टीम एबीएन, रांची। झारखंड में वैश्विक निवेश को बढ़ावा देने और राज्य की औद्योगिक, खनन व पर्यटन संभावनाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जनवरी 2026 में स्विट्जरलैंड की यात्रा पर जायेंगे। मुख्यमंत्री के साथ उद्योग विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी विदेश दौरे पर रहेगा। यह यात्रा 19 से 25 जनवरी 2026 तक प्रस्तावित है।
यह कार्यक्रम भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा होस्ट किया जा रहा है, जिसमें झारखंड को विशेष रूप से शामिल किया गया है। झारखंड से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित लगभग 15-16 अधिकारियों की टीम स्विट्जरलैंड रवाना होगी। प्रतिनिधिमंडल में मुख्य सचिव, उद्योग सचिव, उद्योग निदेशक, जियाडा निदेशक समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहेंगे।
मुख्यमंत्री स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित होने वाली विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) की वार्षिक बैठक में भाग लेंगे। यह झारखंड के लिए ऐतिहासिक अवसर होगा, क्योंकि राज्य पहली बार इस प्रतिष्ठित वैश्विक सम्मेलन में अपनी मौजूदगी दर्ज करायेगा। दावोस सम्मेलन में दुनिया भर के प्रमुख निवेशक, उद्योगपति और कई राष्ट्राध्यक्ष भाग लेते हैं। इस वर्ष सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत अनेक वैश्विक नेता शामिल होंगे।
उद्योग विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस यात्रा के दौरान झारखंड की खनन संपदा, औद्योगिक ढांचा, पर्यटन और निवेश के विविध अवसरों को वैश्विक मंच पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जायेगा। इसका मुख्य उद्देश्य झारखंड को एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करना और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ सहयोग के नये रास्ते खोलना है।
दावोस के बाद प्रतिनिधिमंडल लंदन का भी दौरा करेगा। लंदन को निवेश, शिक्षा और पर्यटन का वैश्विक केंद्र माना जाता है। इस दौरान वहां बसे भारतीय प्रवासियों और निवेशकों से भी झारखंड में निवेश को लेकर चर्चा होने की संभावना है। सरकार का मानना है कि इस पहल से झारखंड की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी और राज्य में रोजगार व विकास के नये अवसर सृजित होंगे।
टीम एबीएन, रांची। रांची के तुपुदाना स्थित व्यवसायिक प्रतिष्ठान शैली ट्रेडर्स पर शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी करते हुए अवैध और खतरनाक कफ सिरप कारोबार से जुड़े गड़बड़झाले की जांच तेज कर दी है। प्रतिष्ठान पर अवैध कफ सिरप की खरीद-बिक्री और सप्लाई चेन में अनियमितताओं के गंभीर आरोप हैं, जिसके आधार पर ईडी ने कार्रवाई शुरू की।
सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी केवल झारखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि यूपी और गुजरात के कई शहरों में भी एक साथ की जा रही है। लखनऊ, वाराणसी, जौनपुर, सहारनपुर, अहमदाबाद और रांची में ईडी की टीमें तलाशी अभियान चला रही हैं। इस नेटवर्क से जुड़े कई व्यापारियों पर भी निगरानी रखी जा रही है।
रांची में ईडी ने व्यापारी शुभम जयसवाल के तुपुदाना स्थित गोदाम और आवास पर भी छापेमारी की है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि शैली ट्रेडर्स के माध्यम से इस अवैध कफ सिरप का सालाना कारोबार 5 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है।
अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई अवैध दवा कारोबार की जड़ तक पहुंचने की दिशा में एक अहम कदम है और आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े कई महत्वपूर्ण खुलासे होने की संभावना है।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने कहा कि अन्य राज्य के वैसे मतदाता जिनका विगत मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण में झारखंड के मतदाता सूची में नाम नहीं था, वे अपना नाम संबंधित राज्य के विगत गहन पुनरीक्षण की मतदाता सूची से ढूंढ़कर अपने बीएलओ से संपर्क कर सकते हैं।
के. रवि कुमार ने कहा कि मतदाता विगत गहन पुनरीक्षण में अपना अथवा अपने परिजनों के नाम ढूंढ़ने के लिए 1950 पर कॉल कर सहायता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विगत गहन पुनरीक्षण की मतदाता सूची भारत निर्वाचन आयोग एवं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के आॅफिसियल वेबसाइट पर सर्चेबल फॉर्मेट में उपलब्ध है।
कुमार ने शुक्रवार को निर्वाचन सदन से आनलाइन माध्यम से सभी जिलों के उप निर्वाचन पदाधिकारी के साथ बैठक करते हुए कहा कि राज्य में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के पूर्व तैयारियों के क्रम में मतदाताओं का विगत गहन पुनरीक्षण के मतदाता सूची से वर्तमान मतदाता सूची की मैपिंग बीएलओ ऐप में की जा रही है। इस दौरान अन्य राज्य से आए मतदाताओं की मैपिंग मैनुअल रजिस्टर मेंटेन कर करें जिससे मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के दौरान मतदाताओं को आसानी हो सके।
गहन पुनरीक्षण के दौरान एक भी योग्य मतदाता छूटे नहीं इस बात को ध्यान में रखकर कार्य करना है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा कि पैरेंटल मैपिंग एवं एएसडी सूची बनाते समय भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बताये गये नियमों का अक्षरश: पालन करें।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा हर स्तर पर कार्यों के निरीक्षण की प्रक्रिया बनायी गयी है, पदाधिकारी इसका अनुपालन करते हुए कार्य करें। कुमार ने पीपीटी के माध्यम से पदाधिकारियों को विगत एसआईआर से वर्तमान मतदाता सूची के मैपिंग में विभिन्न स्तर पर निरीक्षण के प्रमुख बिंदुओं के बारे में विस्तृत रूप से प्रशिक्षण दिया।
मौके पर संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुबोध कुमार, उप निर्वाचन पदाधिकारी धीरज ठाकुर, प्रियंका सिंह, अवर निर्वाचन पदाधिकारी सुनील कुमार सहित आनलाइन माध्यम से सभी जिलों के उप निर्वाचन पदाधिकारी, एचडीएम, कंप्यूटर आपरेटर उपस्थित थे।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। केंद्रीय प्रायोजित योजना के अंतर्गत फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफटीएससी) की स्थापना की योजना, जिसमें विशेष रूप से बाल यौन शोषण अपराध (पॉक्सो) न्यायालय, (ई-पॉक्सो) न्यायालय शामिल हैं। अक्टूबर 2019 में आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के अधिनियमन और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश [स्वयं प्रेरित रिट (आपराधिक) संख्या 1/2019] के बाद शुरू की गयी थी।
ये न्यायालय बलात्कार और बाल यौन शोषण अपराध (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के अंतर्गत लंबित मामलों के समयबद्ध सुनवाई और निपटान के लिए समर्पित हैं। इस योजना को दो बार बढ़ाया जा चुका है। नवीनतम विस्तार 31 मार्च 2026 तक है जिसके अंतर्गत 790 न्यायालयों की स्थापना की जानी है। योजना के अंतर्गत वित्तीय परिव्यय 1952.23 करोड़ रुपये है, जिसमें से 1207.24 करोड़ रुपये निर्भया कोष से केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में वहन किया जायेगा।
विभाग ने योजना की शुरुआत से अब तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 1108.97 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। यह धनराशि केंद्र प्रायोजित योजना (केंद्रीय हिस्सा: राज्य हिस्सा: 60:40, 90:10) के आधार पर जारी की जाती है, जिसमें एक न्यायिक अधिकारी और 7 सहायक कर्मचारियों के वेतन के साथ-साथ दैनिक खर्चों के लिए फ्लेक्सी अनुदान भी शामिल है।
संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में कार्यरत एफटीएससी/ई-पॉक्सो न्यायालयों की संख्या के आधार पर निर्धारित धनराशि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को प्रतिपूर्ति के आधार पर जारी की जाती है। पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान जारी की गयी धनराशि में केंद्र के हिस्से का राज्य/केंद्र शासित प्रदेश-वार विवरण अनुलग्नक-क में दिया गया है।
30 सितंबर, 2025 तक 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 773 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (एफटीएससी), जिनमें 400 विशेष पॉक्सो (ई-पॉक्सो) न्यायालय शामिल हैं, कार्यरत हैं। विशेष पॉक्सो न्यायालयों सहित कार्यरत फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफटीएससी) का राज्य/केंद्र शासित प्रदेश-वार विवरण अनुलग्नक-कक में दिया गया है।
फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों की स्थापना महिला सुरक्षा, यौन एवं लिंग आधारित हिंसा से निपटने, बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत लंबित मामलों की संख्या कम करने और यौन अपराधों के पीड़ितों को न्याय तक बेहतर पहुंच प्रदान करने के प्रति सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दशार्ती है।
संवेदनशील यौन अपराध मामलों को संभालने में विशेषज्ञ, पेशेवर और अनुभवी न्यायाधीशों एवं सहायक कर्मचारियों के साथ, ये न्यायालय सुसंगत और विशेषज्ञ-निर्देशित कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित करते हैं और पीड़ितों को आघात और पीड़ा से राहत दिलाने के लिए त्वरित समाधान प्रदान करते हैं।
पीड़ितों की सुविधा के लिए और न्यायालयों को बाल-अनुकूल बनाने के लिए, फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों ने न्यायालयों के अंदर ही संवेदनशील गवाहों के बयान लेने के केंद्र स्थापित करने का दृष्टिकोण अपनाया है। इन न्यायालयों ने 30 सितंबर, 2025 तक 3,50,685 मामलों का निपटारा किया है।
उच्च न्यायालयों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बलात्कार और यौन उत्पीड़न अधिनियम के अंतर्गत मामलों के निपटारे की दर नियमित न्यायालयों की तुलना में काफी अधिक प्रतीत होती है। जहां नियमित न्यायालयों में बलात्कार और यौन उत्पीड़न अधिनियम के अंतर्गत मामलों के निपटारे की औसत दर प्रति न्यायालय प्रति माह 3.26 मामले अनुमानित है, वहीं फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों में यह दर प्रति न्यायालय प्रति माह औसतन 9.51 मामले है। इससे पता चलता है कि फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों के माध्यम से मामलों के निपटारे में दक्षता में वृद्धि हुई है।
बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत आने वाले अपराधों से संबंधित मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष रूप से फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (एफटीएससी) योजना बनायी गयी है। इसका वित्त पोषण निर्भया कोष से किया जाता है, जो महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से चलायी जा रही पहलों के लिए समर्पित है। इस स्थिति को देखते हुए योजना के दायरे को अन्य श्रेणियों के मामलों तक विस्तारित करने का कोई प्रस्ताव मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन नहीं है।
योजना की शुरुआत में, देशभर में फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफटीएससी) का आवंटन प्रति न्यायालय 65 से 165 लंबित मामलों के मानदंड पर आधारित था, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक 65 से 165 लंबित मामलों के लिए एक फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय स्थापित किया जायेगा। इसके आधार पर, केवल 31 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ही योजना में शामिल होने के पात्र थे। पुडुचेरी ने योजना में शामिल होने के लिए विशेष अनुरोध किया और मई 2023 से एक विशेष पॉक्सो न्यायालय का संचालन शुरू कर दिया है।
झारखंड राज्य ने दिनांक 7 जुलाई, 2025 के पत्र के माध्यम से फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय योजना से बाहर निकलने का निर्णय लिया है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने इस योजना में शामिल होने की सहमति दे दी है, लेकिन अभी तक किसी भी अदालत को चालू नहीं किया है। अरुणाचल प्रदेश ने बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत लंबित मामलों की बहुत कम संख्या का हवाला देते हुए इस योजना से बाहर रहने का विकल्प चुना है। विधि एवं न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज राज्यसभा में यह जानकारी दी।
एबीएन न्यूज नेटवर्क, लोहरदगा। लोहरदगा लोकसभा के माननीय सांसद सुखदेव भगत आज नयी दिल्ली में सड़क परिवहन और राजमार्ग के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर झारखंड राज्य के गुमला जिला में एनएच 43 पर चल रही राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना से संबंधित एक गंभीर जन चिंता के मुद्दे की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि गुमला में भारतमाला राष्ट्रीय पथ का निर्माण से संबंधित कार्य आरंभ है।
पूर्व में यह सड़क एनएच 43 मार्ग पर सीलम नावाडीह होते हुए छत्तीसगढ़ तक प्रस्तावित है। क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए बहुत से आदिवासी एवं अन्य समुदाय के लोगों ने स्वेच्छा से अपनी जमीन दिया था लेकिन एनएच के अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर गलत और भ्रामक तत्व आंकड़े प्रस्तुत कर राजमार्ग का मार्ग ही बदल दिया है और नये प्रस्तावित मार्ग पर सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है।
नये प्रस्तावित मार्ग से सड़क का निर्माण करने से इस क्षेत्र की जनता विशेष कर आदिवासी परिवार काफी चिंतित एवं आक्रोशित है। नये मार्ग परिवर्तन होने से सैकड़ों आदिवासी परिवारों को अपनी कृषि और सामाजिक भूमि को छोड़ना पड़ेगा जिसके कारण कई आदिवासी परिवार भूमिहीन हो जायेंगे। उनकी आय और दैनिकयापन का एकमात्र साधन कृषि है और अपनी भूमि खोने से वह हमेशा के लिए आजीविका से वंचित हो जायेंगे।
नये प्रस्तावित मार्ग पर सड़क बनने से सरकार को भारी वित्तीय का नुकसान होगा क्योंकि नयी परियोजना की लागत बहुत अधिक है। एनएच 43 सड़क में 700 करोड़ की लागत थी जो नयी परियोजना में बढ़कर 1200 करोड़ हो गया है। पहले प्रस्ताव में सड़क की लंबाई 12 किलोमीटर था जो बढ़कर 34 किलोमीटर हो गया है। क्षेत्र भ्रमण के दौरान प्रभावित आदिवासी परिवारों से मिला था।
आदिवासियों का कहना है कि मैं पहले ही सड़क निर्माण के लिए अपनी जमीन दिया हूं नये प्रस्तावित सड़क पर मैं अपनी जमीन नहीं दूंगा क्योंकि लगभग सभी जमीन खेती योग है। सांसद ने मंत्री से आग्रह किया कि आदिवासी आबादी की रक्षा और जनकल्याण को बनाये रखने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करते हुए पुराने एनएच 43 की परियोजना पर काम करने एवं नए प्रस्तावित योजना को स्थगित करने के साथ ही गलत तथ्य प्रस्तुत करने वाले एनएच के अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग किये। जिससे विस्थापन भी रूकेगा और सरकार की राजस्व की हानि भी नहीं होगा। मंत्री ने सांसद सुखदेव भगत को इस संबंध में समुचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
एबीएन न्यूज नेटवर्क, हैदरनगर (पलामू)। रांची से लखनऊ तक के लिए एक नयी ट्रेन चलायी जायेगी। यह ट्रेन पलामू के रास्ते अयोध्या होते हुए लखनऊ तक जायेगी। वहीं रांची से नयी दिल्ली जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस अब प्रतिदिन सप्ताह में तीन दिन लोहरदगा पलामू होते जबकि चार दिन हजारीबाग कोडरमा होकर चलाने की सहमति रेलमंत्री अश्विनी वैभव ने दी है।
दरअसल, पलामू के सांसद विष्णुदयाल राम के नेतृत्व में जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो, हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल, चतरा के सांसद कालीचरण सिंह ने रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की थी। जिसमें रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने रांची से लखनऊ के लिए एक नयी ट्रेन एवं राजधानी एक्सप्रेस के फेरा बढ़ाने को लेकर झारखंड के सांसदों को सहमति दे दी है।
इस मामले में जरुरी पहल करने का निर्देश भी दिया गया है। इस दौरान कोहरे के कारण रद्द रांची से नयी दिल्ली झारखंड स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस का मामला भी उठाया गया, जिसे फिर से चालू करने की सहमति मिला है। झारखंड से लखनऊ के लिए एक नयी ट्रेन की लंबे अरसे से मांग की जा रही है। झारखंड के सांसदों को आश्वासन मिलने के बाद ट्रेन मिलने की उम्मीद बढ़ गयी है।
अगले कुछ महीनो में रांची से लखनऊ तक के लिए ट्रेन का परिचालन शुरू होने की उम्मीद जतायी गयी है। पलामू के सांसद विष्णुदयाल राम ने रेलमंत्री से प्राप्त आश्वासन एवं सहमति की पुष्टि की है। बता दें कि पलामू के इलाके से राजधानी एक्सप्रेस फिलहाल सप्ताह में दो दिन ही चलता है, जो अब यह तीन दिन हो जायेगा।
कोहरे के कारण पलामू के इलाके के लिए लाइफ लाइन माने जाने वाली रद्द झारखंड स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस को फिर से परिचालन चालू करने पर सहमति जतायी गयी है। वहीं धनबाद के सांसद ढुल्लू महतो की झारखंड राज्य को रेल सुविधा बढ़ाने के प्रति प्राथमिकता दिये जाने की मांग पर धनबाद से एलटीटी स्पेशल ट्रेन को स्थायी रूप में परिचालन करने के संबध में तीन दिन के भीतर अधिसूचना जारी कराने का आश्वासन रेलमंत्री ने दिया है।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन बुधवार को सदन का माहौल पूरी तरह से राजनीतिक तकरार और हंगामे से भरा रहा। विपक्षी भाजपा विधायकों ने राज्य सरकार को उसके सात वचनों की याद दिलाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया।
भाजपा विधायक नीरा यादव ने हाथों में तख्ती लेकर फिल्मी गीत क्या हुआ तेरा वादा, भूल गए वो दिन... गाकर सरकार पर तंज कसा। उनके इस अंदाज में अन्य भाजपा विधायक भी शामिल हुए और सरकार की वादाखिलाफी को जनता के सामने रखने की कोशिश की।
भाजपा विधायकों का आरोप है कि हेमंत सोरेन की सरकार ने सत्ता में आने से पहले सात प्रमुख वादे किए थे, जिनमें 450 रुपये में गैस सिलिंडर, हर साल दस लाख युवाओं को रोजगार, तथा गरीबों को समय पर छात्रवृत्ति जैसे मुद्दे शामिल थे। लेकिन सरकार एक भी वचन पर खरी नहीं उतर सकी है।
उनका कहना है कि सरकार विकास योजनाओं की बजाय बालू और संसाधनों की बंदरबांट में व्यस्त है। छात्रवृत्ति, विधवा पेंशन और मइया सम्मान योजना जैसी कई लाभकारी योजनाएं ठप पड़ी हैं, जिससे जनता निराश है। भाजपा विधायकों ने कहा कि सात वचनों को पूरा होने तक वे सदन से सड़क तक आंदोलन जारी रखेंगे।
इधर, मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि उनके पास कोई ठोस आंकड़ा नहीं है और वे सिर्फ बालू जैसे मुद्दों से जनता को भटका रहे हैं। भाजपा विधायक रागिनी सिंह ने कहा कि सदन में विपक्ष को बोलने नहीं दिया जा रहा है और सरकार धनबाद कोलियरी क्षेत्र में हो रहे जहरीली गैस रिसाव पर भी उदासीन है।
विधायक पूर्णिमा साहू ने भी सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताया। वहीं, कांग्रेस विधायक श्वेता सिंह, शिल्पी नेहा तिर्की और मंत्री दीपिका सिंह पांडेय ने बीजेपी पर ड्रामेबाजी का आरोप लगाया और कहा कि खजाना खाली करने का काम 2014-2019 में भाजपा सरकार ने ही किया था। कुल मिलाकर, सदन का वातावरण पूरे दिन हंगामेदार बना रहा।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने मंगलवार को विधानसभा में बताया कि रांची में जल्द ही एक बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट स्थापित की जायेगी। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य से बाहर जाकर थैलसीमिया मरीजों के बोन मैरो ट्रांसप्लांट का खर्च वहन करने पर भी विचार कर रही है।
अंसारी, थैलसीमिया रोगियों की स्थिति को लेकर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव द्वारा उठाये गये प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। दरअसल, प्रदीप यादव ने पूछा था कि क्या सरकार के पास थैलसीमिया रोगियों का कोई डेटा है और क्या वह बोन मैरो ट्रांसप्लांट का खर्च उठाने की योजना बना रही है, जो इलाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
कांग्रेस मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि सरकार थैलसीमिया रोगियों का डेटा जुटा रही है, जो एक महीने में पूरा हो जायेगा। उन्होंने कहा कि चाईबासा में थैलसीमिया से पीड़ित पांच बच्चों के ब्लड ट्रांसफ्यूजन के बाद एचआईवी पॉजिटिव मिलने के बाद सरकार इस मुद्दे पर गंभीर हुई है। उन्होंने बताया कि झारखंड में फिलहाल कोई बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट नहीं है।
अंसारी ने सदन को बताया कि हमने रांची के सदर अस्पताल में 7 करोड़ रुपये की लागत से एक यूनिट स्थापित करने का फैसला किया है। सरकार थैलसीमिया मरीजों के राज्य से बाहर होने वाले बोन मैरो ट्रांसप्लांट, जिसकी लागत लगभग 14 लाख रुपये है, का खर्च वहन करने पर भी विचार कर रही है।
जैसे ही सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई, नेता प्रतिपक्ष और भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने टइइर एडमिशन में कथित गड़बड़ियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने झारखंड कॉम्बाइंड एंट्रेंस कॉम्पिटिटिव एग्जामिनेशन बोर्ड (खउएउएइ) पर मेडिकल काउंसलिंग कमेटी के दिशा-निदेर्शों का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया।
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