एबीएन बिजनेस डेस्क। प्रतिस्थापन मांग के चलते घरेलू टायर उद्योग चालू वित्त वर्ष 2026 में 7-8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकता है। उद्योग विशेषज्ञों और कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, कमजोर मूल उपकरण मांग के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत उपभोक्ता रुझान, त्योहारी सीजन की संभावनाएं और ब्याज दरों में कटौती जैसे कारकों से यह वृद्धि संभव मानी जा रही है।
जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक अंशुमान सिंघानिया ने कहा कि भारतीय टायर उद्योग अब भी एक निर्यात-प्रधान विनिर्माण क्षेत्र बना हुआ है और वित्त वर्ष 2025 में इसका निर्यात 25,000 करोड़ रुपये से अधिक पहुंच चुका है। उन्होंने एक विश्लेषक कॉल में बताया, वित्त वर्ष 2026 में भारतीय टायर उद्योग को कमजोर मूल उपकरण मांग के बावजूद घरेलू प्रतिस्थापन मांग के आधार पर 7-8 प्रतिशत की वृद्धि हासिल होने की उम्मीद है।
सिंघानिया के अनुसार, इस वृद्धि का श्रेय क्षमता विस्तार में निरंतर निवेश, विनिर्माण दक्षता में सुधार और अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को मजबूत करने पर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी त्योहारी सीजन, हाल ही में रेपो दरों में कटौती और अनुकूल मानसून के चलते उपभोक्ता धारणा में सुधार की भी संभावना है।
अपोलो टायर्स के मुख्य वित्तीय अधिकारी गौरव ने भी बाजार में मांग सुधार की संभावना जताई। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि मानसून के बाद बुनियादी ढांचा और खनन क्षेत्रों में तेजी आएगी, जिससे वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मांग बेहतर हो सकती है। कच्चे माल की लागत के बारे में उन्होंने कहा, दूसरी तिमाही में कच्चे माल की लागत मौजूदा स्तरों की तुलना में थोड़ी कम रहने की संभावना है, हालांकि विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव के कारण कुछ अनिश्चितता बनी हुई है।
एबीएन बिजनेस डेस्क। अमेरिकी टैरिफ को लेकर चिंताओं के चलते मंगलावर को प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में एक प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 849.37 अंक या 1.04 प्रतिशत गिरकर 80,786.54 अंक पर बंद हुआ।
वहीं 50 शेयरों वाला एनएसई निफ्टी 255.70 अंक या 1.02 प्रतिशत गिरकर 24,712.05 अंक पर बंद हुआ।अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 13 पैसे गिरकर 87.69 (अनंतिम) पर बंद हुआ।
टीम एबीएन, रांची। आधुनिकता के इस दौर में, साइबर फ्रॉड एक ऐसी जटिल समस्या बनती जा रही है। इससे आम से लेकर खास हर कोई हर कोई प्रभावित हो रहा है। एक छोटी सी गलती और पलक झपकते साइबर ठगों के द्वारा जीवन भर की कमाई उड़ा लिया जा रहा है। साइबर अपराधियों के द्वारा ठगी करने के लिए पारंपरिक तरीकों को छोड़ एक से बढ़कर एक नायाब तरीका अख्तियार किया जा रहे हैं।
ऐसा ही एक मामले का खुलासा झारखंड सीआईडी ने किया है। मामले में निवेश के नाम पर म्यूल बैंक खाता के माध्यम से करीब 30 करोड़ रुपया की धोखाधड़ी की गयी है। इस मामले में झारखंड सीआईडी के अंतर्गत संचालित साइबर थाना की पुलिस के द्वारा राजधानी रांची सहित झारखंड के 6 जिले लोहरदगा, सिमडेगा, पलामू, कोडरमा और जामताड़ा में छापेमारी करते हुए कुल 7 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है।
गिरफ्तार आरोपियों में रांची के रहने वाले रोशन कुमार और सतीश कुमार शामिल हैं। रोशन कुमार के द्वारा इस्तेमाल किये गये बैंक खाता में कुल 10.02 करोड़ रुपया जमा था। उसके द्वारा कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में उनके इंटर स्टेट क्राइम लिंक मिला है। वहीं रांची से ही गिरफ्तार हुए दूसरे आरोपी सतीश कुमार के म्यूल बैंक अकाउंट में 6.2 करोड़ पाया गया। इसका लिंक भी आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र से है।
जामताड़ा जिले से गिरफ्तार जितेंद्र कुमार पप्पू के म्यूल अकाउंट में 5.1 करोड़ रुपया है और इनका इंटर स्टेट लिंक बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और दिल्ली पाया गया है। जबकि झारखंड के ही लोहरदगा जिले से गिरफ्तार नुरेज अंसारी नामक साइबर फ्रॉड के म्यूल अकाउंट से ?5.05 करोड़ रुपया जमा था और इनका इंटर स्टेट लिंक दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल पाया गया है।
झारखंड से गिरफ्तार हुए पांचवे साइबर अपराधी प्राणरंजन सिन्हा, पलामू जिला के रहने वाले हैं। उसके म्यूल बैंक अकाउंट खाता से 1.06 करोड़ रुपया की धनराशि जमा थी और इनका इंटर स्टेट लिंक आंध्र प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान से मिला है। जबकि छठे अपराधी गणेश चिक बड़ाईक की गिरफ्तारी सिमडेगा जिला से हुई है।
गणेश के म्यूल बैंक खाता में कुल 3.02 करोड़ रुपये की धनराशि जमा थी और इनका इंटर स्टेट लिंक कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल था। जबकि सातवें अपराधी की पहचान कोडरमा जिला के रहने वाले राजेंद्र साव के रूप में हुई है। इनके म्यूल बैंक खाता में कुल 67 लाख की धोखाधड़ी की रकम जमा था और इनका इंटर स्टेट लिंक दिल्ली पाया में पाया गया है।
गिरफ्तार सातों साइबर अपराधियों के पास से 8 मोबाइल फोन और 12 सिम कार्ड, 9 एटीएम कार्ड, और 4 पासबुक, 9 चेक बुक, उददयम रजिस्ट्रेशन एक और कांड से संबंधित व्हाट्सएप चैट भी बरामद हुआ है। दरअसल गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम समन्वय केंद्र द्वारा संचालित समन्वय पोर्टल के विश्लेषण के बाद यह बात सामने आई थी, कि झारखंड के साइबर अपराधियों के द्वारा धोखाधड़ी की रकम छिपाने के लिए 15000 म्यूल बैंक खाता का इस्तेमाल किया गया है।
इसके बाद झारखंड सीआईडी ने विशेष अभियान के तहत 10 लाख या इससे अधिक की लेनदेन वाले लेयर -1 के 40 खातों के खिलाफ 29 जुलाई को साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद अनुसंधान के क्रम में झारखंड के 6 जिलों के रहने वाले 7 साइबर अपराधियों को अब तक गिरफ्तार किया गया है। जिनके द्वारा म्यूक बैंक खाता का इस्तेमाल कर निवेश के नाम पर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की गई है। जांच में यह बात भी सामने आी है कि इन आपराधियों का नेटवर्क देश के कई अन्य राज्यों में फैला हुआ है।
एबीएन बिजनेस डेस्क। हफ्ते के पहले कारोबारी दिन आज यानी सोमवार, 11 जुलाई को शेयर बाजार हरे निशान पर कारोबार करता दिखा। सेंसेक्स 350 अंक चढ़कर 80,220 के स्तर पर पहुंच गया। निफ्टी में भी 102 अंक की तेजी रही, ये 24,470 के ऊपर है। एसबीआई, एनटीपीसी और ट्रेंट के शेयर्स 1% चढ़े हैं। आईसीआईसीआई बैंक, एशियन पेंट्स और बजाज फिनसर्व में मामूली गिरावट है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में आठ पैसे बढ़कर 87.50 पर पहुंच गया। अमेरिकी मुद्रा में कमजोरी के चलते निवेशक रूस और अमेरिका के बीच आगामी वार्ता से संकेतों का इंतजार कर रहे हैं। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि भारतीय रुपया सोमवार को मामूली बढ़त के साथ खुला।
इसके अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.25 से 87.80 के दायरे में रहने की उम्मीद है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.56 पर खुला और 87.50 के स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले बंद भाव से आठ पैसे की बढ़त दर्शाता है। रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.58 पर स्थिर बंद हुआ था।
एबीएन बिजनेस डेस्क। BSNL ने स्वतंत्रता दिवस से पहले आजादी का प्लान नाम से मात्र 1 रुपए में एक नया प्लान लॉन्च कर दिया है। इस प्लान की खास बात ये है कि बहुत ही कम कीमत में लॉन्च हुआ ये प्लान आपको डेटा, कॉलिंग और एसएमएस सभी सुविधाएं देगा। लिमिटेड टाइम ऑफर वाला ये प्लान जियो, एयरटेल और Vi जैसी कंपनियों को कड़ी चुनौती दे सकता है।
एबीएन सेन्ट्रल डेस्क। भारतीय शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव का दौर जारी है और इसकी बड़ी वजह बन रहे हैं विदेशी निवेशक। बीते 9 कारोबारी दिनों में विदेशी निवेशक ने करीब ₹27,000 करोड़ की बिकवाली की है। सिर्फ गुरुवार को ही उन्होंने ₹5,600 करोड़ का कैश निकाला। इस बिकवाली का सीधा असर सेंसेक्स और निफ्टी पर साफ दिखा।
अप्रैल-जून तिमाही में कंपनियों के नतीजे उम्मीद से कमजोर रहे। खासकर IT और बैंकिंग सेक्टर में गिरावट दिखी। IT इंडेक्स एक महीने में 10% टूटा है और टॉप 9 प्राइवेट बैंकों की ग्रोथ सिर्फ 2.7% रही।
इस हफ्ते डॉलर इंडेक्स 2.5% बढ़कर 100 के पार चला गया है। मजबूत डॉलर का मतलब है कि निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से पैसा निकालकर अमेरिका या मजबूत करेंसी वाले देशों में शिफ्ट हो रहे हैं।
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीति को लेकर आशंका बनी हुई है। ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA के मुताबिक, ट्रंप के रुख से भारत का सुरक्षित निवेश वाला टैग खतरे में पड़ सकता है।
विदेशी निवेशक की रणनीति में बदलाव
FIIs ने इंडेक्स फ्यूचर्स में 90% तक शॉर्ट पोजिशन ले रखी है, जो जनवरी के बाद का रिकॉर्ड स्तर है।
मार्केट एक्सपर्ट सुनील सुब्रमण्यम का कहना है कि FII को न तो ट्रेड डील का फायदा दिख रहा है, न ही फिलहाल भारत का वैल्यूएशन उन्हें आकर्षक लग रहा है। वहीं, चीन की GDP ग्रोथ और वहां के लो वैल्यूएशन ने उन्हें आकर्षित किया है। हालांकि, DII के पास पर्याप्त कैश है, और यह गिरावट उनके लिए खरीदारी का मौका बन सकती है।
एबीएन बिजनेस डेस्क। सप्ताह की शुरुआत शेयर बाजार के लिए अच्छी नहीं रही। सोमवार को सेंसेक्स-निफ्टी में जोरदार गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों की चिंता और गहरा गई है। सेंसेक्स 572 अंक लुढ़ककर 80,891 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी भी 156 अंक गिरकर 24,680 के स्तर पर बंद हुआ।
केवल तीन कारोबारी सत्रों में ही 13 लाख करोड़ रुपए से अधिक की निवेशकों की संपत्ति स्वाहा हो चुकी है। बाजार में भारी गिरावट के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारक जिम्मेदार हैं। आइए जानते हैं वे 5 बड़े कारण, जिन्होंने बाजार को हिला कर रख दिया।
शुक्रवार को एफआईआई ने ₹1,980 करोड़ की भारी बिकवाली की। पूरे पिछले सप्ताह में यह आंकड़ा ₹13,552 करोड़ तक पहुंच गया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस लगातार बिकवाली से बाजार में भरोसे की कमी आई है।
बैंक के शेयर में करीब 7% की गिरावट आई। Q1FY26 में कंपनी का शुद्ध मुनाफा ₹4,472 करोड़ रहा, जो पिछले साल इसी तिमाही में ₹7,448 करोड़ था। हालांकि, पिछली बार के मुनाफे में जनरल इंश्योरेंस यूनिट की बिक्री से आई ₹3,000 करोड़ की एकबारगी आय भी शामिल थी। साथ ही, बैंक ने अपने रिटेल कमर्शियल व्हीकल पोर्टफोलियो में कमजोरी की बात भी मानी है।
एशियाई बाजारों में भी गिरावट का माहौल रहा। जापान का निक्केई, कोरिया का कोस्पी और चीन का शंघाई कंपोजिट इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए। इसका सीधा असर घरेलू निवेशकों की धारणा पर पड़ा।
ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.29% चढ़कर 68.64 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। भारत जैसे बड़े तेल आयातक देश के लिए ये वृद्धि महंगाई और आयात लागत दोनों को बढ़ाती है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ी है।
TCS, विप्रो, HCL टेक और टेक महिंद्रा जैसे दिग्गज IT शेयरों में भारी गिरावट आई। खासतौर से TCS द्वारा अपने 2% ग्लोबल वर्कफोर्स की संभावित छंटनी की खबर ने पूरे सेक्टर में नकारात्मक माहौल बना दिया।
एबीएन बिजनेस डेस्क। सप्ताह की शुरुआत शेयर बाजार के लिए अच्छी नहीं रही। सोमवार को सेंसेक्स-निफ्टी में जोरदार गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों की चिंता और गहरा गई है। सेंसेक्स 572 अंक लुढ़ककर 80,891 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी भी 156 अंक गिरकर 24,680 के स्तर पर बंद हुआ।
केवल तीन कारोबारी सत्रों में ही 13 लाख करोड़ रुपए से अधिक की निवेशकों की संपत्ति स्वाहा हो चुकी है। बाजार में भारी गिरावट के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारक जिम्मेदार हैं। आइए जानते हैं वे 5 बड़े कारण, जिन्होंने बाजार को हिला कर रख दिया।
शुक्रवार को एफआईआई ने ₹1,980 करोड़ की भारी बिकवाली की। पूरे पिछले सप्ताह में यह आंकड़ा ₹13,552 करोड़ तक पहुंच गया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस लगातार बिकवाली से बाजार में भरोसे की कमी आई है।
बैंक के शेयर में करीब 7% की गिरावट आई। Q1FY26 में कंपनी का शुद्ध मुनाफा ₹4,472 करोड़ रहा, जो पिछले साल इसी तिमाही में ₹7,448 करोड़ था। हालांकि, पिछली बार के मुनाफे में जनरल इंश्योरेंस यूनिट की बिक्री से आई ₹3,000 करोड़ की एकबारगी आय भी शामिल थी। साथ ही, बैंक ने अपने रिटेल कमर्शियल व्हीकल पोर्टफोलियो में कमजोरी की बात भी मानी है।
एशियाई बाजारों में भी गिरावट का माहौल रहा। जापान का निक्केई, कोरिया का कोस्पी और चीन का शंघाई कंपोजिट इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए। इसका सीधा असर घरेलू निवेशकों की धारणा पर पड़ा।
ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.29% चढ़कर 68.64 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। भारत जैसे बड़े तेल आयातक देश के लिए ये वृद्धि महंगाई और आयात लागत दोनों को बढ़ाती है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ी है।
TCS, विप्रो, HCL टेक और टेक महिंद्रा जैसे दिग्गज IT शेयरों में भारी गिरावट आई। खासतौर से TCS द्वारा अपने 2% ग्लोबल वर्कफोर्स की संभावित छंटनी की खबर ने पूरे सेक्टर में नकारात्मक माहौल बना दिया।
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