एबीएन सेंट्रल डेस्क। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को 15 से 18 साल के बच्चों के वैक्सिनेशन को लेकर गाइडलाइंस जारी की हैं। इसी के साथ 60 साल से ऊपर के बीमार लोगों और हेल्थकेयर-फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए भी प्रिकॉशन डोज की रूपरेखा का एलान किया गया है। कोविन एप के फीचर्स में क्या बदलाव किए जाएंगे : हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल से ऊपर के बीमारी से पीड़ित बुजुर्गों के लिए सभी हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल से ऊपर के बीमारी से पीड़ित बुजुर्गों को कोरोना का डोज बुक करने की सुविधा उनके पुराने अकाउंट से ही मिल जाएगी। प्रावधान के मुताबिक, जिन लोगों को कोरोना की दूसरी डोज लगे कम से कम नौ महीने हो गए होंगे उन्हें ही कोविन सिस्टम पर प्रिकॉशन डोज के लिए योग्य माना जाएगा। अगर योग्य लाभार्थियों की प्रिकॉशन डोज का समय आ गया है, तो उन्हें इस बारे में याद दिलाने के लिए कोविन सिस्टम की तरफ से खुद एसएमएस भेजा जाएगा। वैक्सिनेशन के लिए आॅनलाइन या सीधे टीकाकरण केंद्र पर जाकर रजिस्ट्रेशन और अपॉइंटमेंट बुक कराए जा सकते हैं। जिन लोगों को कोरोना की प्रिकॉशन डोज दी जाएगी, उनके कोरोनावायरस वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट में इसकी पूरी जानकारी मुहैया होगी। 15-18 साल वाले नए लाभार्थियों के लिए 15 साल से ऊपर के सभी किशोर कोविन पर रजिस्टर कर सकेंगे। दूसरे शब्दों में समझें तो जिन भी लोगों का जन्म 2007 से पहले हुआ है, वो टीके के लिए पात्र माने जाएंगे। लाभार्थी खुद ही रजिस्टर कर सकते हैं। आॅनलाइन तरीके से किसी के कोविन पर पहले से बने अकाउंट से भी या फिर अपना एक नया अकाउंट बनाकर। हालांकि, नए अकाउंट के लिए उन्हें किसी यूनीक नंबर से रजिस्टर करना होगा। यह सुविधा फिलहाल सभी नागरिकों के लिए दी गई है। इस तरह के लाभार्थी टीकाकरण केंद्र पर भी सत्यापन कराकर रजिस्ट्रेशन और अपॉइंटमेंट ले सकते हैं। इस तरह के लाभार्थियों के लिए टीकाकरण का विकल्प सिर्फ कोवाक्सिन है, क्योंकि 15-17 आयु वर्ग के लिए फिलहाल सिर्फ इसी वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली है।
एबीएन डेस्क। 5 दिन बाद यानी 1 जनवरी से ATM से कैश निकालना और जमा करना महंगा पड़ने वाला है। बैंक ग्राहक एटीएम से कैश ट्रांजेक्शन के लिए पहले जितना भुगतान कर रहे थे, अब उससे अधिक भुगतान करना होगा। एक जनवरी 2022 से ग्राहकों को फ्री एटीएम ट्रांजैक्शन लिमिट पार करने पर ज्यादा भुगतान करना होगा। जून में ही भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को 1 जनवरी 2022 से मुफ्त मासिक सीमा से अधिक नकद और गैर-नकद एटीएम लेनदेन के लिए शुल्क बढ़ाने की अनुमति दी थी। एक्सिस बैंक ने कहा, RBI के दिशा-निर्देशों के अनुसार, एक्सिस बैंक या अन्य बैंक के एटीएम में 01-01-22 से मुफ्त सीमा से ऊपर का वित्तीय लेनदेन शुल्क ₹21 + GST होगा। वर्तमान में बैंक ATM या कैश रिसाइक्लिर मशीन से कैश और नॉन-कैश ट्रांजेक्शन करने पर महीने में पहले 5 वित्तीय ट्रांजेक्शन फ्री होते हैं। इसके बाद 20 रुपये प्रति वित्तीय ट्रांजेक्शन का चार्ज लगता है। लेकिन 1 जनवरी 2022 से यह चार्ज 21 रुपये प्रति वित्तीय ट्रांजेक्शन होगा। उन्हें मेट्रो शहरों में दूसरे बैंक के एटीएम से 3 ट्रांजेक्शन और नॉन-मेट्रो शहरों में दूसरे बैंक के एटीएम से 5 ट्रांजेक्शन अभी की तरह मुफ्त मिलती रहेंगी। ग्राहक अपने स्वयं के बैंक एटीएम से हर महीने पांच मुफ्त लेनदेन (वित्तीय और गैर-वित्तीय लेनदेन सहित) के लिए पात्र बने रहेंगे। वे मेट्रो सिटी में अन्य बैंक के एटीएम से तीन और गैर-मेट्रो केंद्रों में पांच मुफ्त लेनदेन भी कर सकेंगे। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को ATM के जरिए तय मुफ्त मंथली लिमिट से ज्यादा बार रकम निकालने या अन्य लेन-देन करने पर ज्यादा चार्ज वसूल की इजाजत दे दी थी। अब 1 जनवरी 2022 से एटीएम से पैसा निकालने या जमा करने की फ्री सीमा के बाद ज्यादा चार्ज वसूल किया जाएगा।
एबीएन डेस्क। अगर नहीं लिया है दोनों डोज तो भरना होगा इतना जुर्माना… ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की तरह हरियाणा में भी नाइट कर्फ्यू का ऐलान किया गया है। कोरोना के खिलाफ नियमों को लेकर भी सख्ती की जा रही है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि प्रदेश में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों की संभावना के मद्देनजर लोगों की सुरक्षा के लिए एक जनवरी 2022 से पब्लिक सेक्टर से संबंधित संस्थानों में एंट्री के लिए वैक्सीनेशन की दोनों डोज को अनिवार्य करने के साथ सार्वजनिक स्थलों व अन्य कार्यक्रमों में 200 से अधिक लोगों के एकत्र होने तथा रात्रि में 11 बजे से प्रातः 5 बजे तक लोगों के आवागमन को प्रतिबंधित रहेंगा।शुक्रवार को चंडीगढ़ में कोविड समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए सीएम ने कहा कि ओमिक्रॉन के केस रोकने के लिए लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करने पर फोकस किया जाना चाहिए। साथ ही वैक्सीनेशन पर भी अधिक ध्यान देने की जरूरत है। सभी लोगों को वैक्सीनेशन की दोनों डोज लगवाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को भी कोरोना मामलों से निपटने के लिए अपनी सभी प्रकार की तैयारियां पूरी कर लेने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अगर किसी जिले में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए जरूरी प्रबंधों में कोई कमी है तो उसे तुरंत दूर करते हुए जरूरी प्रबंध सुनिश्चित बनाए जाएं। हरियाणा सरकार कोरोना वैक्सीन न लगवाने वालों पर पहले ही 1 जनवरी 2022 से सख्ती करने का ऐलान कर चुकी है। ऐसे लोगों को सार्वजनिक स्थलों पर जाने की अनुमति नहीं होगी। कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वालों को ही एक जनवरी 2022 से सरकारी दफ्तरों में प्रवेश मिलेगा। ट्रेनों और रोडवेज बसों में सफर के लिए भी वैक्सीन की दोनों डोज लगवाना जरूरी होगा। सरकारी बैंकों, होटल, रेस्टोरेंट, मैरिज पैलेस, मॉल, सिनेमाघरों में भी उन लोगों की एंट्री बैन रहेगी जिन्होंने दोनों डोज नहीं लगवाई होंगी। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चंडीगढ़ प्रशासन ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। यहां अब कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लेने वालों से 500 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। चंडीगढ़ प्रशासन ने शुक्रवार को बताया कि 1 जनवरी से सार्वजनिक स्थानों पर दोनों वैक्सीन लेने पर ही लोगों को एंट्री दी जाएगी।
रांची। झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन मंगलवार को भीड़, हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक 2021 पास हो गया है। इसमें दोषियों को उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। लिंचिंग में किसी को चोट आती है तो दोषी को तीन साल तक की सजा और एक लाख रुपये से तीन लाख रुपये तक का दंड दिया जा सकेगा। संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने विधेयक को सदन में प्रस्ताव रखा। इस पर स्पीकर ने मतदान कराया और सभी ने अपना मत भी रखा। विधेयक पर चर्चा के दौरान BJP ने जमकर हंगामा किया। BJP के विधायक वेल तक पहुंच गए। उन्होंने इस कानून सरकार पर तुष्टीकरण का आरोप भी लगाया। पार्टी के तीन विधायकों अमर बाउरी, अमित मंडल और रामचंद्र चंद्रवंशी ने संशोधन प्रस्ताव भी लाए, लेकिन सभी खारिज कर दिए गए। BJP के विधायक अमित मंडल ने कहा कि सरकार का ये काला अध्याय पूरे झारखंड में लिखा जाएगा। कहा कि भीड़ को अंग्रेजी में मॉब लिखा गया है और उसके बारे में कहा गया है कि दो या दो से अधिक। किस आधार पर दो व्यक्ति को मॉब लिखा गया है। ये सरकार को खुश करने के लिए IAS अधिकारियों का कारनामा है। वहीं अमर बाउरी ने कहा कि किसी विशेष वर्ग को तुष्टीकरण के लिए आदिवासी भाइयों पर अत्याचार कर रहे हैं। ये झारखंड विरोधी बिल है। अगर कोई साजिश रचता है या किसी को लिंचिंग करने के लिए उकसाता है, किसी भी तरह की मदद पहुंचाता है तो उसे उसी ढंग की सजा दी जाएगी, जैसा लिंचिंग करने वाले अपराधी को। अगर कोई आरोपी को गिरफ्तार करने में या सजा के दौरान बाधा पहुंचाता है, तो उसे तीन साल की सजा और एक से तीन लाख तक जुर्माना हो सकेगा। लिंचिंग के अपराध से जुड़े किसी साक्ष्य को नष्ट करने वाले को भी अपराधी मान कर एक साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना लगेगा। अगर कोई लिंचिंग का माहौल तैयार करने में सहयोग करता है तो वैसे व्यक्ति को तीन साल की सजा और एक से तीन लाख तक जुर्माना होगा। दंडिता प्रक्रिया संहिता के तहत जांच के जो प्रावधान बताए गए हैं, वही प्रक्रिया यहां भी अपनाई जाएगी। इस अधिनियम से जुड़े अपराध गैरजमानतीय होंगे।
एबीएन डेस्क, रांची। झारखंड में जाति प्रमाणपत्र बनाने के लिए सरकार ने नई व्यवस्था शुरू की है। इस व्यवस्था के तहत अब स्कूल में भी छात्र-छात्राओं का जाति प्रमाण पत्र बनाया जायेगा। राज्य के सभी स्कूलों में विशेष अभियान चलाकर कक्षा एक से 12वीं तक के सभी विद्यार्थियों का जाति प्रमाण पत्र बनाया जाएगा। इसको लेकर विभाग के स्तर पर तैयारी शुरू हो गई हैं। बहुत जल्द जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। स्कूल में जो जाति प्रमाण पत्र बनाया जायेगा, उसकी वैधता ताउम्र रहेगी। यानि एकबार जाति प्रमाण पत्र बनाने के बाद उसे बार-बार बनाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। तीन महीने के अंदर सभी छात्र-छात्राओं का ये प्रमाणपत्र बना दिया जायेगा। झारखंड शिक्षा विभाग ने सभी डीईओ और डीएसई को 20 दिसंबर तक का समय दिया है। जिसमें सभी छात्रों की जानकारी उपलब्ध करानी है। इसके बाद सभी छात्रों का जाति प्रमाणपत्र तैयार कर लिया जायेगा।
रांची। झारखंड के तीन मेडिकल कॉलेजों दुमका, पलामू और हजारीबाग में अब मेडिकल की पढ़ाई का रास्ता साफ हो गया है। लंबे अरसे से लंबित इस मामले में राज्य सरकार को एक बड़ी कामयाबी मिली है। इसकी घोषणा बुधवार को सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने झारखंड राज्य चिकित्सा पर्षद के भवन और वेबसाइट के उद्घाटन समारोह में की। कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह भी मौजूद थे। दुमका मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई की अनुमति कुछ दिन पूर्व ही मिल गई थी, जबकि पलामू और हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने की घोषणा आज स्वास्थ्य मंत्री ने की। गौरतलब है कि अब इन तीनों मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 100-100 सीटों पर दाखिला होगा। दुमका, हजारीबाग और पलामू मेडिकल कॉलेजों में पहली बार 2019-20 में 100-100 सीटों पर दाखिला हुआ था। हालांकि, संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए नेशनल मेडिकल काउंसिल ने इन कॉलेजों में नामांकन पर रोक लगा दी थी। तीनों नए मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की अनुमति मिलने के बाद अब राज्य में राज्य सरकार द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर 6 हो गई है। इनमें रिम्स (रांची), पीएमसीएच (धनबाद) और एमजीएम (जमशेदपुर) में पहले से मेडिकल की पढ़ाई हो रही है।
रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को बैंकरों से आग्रह किया कि वे अनुसूचित जनजाति (एसटी) के सदस्यों को ऋण की सुविधा के लिए लीक से हटकर सोचें ताकि वे शिक्षा प्राप्त कर सकें या व्यवसाय शुरू कर सकें। मुख्यमंत्री ने बैंक अधिकारियों के साथ बैठक में कहा, जब राज्य बिहार का हिस्सा था तब अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को बैंक ऋण की अनुपलब्धता की समस्या प्रचलित थी। यह समस्या आज भी बनी हुई है। जमीन होने के बावजूद आदिवासियों को बैंकों से ऋण नहीं मिल रहा है। हमें यह सुनिश्चित करने की व्यवस्था करनी चाहिए कि एसटी समुदाय के सदस्य व्यवसाय शुरू करने या विकास के किसी अन्य उद्देश्य के लिए आसानी से ऋण प्राप्त कर सकें। हेमंत सोरेन ने कहा कि अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों को अविभाजित बिहार के समय से पेश आ रही कर्ज की समस्या का समाधान बैंक प्रबंधन लीक से हट कर निकाल सकता है। भूमि को नहीं बल्कि भूमि पर जिस चल-अचल संपत्ति का निर्माण हो, उसे कोलेट्रल के रूप में रखने पर बैंक विचार करें तो समस्या का हद तक समाधान निकाला जा सकता है। इसके अतिरिक्त बैंकों को कोलेट्रल फ्री कर्ज की अधिसीमाओं को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि आदिवासियों को आसानी से शिक्षा, आवास, व्यवसाय एवं उद्योग लगाने के लिए लोन मिल सके। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संख्या राज्य की आबादी का 28 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री ने उपरोक्त बातें अनुसूचित जनजाति समुदाय के व्यक्तियों को बैंकों द्वारा ऋण उपलब्ध कराने के संबंध में सोमवार को प्रोजेक्ट भवन में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा अगर बैंक आदिवासी समुदाय के लोगों की भूमि छीन लेगी तो, उनका अस्तित्व ही छीन जाएगा। उनके अस्तित्व को सुरक्षित रखते हुए हमें कार्य करना है। इस समुदाय के लोग अगर आगे नहीं बढ़ेंगे तो राज्य कैसे विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। बैंक प्रबंधन इस पर विचार करें। बैंक प्रबंधन बोर्ड की बैठक में इन बातों को रखें। सरकार बैंक प्रबंधन को पूर्ण सहयोग प्रदान करेगी। हमें समन्वय बनाकर कार्य करने की आवश्यकता है, जिससे इस समुदाय का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके। सोरेन ने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए बैंकों का समर्थन करेगी।
एबीएन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि अब बैंकों के डूबने पर जमाकर्ताओं का पैसा नहीं डूबता है और उनकी जमा का समयबद्ध तरीके से भुगतान किया जाता है। दिल्ली के विज्ञान भवन में जमाकर्ता प्रथम: पांच लाख रुपये तक का गारंटीशुदा समयबद्ध जमा बीमा भुगतान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक समय था, जब जमाकर्ताओं को दबाव वाले बैंकों से अपना पैसा वापस पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता था। गरीब, मध्यम वर्ग बरसों तक इस परेशानी से जूझता रहा। उन्होंने कहा, आज देश के लिए, बैंकिंग सेक्टर के लिए और देश के करोड़ों अकाउंट होल्डर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। आज के आयोजन का जो नाम दिया गया है उसमें डिपॉजिटर्स फर्स्ट: जमाकर्ता सबसे पहले की भावना को सबसे पहले रखना इसे और सटीक बना रहा है। मोदी ने कहा, यदि बैंकों को बचाना है, तो जमाकर्ताओं को सुरक्षा देनी होगी। हमने बैंकों को बचाकर जमाकर्ताओं को यह सुरक्षा दी है। जमा बीमा भुगतान की गारंटी के पीछे की प्रेरणा जमाकर्ता हैं। एक साल में एक लाख जमाकर्ताओं को 1,300 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने कानून में बदलाव किया है, जिससे बैंकों के बंद होने पर जमाकर्ताओं को समयबद्ध तरीके से उनकी जमा का भुगतान किया जाता है। मोदी ने कहा कि सरकार ने दबाव वाले बैंकों से जमाकर्ताओं को मिलने वाली राशि को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया है। इसके दायरे में 98 प्रतिशत खाताधारक आते हैं। उन्होंने बताया कि 90 दिन के भीतर गारंटीशुदा समयबद्ध जमा बीमा भुगतान के दायरे में बैंकों में 76 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि आती है। बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटे बैंकों को सक्षम बनाने, उनकी क्षमता और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए उनका विलय सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंकों के साथ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशन तथा कर्ज तक सुगम पहुंच का सबसे अधिक लाभ महिलाओं को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश समस्याओं का समय पर समाधान करके उन्हें विकराल होने से बचा सकता है। लेकिन वर्षों तक हमारे यहां ये प्रवृत्ति रही की समस्या है, इसे टाल दो। आज का नया भारत समस्या के समाधान पर जोर लगाता है, समस्या को टालता नहीं है।
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