार रखा गया है। इस्तीफे के बाद उन्होंने देश की कमान उप प्रधानमंत्री को सौंपी है, हालांकि प्रदर्शनकारी अंतरिम सरकार के गठन और संसद भंग कर नये चुनाव की मांग पर अड़े हुए हैं। 

प्रदर्शनकारियों ने न केवल सरकारी इमारतों पर हमला किया, बल्कि प्रमुख राजनीतिक नेताओं के घरों में भी आगजनी की घटनाएं हुईं। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, शेर बहादुर देउबा, इस्तीफा देने वाले गृह मंत्री रमेश लेखक और संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के घर शामिल हैं। हिंसा के कारण अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे देश में भारी तनाव और अशांति व्याप्त है। 

मंत्रियों का इस्तीफा देना जारी 

  • देश में बिगड़ते हालात को देखते हुए कई मंत्री खुद को सरकार से अलग कर चुके हैं। 
  • गृह मंत्री रमेश लेखक ने हिंसा की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पहले ही इस्तीफा दे दिया था। 
  • कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी और जल आपूर्ति मंत्री प्रदीप यादव ने भी अपने-अपने पद छोड़ दिए हैं। 

स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और अन्य कई मंत्री नेपाल कांग्रेस के शेखर कोइराला गुट से ताल्लुक रखते हैं, जिन्होंने सरकार से किनारा कर लिया है। स्थिति इतनी गंभीर हो गयी है कि राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के निजी आवास के बाहर भी आगजनी और गोलीबारी हुई, जिससे सुरक्षा व्यवस्था चरमरा गयी। प्रदर्शनकारी इतने आक्रामक हो गये हैं कि सरकारी इमारतों और मंत्रियों के कार्यालयों में फायरिंग और तोड़फोड़ की खबरें लगातार आ रही हैं। 

  • सड़कों पर दहशत, नेताओं के घर बने निशाना 
  • पुलिस गोलीबारी के बाद प्रदर्शन और उग्र हो गया। गुस्साये प्रदर्शनकारियों ने नेताओं और मंत्रियों के घरों पर हमला करना शुरू कर दिया। 
  • पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के घर पर हमला। 
  • नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा का घर बना निशाना। 
  • गृह मंत्री रमेश लेखक के आवास में लगायी गयी आग। 
  • संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के घर में भी आगजनी।

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